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Delhi Vs Centre : केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची केजरीवाल सरकार, सीएम 3 जुलाई को जलाएंगे कॉपियां
Delhi Vs Centre : शीर्ष अदालत ने दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का हक वहां की चुनी हुई सरकार को दिया था। लेकिन, केंद्र इस पर अध्यादेश लाई। केजरीवाल सरकार का कहना है इससे उनके हाथ से अफसरों के तबादले का हक़ छिन गया।
Delhi Vs Centre : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग पर केंद्र सरकार के अध्यादेश (Ordinance on Transfer Posting) के खिलाफ अरविंद केजरीवाल गवर्नमेंट ने शुक्रवार (30 जून) को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। दरअसल, 19 मई को केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी। जिसके तहत दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार चुनी हुई सरकार के हाथ से बाहर चली गई।
इससे पहले, 11 मई को सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ (SC Constitutional Bench) ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। जिसमें अदालत ने कहा था कि, दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर चुनी हुई सरकार का पूरा अधिकार होगा। इससे केजरीवाल सरकार उत्साहित थी। मगर, केंद्र ने अध्यादेश लाकर उसे पलट दिया। आम आदमी पार्टी (AAP) दफ्तर में 3 जुलाई को सीएम केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश की कॉपियां जलाएंगे।
आम आदमी पार्टी (AAP) दिल्ली में जगह-जगह अध्यादेश की कॉपियां जलाने की तैयारी में जुटी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 3 जुलाई को AAP के दिल्ली दफ्तर में सीएम अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश की कॉपियां जलाएंगे। इस दौरान, सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के सभी 70 विधानसभाओं के नेता, विधायक, मंत्री, पार्षद और सांसद भी वहां मौजूद रहेंगे।
दिल्ली सरकार को अध्यादेश से क्या आपत्ति?
देश की राजधानी दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार का कहना है कि, केंद्र सरकार द्वारा गठित प्राधिकरण में भले ही मुख्यमंत्री को अध्यक्ष बनाया गया है, लेकिन इसमें दो अन्य सदस्यों को भी शामिल किया गया है। एक, गृह सचिव (Home Secretary) और दूसरा, मुख्य सचिव (Chief Secretary) भी इस प्राधिकरण के सदस्य होंगे। किसी अफसर की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर फैसला बहुमत के आधार पर लिया जाएगा। अर्थात, दोनों अफसर किसी अधिकारी के ट्रांसफर के खिलाफ हो जाएं तो इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री कुछ नहीं कर पाएंगे। अध्यादेश में ये भी कहा गया है कि प्राधिकरण (Authority) द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम नहीं होगा। इसके बाद प्राधिकरण के फैसले की जानकारी उपराज्यपाल (एलजी) को दी जाएगी। अंतिम निर्णय एलजी ही लेंगे।