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शिवराज तेरी नर्मदा मैली! लेकिन साहेब की राजनीति चमक गई
भोपाल : मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के मकसद से निकाली गई नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा के बाद सामाजिक संगठन 'विचार मध्य प्रदेश' ने सोशल ऑडिट में पाया है कि यात्रा से नदी तट और गंदा हुए हैं। नर्मदा सेवा यात्रा के 15 मई को समाप्त होने के बाद विचार मध्य प्रदेश ने एक चार सदस्यीय अध्ययन दल गठित किया था, जिसमें पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा, पारस सकलेचा, डॉ. संजीव चंदोरकर, महंत प्रीतम पुरी शामिल थे। इस दल ने 19 मई से दो जून तक नर्मदा नदी का दौरा किया, और इस दौरान स्थानीय लोगों, बुद्घिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, विशेषज्ञों आदि से बातचीत की।
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अध्ययन दल द्वारा सोमवार को जारी ऑडिट रपट में साफ है कि यह यात्रा सेवा भाव से नहीं, बल्कि राजनीतिक कारणों से की गई। अधिकतर लोगों का मानना रहा है कि यात्रा में फिल्मी कलाकारों को बुलाना और सरकारी धन का दुरुपयोग करना गलत है।
दल ने पाया है कि यात्रा के पूर्व नर्मदा के तटों पर कम गंदगी थी, जबकि यात्रा के कारण गंदगी और प्रदूषण में वृद्धि हुई है। कई जगहों पर लोग खुले में शौच करते पाए गए, पन्नी का उपयोग बदस्तूर जारी है, पूजा सामग्री आदि नर्मदा में प्रवाहित होती रही। यात्रा के दौरान लगाए गए अधिकांश पेड़ सूख चुके हैं। कई स्थानों पर हथियारबंद लोगों की निगरानी में अवैध रेत खनन बेरोक-टोक जारी है।
दल के सदस्य गिरजा शंकर शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, "पूरी यात्रा में सरकारी धन का भारी दुरुपयोग किया गया। सरकारी कोष से बसों के लिए करोड़ों रुपये देने के आदेश दिए गए और स्वच्छता प्रेरक के नाम पर लोगों को पैसे देकर कार्यक्रम में बुलाया गया।"
दल के अन्य सदस्य पारस सकलेचा ने कहा, "विधानसभा में कहा गया कि यात्रा के लिए कोई राशि प्रस्तावित नहीं है, जबकि सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये इस यात्रा में खर्च किए गए। विधानसभा के कई जवाब विरोधाभासी थे।"
एक अन्य सदस्य डॉ. संजीव चंदोरकर ने कहा, "यात्रा में भारी मात्रा में पटाखों और आतिशबाजी का इस्तेमाल हुआ। नेताओं के साथ बड़ी संख्या में गाड़ियों के काफिले चले। इन सब कारणों से पर्यावरण को काफी नुकसान हुआ।"
अध्ययन दल के चौथे सदस्य महंत पीतमपुरी ने कहा कि लोगों को प्रलोभन देकर यात्रा में शामिल कराया गया, कहीं पैसे तो कहीं साड़ियां बांटी गईं।
विचार मध्य प्रदेश के आजाद सिंह डाबास के अनुसार, "प्रदेश में नर्मदा सेवा यात्रा का प्रचार अच्छा है, किन्तु विदेशी चैनलों जैसे अल-जजीरा और प्रदेश के बाहर मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों में इसका प्रचार करना जनता के पैसे का दुरुपयोग है। सरकार जनता के धन की बर्बादी के लिए जवाबदेह है।"
संस्था जुड़े विजय वाते ने कहा, "पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा, जनसहयोग के नाम पर एकत्र की गई राशि का विवरण जनता के बीच नहीं रखना संदेह पैदा करता है कि क्या इस कार्यक्रम में कालेधन का उपयोग किया गया है।"
संस्था के एक अन्य सदस्य अक्षय हुंका के अनुसार, "सरकार द्वारा दो जुलाई को छह करोड़ पेड़ लगाने की घोषणा की गई है। जब यात्रा के दौरान लगाए गए कुछ हजार पेड़ सूख गए, तो इतनी मात्रा में पेड़ लगाने पर वे जिन्दा कैसे रहेंगे? छह करोड़ पेड़ लगाने में लगभग 3000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, इतना पैसा कहां से आएगा।"