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हरीश गुप्ता की सजा पर कुछ इस तरह बिफरे IAS अफसर, निकली भड़ास
लखनऊ : पूर्व कोयला सचिव हरीश गुप्ता को भ्रष्टाचार के आरोप में तीन साल की सजा के फैसले के बाद ब्यूरोक्रेसी सकते में है। बीते दिन हुए यूपी आईएएस एसोसिएशन की वार्षिक आम बैठक में भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धार 13 (1) डी पर आपत्ति जताई गई थी। तय किया गया कि अफसर अधिनियम की इस धारा पर अफसर दिल्ली में अपनी बात रखेंगे। उधर सोशल मीडिया पर भी देश भर से अफसर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं।
आईएएस आनन्द स्वरूप ने अपने टिवटर हैंडिल पर लिखा है कि जब सारे बदमाश अपने सामाजिक और राजनीतिक रंग के साथ नकारात्मकता फैला सकते हैं तो अच्छे लोग ईमानदारों को प्रोटेक्ट करने के लिए एक साथ क्यों नहीं आ सकते? चलो ऐसा करने की कोशिश करते हैं।
आईएफएस अफसर प्रवीन कसवान कहते हैं कि ईमानदार सिविल सर्वेंट को दंडित करना उनके आत्मविश्वास को कम करता है। इसके परिणाम में काम में निष्क्रियता भी आ सकती है। हम सबको ईमानदार अधिकारियों के समर्थन में खड़ा होना चाहिए।
आईएएस अमित घोष ने भी इस पर अपनी मुहर लगाते हुए कहा है कि यह निर्णय निश्चित रूप से गंभीर सवाल खड़े करता है। इस तरह के मुद्दों पर एक राष्ट्रीय सहमति उभरनी चााहिए। आईएएस अतहर आमिर खान कहते हैं कि ऐसे आईएएस अफसर को दंडित करन जिसमें उसकी कोई गल्ती नहीं है। यह प्रशासनिक पहल को मार देगा। इसका असर प्रशासनिक अफसरों के मनोबल पर पड़ेगा।
आईएएस आशीष बचनानी कहते हैं कि यह अजीब निर्णय है। आपको आर्थिक लाभ प्राप्त किए बिना दोषी ठहराया जा सकता है। अगर आप निर्णय नहीं लेते हैं तो आपको दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। सलाहकार की भूमिका में पब्लिक सर्वेंट जेल जा सकते हैं। पर राजनीतिक कार्यकारी जो निर्णय लेते हैं वह नहीं।
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