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स्टार्टअप कंपनी: अंतिम संस्कार का सामान मिल रहा ऑनलाइन

raghvendra
Published on: 7 Dec 2018 8:37 AM GMT
स्टार्टअप कंपनी: अंतिम संस्कार का सामान मिल रहा ऑनलाइन
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नई दिल्ली: हिंदू रीति-रिवाज में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया लंबी होती है। शोकाकुल परिवारों के लिए अंतिम क्रिया से जुड़े सामान, पंडित की व्यवस्था आदि करना भागदौड़ का काम हो जाता है। इसी दिक्कत को भांपते हुए अब भारतीय स्टार्टअप कंपनियां अंतिम क्रिया की किट ऑनलाइन उपलब्ध करा रही हैं।

एक ई-कामर्स साइट ‘सर्व पूजा’ पर उपलब्ध अंतिम क्रिया की ऑनलाइन किट में कुल 38 आइटम हैं। इसमें मिट्टी के घड़े, अगरबत्ती, गोमूत्र, उपला, चावल, तिल और गुलाब जल जैसे कई सामान शामिल हैं। सर्व पूजा मुंबई स्थित स्टार्टअप कंपनी है। इसके संस्थापक नीतेश मेहता का कहना है कि उनके स्टार्टअप ने सालभर के अंदर करीब दो हजार किट्स बेची हैं। अमेरिका में 15 साल रहे कंप्यूटर इंजीनियर नीतेश मेहता के मुताबिक, हिंदू रिवाज में मृत व्यक्ति का 24 घंटे के अंदर या अधिकतम तीन दिन के अंदर अंतिम संस्कार करना होता है। ऐसे में ऑनलाइन किट समाधान हो सकता है।

डीडब्लू के अनुसार, भारत के कुछ शहरों में यह ऑनलाइन किट पहुंच रही है। पारंपरिक हिंदू समुदाय के अलावा इसे जैन, गुजराती और सिख समुदाय के लोग भी इस्तेमाल कर सकते हैं। कंपनी अभी तक मुनाफा नहीं कमा रही है और उसका मानना है कि कई परिवारों को आज भी पारंपरिक तरीके से खरीदारी करना पसंद है। वैसे, दुकानदारों का कहना है कि उन्हें ऑनलाइन कंपनियों से दिक्कत है। इनके प्रतिद्वंद्वियों में तीन साल पहले शुरू हुई स्टार्टअप कंपनी ‘मोक्षशील’ शामिल है। अहमदाबाद स्थित यह कंपनी पश्चिमी गुजरात में अंतिम संस्कार से जुड़े सामान ऑनलाइन बेचती है। वहीं, कोलकाता स्थित कंपनी ‘अन्त्येष्टि’ का पैकेज भी मिलता-जुलता है और इसमें श्मशान की बुकिंग, पंडित की व्यवस्था और शव को श्मशान तक ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था भी यह स्टार्टअप मुहैया कराती है। ‘मोक्षशील’ के मालिक बिल्वा देसाई सिंह का कहना है कि उनकी कंपनी लोगों को मृत्यु के बारे में बात करने का मौका देती है। ‘मृत्यु को लेकर जागरूकता महत्वपूर्ण है और हम ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं।’ दोनों ही स्टार्टअप कंपनियां अब अपनी सेवाएं भारत के अन्य शहरों और विदेशों तक फैलाने पर काम कर रही हैं। ‘सर्वपूजा’ के संस्थापक मेहता का कहना है कि जल्द ही उनकी कंपनी मुस्लिम समुदाय की अंतिम क्रिया से जुड़ी किट लॉन्च करेगी। वह कहते हैं कि मौत निश्चित है और हम लोगों की मदद करना चाहते हैं, जिससे वे प्रियजनों को गरिमामय तरीके से अंतिम विदाई दे सकें। ‘मोक्षशील’ साइट हिंदू, मुलसमान, ईसाई, जैन, बौद्ध या पारसी रीति रिवाजों के अंतिम संस्कार में मदद मुहैया कराती है। ये साइट शोकाकुल परिवारों को निर्णय लेने और सभी प्रकार के इंतजामात करने में मदद करती है। वैसे, इस साइट पर ‘मोक्षयात्रा’ का भी सेगमेंट है जहां लोग तीर्थयात्रा के इंतजाम कर सकते हैं।

इसी तरह की एक साइट है ‘श्रद्धांजलि।’ ये राजकोट स्थित स्टार्टअप है जिसके संस्थापक विवेक व्यास और विमल पोपट हैं। यह साइट २०११ में लांच की गई थी। इसमें लोग अपने दिवंगत प्रियजनों के लिए पेज क्रिएट कर सकते हैं। पेज पर अपनी या दिवंगत की फोटो, वीडियो, संस्मरण, उपलब्धियां आदि पोस्ट कर सकते हैं।

हाईटेक हुई कब्रें

‘क्यूआर’ तो बहुत आम बात हैं। सफेद बैकग्राउंड पर काले रंग के चौकोर डिब्बे जैसे बनी ऐसी आकृतियां क्यूआर कोड कहलाती हैं, जिसे इमेजिंग डिवाइस मसलन कैमरे या फोन से पढ़ा जा सकता है। ये कोड उपभोक्ताओं को सही वेबसाइट पर ले जाने के लिए अकसर डिजिटल विज्ञापनों में नजर आते हैं। लेकिन अब ऐसे कोड समाधियों और कब्रों पर भी नजर आ रहे हैं। कब्र पर लगे पत्थरों पर अमूमन नाम, जन्म और मरण की तारीख जैसी थोड़ी बहुत जानकारी ही होती है। लेकिन अब इन क्यूआर कोड से जुड़ी वेबसाइट एक ऐसा वर्चुअल स्पेस है जहां रिश्तेदार और दोस्त मरने वाले व्यक्ति से जुड़ी कहानियां, फोटो और यादें साझा कर सकते हैं। इसके अलावा अंतिम संस्कार के वक्त दिए गए श्रद्धांजलि संदेश को भी पढ़ा जा सकता है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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