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भारत से ब्रिटेन तक व्यापक साइबर हमला, दुनियाभर में हाहाकार
भारत सहित लगभग 100 देशों में व्यापक स्तर पर डाटा हैक कर फिरौती के लिए साइबर हमले के अगले दिन शनिवार से लोगों को परेशानी में डालने वाली खबरें आनी शुरू हो गई हैं।
नई दिल्ली/लंदन/वाॅशिंगटन, (आईएएनएस): भारत सहित लगभग 100 देशों में व्यापक स्तर पर डाटा हैक कर फिरौती के लिए साइबर हमले के अगले दिन शनिवार से लोगों को परेशानी में डालने वाली खबरें आनी शुरू हो गई हैं। साइबर हमले में ब्रिटेन के अस्पतालों से लेकर आंध्र प्रदेश के पुलिस थानों तक के आंकड़े हैक किए गए, जिसने साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। भारत में आंध्र प्रदेश में पुलिस विभाग के कंप्यूटरों के एक हिस्से वैश्विक साइबर हमले का निशाना बने।
चित्तूर, कृष्णा, गुंटूर, विशाखापत्तनम और श्रीकुलम जिले के 18 पुलिस इकाइयों के कंप्यूटर साइबर हमले से प्रभावित हुए, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि रोजमर्रा के कामों में कोई बाधा नहीं आई।
पुलिस महानिदेशक एन. संबाशिवा राव ने कहा कि कुछ स्टैंडअलोन कंप्यूटर (जो स्थानीय नेटवर्क कनेक्शन के बिना संचालित हो सकते हैं) प्रभावित हुए हैं और एहतियात के तौर पर उन्हें लॉग ऑफ (बंद) कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने वाले कंप्यूटर साइबर हमले का शिकार हुए हैं। पुलिस प्रमुख का एपल (आईओएस) का कंप्यूटर सुरक्षित है।
माना जाता है कि वैश्विक साइबर हमले के लिए हैकिंग टूल के इस्तेमाल को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने ईजाद किया था, जिसने करीब 100 देशों में हजारों कंप्यूटरों को प्रभावित किया।
तिरुपति (अरबन) मंडल की पुलिस निरीक्षक आर. जया लक्ष्मी ने बताया कि वह डेटा तक पहुंचने में सक्षम नहीं है और पहुंचने देने के लिए हैकर बिटकॉइन (पेमेंट नेटवर्क) पर फिरौती मांग रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि इस हमले का बहुत कम असर पड़ेगा, क्योंकि एफआईआर और अन्य दस्तावेजों का रिकॉर्ड ऑफलाइन भी रखा जाता है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि वे गृह मंत्रालय के संपर्क में हैं और डेटा सुरक्षित रखने के लिए सभी एहतियात बरत रहे हैं।
वहीं तेलंगाना पुलिस ने कहा कि इसके कंप्यूटर सिस्टम प्रभावित नहीं हुए हैं।
तेलंगाना तकनीकी कंप्यूटर सेवा प्रभारी कृष्णा प्रसाद के अनुसार, "तेलंगाना पुलिस की वेबसाइट अच्छी तरह काम कर रही है, घबराने की कोई जरूरत नहीं है।"
मॉस्को की कैस्परस्काई लैब ने 'वानाक्राई' नामक मालवेयर का पता लगाया है, जिसका इस्तेमाल फाइलों को इनक्रिप्ट करने के लिए किया गया।
कैस्परस्काई लैब (दक्षिण एशिया) के प्रबंध निदेशक अल्ताफ हालदे ने आईएएनएस से कहा, "अटैकर्स सिस्टम में पहले रूटकिट इंस्टाल करते हैं, जो उन्हें आंकड़ों को इनक्रिप्ट करने के लिए सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने में सक्षम बनाता है। मैलवेयर किसी भी फाइल को इनक्रिप्ट करता है। स्क्रीन पर वैलेट के साथ बिटकॉन में 600 डॉलर की मांग फ्लैश होती है, जो समय के साथ बढ़ती जाती है।"
कैस्परस्काई लैब ने पुष्टि की है कि कंपनी ने प्रोटेक्श सबसिस्टम ने 74 देशों में अटैक के कम से कम 45,000 बार प्रयास का पता लगाया है।
साइबर सुरक्षा कंपनी एफ-सिक्योर कॉरपोरेशन के एशिया पैसिफिक-कॉरपोरेट बिजनेस के प्रमुख अमित नाथ ने कहा, "यह बेहद बड़ा है। साल 2008 के बाद हमने कभी ऐसा नहीं देखा।"
एक अन्य साइबर सुरक्षा कंपनी एवास्ट ने कहा कि उसने दुनियाभर में रैनसमवेयर हमले के 75,000 मामलों को देखा।
यूरोपोल ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दोषियों की पहचान के लिए एक जटिल अंतर्राष्ट्रीय जांच की जरूरत है।
यही नहीं, जर्मनी में रेल यात्रियों को फिरौती संदेशों से तब दो-चार होना पड़ा, जब वे रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से संबंधित सूचनाएं देख रहे थे। बर्लिन की रेल कंपनी ड्यूश बान को साइबर हमलावरों ने निशाना बनाया।
फिरौती के लिए साइबर हमले से फ्रांस में सबसे पहले कार निर्माता कंपनी रेनॉ प्रभावित हुई। वहीं पुर्तगाल टेलीकॉम तथा स्वीडन का एक स्थानीय प्राधिकार भी इसी तरह के हमले से प्रभावित हुआ।
माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि वह पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम्स रखने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए अपडेट जारी करेगा, क्योंकि उन्हें अपडेट मिलना बंद हो गया था। इनमें विंडोज एक्सपी, विंडोज 8 तथा विंडोज सर्वर 2003 शामिल हैं।
अभी तक किसी भी हैकिंग समूह ने अब तक के सबसे बड़े साइबर हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।