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शहीद कैप्टेन के परिवार में मातम, श्रद्धांजलि देने वालों का लगा तांता, सबक सिखाने की मांग
बेटे की शहादत की खबर पहुंचते ही कैप्टेन आयुष के घर में कोहराम मच गया। मां का रो रोकर एक ही सवाल था कि कब तक माताएं अपने बेटों की शहादत देती रहेंगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उनके बेटे के कातिलों को सजा दें।
कानपुर: कश्मीर के कुपवाड़ा में गुरुवार की सुबह हुए आतंकवादी हमले में कैप्टेन आयुष यादव की शहादत से कानपुर में मातम का माहौल है। कानपुर के जाजमऊ स्थित डिफेंस कॉलोनी में उनके आवास पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लगा है।
सेना के कैम्प पर घात लगाकर किये गये इस हमले में कैप्टेन आयुष के अलावा दो जवान शहीद हुए थे। जवाबी कार्रवाई में सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था।
परिवार ने कहा-कातिलों को मिले सज़ा
बेटे की शहादत की खबर पहुंचते ही कैप्टेन आयुष के घर में कोहराम मच गया।
मां का रो रोकर एक ही सवाल था कि कब तक माताएं अपने बेटों की शहादत देती रहेंगी।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उनके बेटे के कातिलों को सजा दें।
शहीद कैप्टेन आयुष की बहन समेत सभी परिवारीजन इस दुखद घटना पर सदमे में हैं।
शहीद कैप्टन के पिता अरुण कांत सिंह यादव चित्रकूट कोतवाली में सब इंस्पेक्टर के पद पर हैं।
बेटी की शादी के लिए पंद्रह दिन पहले छुट्टी पर घर आए पिता की एक दिन पहले भी बेटे से बात हुई थी।
बेटे ने कहा था कि पापा यहां महौल थोड़ा खराब है, पर चिंता नहीं करना, यूनिट के साथ हम किसी भी साजिश से निपटने को तैयार हैं।
फैसले का वक्त
बेटे ने कहा था कि यहां पत्थरबाजी की घटनाएं बढ़ी हैं जिनसे सेना निपट रही है।
पिता ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि देश के दुश्मनों पर मोदी सरकार फैसला ले।
आयुष यादव तीन साल पहले सेना में भर्ती हुए थे।
वह पंद्रह दिन पहले अपनी बहन की शादी में कानपुर आए थे।
गुरुवार को फिदाइन हमने में कैप्टन आयुष गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका।
आयुष का पार्थिव शरीर पहले दिल्ली और फिर कानपुर में उनके आवास पर लाया जाएगा।
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