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सत्ता में आना 'एचडी' सरकार के लिए सजा और बीजेपी के लिए मजा
बेंगलुरु: अब तक, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को यह महसूस हो चुका होगा कि गठबंधन सरकार को चला पाना साइकिल चलाने जितना आसान नहीं है। वो ये भी समझ चुके होंगे कि पीएम के रूप में उनके पिता का कार्यकाल के उतार चढाव भी इसके सामने कुछ नहीं।
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को अपना फ्लोर टेस्ट पास किये हुए आज पांच दिन हो गए हैं। लेकिन अबतक यहां कैबिनेट विस्तार का दूर दूर तक नामो निशान नहीं। या यूं कहें कि आपसी विवाद को ये पार्टियां इतना जरूरी मानती हैं कि उसके सामने ये सब छोटे काम हैं जो कभी भी बाद मेकिये जा सकते हैं।
कुमारस्वामी ने खुद इस बात से सहमती जताई कि उनको ये कुर्सी कर्नाटक के लोगों की मदद से नहीं, बल्कि कांग्रेस की दया से मिली है। और सच कहें तो इसमें कोई आश्चर्य की बात भी नहीं।
इन सब के बीच कर्नाटक की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ा होगा। पड़े भी क्यों? ये सब जो हो रहा है इसका अंदाजा तो बीजेपी को पहले से ही था। ऐसे में बीजेपी का अब एक ही काम है... आराम से बैठ कर इस पूरी फिल्म का आनंद उठाना। वैसे भी कांग्रेस और जेडीएस के बीच ये लड़ाई आखिरकार बीजेपी के लिए फायदेमंद ही साबित होगी।
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मंत्रियो को लेकर विवाद जोरों पर है। इस बीच 78 सदस्यों वाली कांग्रेस अपने मंत्रियों को लेकर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है। उनकी मांग है कि डिप्टी सीएम, फाइनेंस और होम मिनिस्ट्री उनकी पार्टी के मंत्रियों को मिले। हां... ये मांग ज्यादा हो सकती है। लेकिन यही गठबंधन की विडंबनाएं हैं। जिसे कुमारस्वामी के पिता और जेडीएस प्रमुख एचडी देवगौड़ा से बेहतर कोई नहीं समझ सकता ।
दोनों सत्तारूढ़ दलों की राष्ट्रीय राजधानी में लंबी चर्चा हुई थी। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विदेश गए हैं, इसलिए निर्णय में देरी हो सकती है लेकिन ज्यादा नहीं। संभवतः इस मुद्दे को एक या दो दिनों में हल कर दिया जाएगा जाएगा। अब फैसला जो भी हो, इतना तो तय है कि यह पूरी तरह से जेडी (एस) के पक्ष में नहीं होने वाला।