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Adani Group-OCCRP मुद्दे पर कांग्रेस ने की जेपीसी जांच की मांग, 'भ्रष्ट दोस्तों' के बहाने PM मोदी को घेरा

Adani Group-OCCRP Report: ओसीसीआरपी ने आरोप लगाया है कि, 'इन लोगों ने विदेशी इकाइयों के माध्यम से कई वर्षों तक अडानी के शेयर खरीदे और बेचे। इससे काफी मुनाफा भी कमाया। उनकी भागीदारी अस्पष्ट है।' कांग्रेस ने संयुक्त संसदीय समिति से इसकी जांच की मांग की है।

Aman Kumar Singh
Published on: 31 Aug 2023 3:23 PM IST (Updated on: 31 Aug 2023 3:47 PM IST)
Adani Group-OCCRP मुद्दे पर कांग्रेस ने की जेपीसी जांच की मांग, भ्रष्ट दोस्तों के बहाने PM मोदी को घेरा
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Adani Group-OCCRP Report (Social Media)

Adani Group-OCCRP Report: 'ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट' (OCCRP) ने अडानी समूह पर निशाना साधा है। ओसीसीआरपी ने गुरुवार (31 अगस्त) को आरोप लगाया कि, अडानी ग्रुप प्रवर्तक परिवार (Originator Family) के साझेदारों से जुड़ी विदेशी इकाइयों के जरिए समूह के शेयरों में करोड़ों डॉलर का निवेश किया गया है। अब इस मुद्दे को कांग्रेस ने गंभीरता से लेते हुए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच की मांग की है। साथ ही, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की। वहीं, अडानी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज किया।

आपको बता दें, OCCRP जॉर्ज सोरोस (George Soros) और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड द्वारा वित्त पोषित संगठन है। इन आरोपों की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। गौरतलब है, ये आरोप ऐसे समय लगाए हैं, जब कुछ महीने पहले अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने अडानी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी और शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था। हिंडनबर्ग के उन आरोपों के बाद समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी।

'JPC जांच से पता चलेगा बेनामी धन प्रवाह'

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश (Jai Ram Ramesh) ने अडानी समूह में बेनामी धन प्रवाह के बारे में पूरी कहानी जानने के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा 'पता चलना चाहिए कि, कैसे विदेशी नागरिक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे में भूमिका निभाने आए?'

'भ्रष्ट दोस्तों' के बहाने पीएम मोदी को घेरा

अडानी समूह के खिलाफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) द्वारा लगाए गए नए आरोपों का उल्लेख करते हुए जयराम रमेश ने कहा, 'यह स्पष्ट है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के नियामक और 'अपने भ्रष्ट दोस्तों और उनके कुकर्मों' को बचाने के लिए बहुत कुछ किया है। जांच एजेंसियां भी चुप हैं।'

'राजनीतिक दलों को डराने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल'

दरअसल, OCCRP ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह ने प्रमोटर परिवार के भागीदारों द्वारा प्रबंधित मॉरीशस स्थित 'अपारदर्शी' निवेश फंडों के माध्यम से सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले समूह के शेयरों में महत्वपूर्ण रकम का निवेश किया था। एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, 'एक तरफ प्रधानमंत्री ने आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने तथा जटिल अंतरराष्ट्रीय नियमों के जाल को तोड़ने की बात करते हैं। वहीं दूसरी तरफ, उन्होंने नियामक और जांच एजेंसियों को कम कर दिया। गलत कार्यों की जांच करने के बजाय विपक्ष को डराने के लिए राजनीतिक हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।'

प्रधानमंत्री के शब्द कितने खोखले साबित हुए...

कांग्रेस नेता बोले, 'अडानी ग्रुप और उसके क़रीबियों द्वारा भारतीय प्रतिभूति कानूनों के स्पष्ट रूप से उल्लंघन को लेकर आज के द ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट, द फाइनेंशियल टाइम्स और द गार्जियन के ख़ुलासे इस बात की याद दिलाते हैं कि प्रधानमंत्री के वे शब्द कितने खोखले साबित हुए हैं। उन्होंने कहा, ये ख़ुलासे उन 100 से अधिक सवालों के भी जवाब देते हैं, जो कांग्रेस पार्टी ने हम अडानी के हैं कौन (HAHK) श्रृंखला के तहत पूछे थे। वे सारे सवाल प्रधानमंत्री के अडानी के साथ उनके संदेहास्पद और संदिग्ध संबंधों के बारे में थे। राष्ट्रहित से जुड़े इन सवालों पर प्रधानमंत्री लगातार चुप हैं।'

'अपारदर्शी टैक्स हेवेन' की चर्चा

कांग्रेस नेता ने कहा, 'अब जो नए सबूत आए हैं वो अडानी के सहयोगियों नासिर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग को न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से संबंधित उन भारतीय प्रतिभूति कानूनों को बायपास करने के प्रयास से लिंक कर रहे हैं, जो शेयर मूल्य में हेरफेर को रोकने के लिए थे। अहली और चांग द्वारा नियंत्रित शेल कंपनियों जिनके बारे में पता चला है कि वे गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद के मुखौटे थे, ने गुप्त रूप से एवं अवैध तरीक़े से अडानी ग्रुप की चार कंपनियों में भरपूर हिस्सेदारी ख़रीदी थी। अपारदर्शी टैक्स हेवेन में स्थित अडानी से जुड़ी शेल कंपनियों के नेटवर्क के आसपास भ्रष्टाचार की दुर्गंध अब मनी ट्रेल स्थापित होने के साथ और ज़्यादा बदबू दे रही है।'

जयराम का SEBI पर भी सवाल

जयराम रमेश लिखते हैं, 'वर्षों की जांच के बावजूद SEBI जिन तेरह बेनामी शेल कंपनियों की पहचान करने में विफल रही है, उनमें से दो के वास्तविक मालिक का ख़ुलासा हो गया है। लेकिन, सेबी की भूमिका को लेकर सवाल बने हुए हैं। उन्होंने पूछा- क्या SEBI के पूर्व अध्यक्षों का अडानी ग्रुप से जो जुड़ाव था और उसके कारण जो हितों के स्पष्ट टकराव थे, उसने इन शेल कंपनियों की ठीक से जांच करने में SEBI की अक्षमता में भूमिका निभाई? SEBI सुप्रीम कोर्ट को यह बताने में विफल क्यों रही कि राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने 2014 में अडानी समूह के ख़िलाफ़ जांच शुरू की थी, 2017 में मोदी सरकार ने जांच को बंद कर दिया था?'

'सच्चाई हमेशा दबी नहीं रहेगी'

उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, सच्चाई हमेशा के लिए दबी नहीं रहेगी। वो सामने आएगी लेकिन अडानी ग्रुप में कैसे बेनामी धन का प्रवाह हुआ? कैसे विदेशी नागरिक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर में भूमिका निभाने आए और कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने अपने क़रीबी मित्रों को समृद्ध करने के लिए नियमों, कानूनों एवं प्रावधानों का उल्लंघन किया। इसकी पूरी कहानी केवल JPC द्वारा ही सामने आ सकती है।'



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Aman Kumar Singh

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