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कर्नाटक के बाद अब डीके को मिली बड़ी जिम्मेदारी! इस प्रदेश के चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए बनाई रणनीति

Karnataka: कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक बने डीके शिवकुमार बहुत ही जल्द मध्यप्रदेश में नजर आने वाले हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि डीके मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के साथ पार्टी के चुनाव प्रबंधन का कामकाज देखेंगे। इसके अलावा यूपी के प्रमोद तिवारी और हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा भी मध्य प्रदेश में अपना डेरा डालने वाले हैं।

Ashish Pandey
Published on: 19 May 2023 10:31 PM IST (Updated on: 19 May 2023 10:32 PM IST)
कर्नाटक के बाद अब डीके को मिली बड़ी जिम्मेदारी! इस प्रदेश के चुनाव में बीजेपी को मात देने के लिए बनाई रणनीति
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DK Shivkumar (Image: Social Media)

DK Shivkumar: कांग्रेस के संकटमोचन डीके शिवकुमार की जिम्मेदारी और बढ़ने जा रही है। कर्नाटक में डीके ने जिस तरह से पार्टी को 135 सीटें दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राज्य में कांग्रेस की मेजारटी की सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ। वहीं आलाकमान की बात मान कर डीके जिस तरह से सीएम की रेस से हटकर डिप्टी सीएम बनने को राजी हुए उससे पार्टी में उनका कद और बढ़ गया है। कर्नाटक का नाटक सुलटने के बाद अब कांग्रेस की नजरें मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर टिकी हैं।

कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक बने डीके शिवकुमार बहुत ही जल्द मध्यप्रदेश में नजर आने वाले हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि डीके मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के साथ पार्टी के चुनाव प्रबंधन का कामकाज देखेंगे। इसके अलावा यूपी के प्रमोद तिवारी और हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा भी मध्य प्रदेश में अपना डेरा डालने वाले हैं। इन नेताओं के अलावा उत्तराखंड, हिमाचल और गुजरात के कांग्रेस पार्टी के नेता भी चुनावी कामकाज के सिलसिले में मध्यप्रदेश में डेरा जमाने वाले हैं। इन नेताओं को उन सीटों की जिम्मेदारी दी जाएगी, जहां पार्टी पिछले तीन से चार चुनावों में जीत का स्वाद नहीं चख सकी है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस कर्नाटक की बेस्ट चुनावी रणनीति को को मध्यप्रदेश में भी आजमाने की तैयारी कर रही है। आने वाले दिनों में कांग्रेस भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा पर हमले तेज करेगी। संभावना इस बात की है कि पेसीएम पोस्टर कैंपेन का कोई नया वर्जन मध्यप्रदेश में देखने को मिलेगा।

क्या है ये पेसीएम?

कर्नाटक जीत के लिए कांग्रेस ने बड़ी रणनीति बनाई। पार्टी ने भाजपा की सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए 40 परसेंट कमीशनखोरीका आरोप लगाया था। कांग्रेस ने राज्य के कई शहरों में तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की तस्वीर वाले ऐसे पोस्टर लगाए थे, जिन पर ‘पेसीएम’ (च्ंलब्ड च्वेजमत ब्ंउचंपहद) लिखा था। पोस्टर्स में एक क्यूआर कोड दिया गया था, जिस पर मुख्यमंत्री बोम्मई का चेहरा बना था और इसमें एक हेल्पलाइन नंबर भी था, जो कांग्रेस द्वारा सरकार के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए शुरू किया गया था। कांग्रेस की यह रणनीति चुनाव में पार्टी के लिए काफी फायदे की रही।

2020 में निभाई थी अहम भूमिका

कांग्रेस के नए संकटमोचक बनकर उभरे डीके शिवकुमार को दक्षिण भारत के लोग तो बखूबी जानते थे, लेकिन आने वाले दिनों में उनको मध्यप्रदेश में पार्टी बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी कर रही है। एमपी की राजनीति में डीके की अहम भूमिका होने वाली है। वैसे मध्यप्रदेश के लोगों और नेताओं के लिए डीके शिवकुमार का नाम नया नहीं है। क्योंकि 2020 में जब सिंधिया के बागी विधायकों ने बेंगलुरु के होटल में डेरा जमाया था, तब कांग्रेस के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह इन नेताओं की मान-मनौव्वल करने और वापस लेने कर्नाटक पहुंचे थे। उस समय डीके ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की मदद की थी।

एक अखबर से चर्चा के दौरान मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा कहती हैं कि विधानसभा चुनाव के दौरान पूरे देश के कांग्रेस नेता एमपी में नजर आएंगे। इस दौरान उनकी सभाएं और रोड शो भी होंगे। आने वाले दिनों में कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी एमपी में दौरा

अब भाजपा की राह पर कांग्रेस भी

भाजपा की तर्ज पर अब कांग्रेस भी इस बार एमपी विधानसभा की 230 में से 1-1 सीट पर फोकस कर रही है। पार्टी ने चुनावी तैयारियों में राष्ट्रीय नेताओं को भी जिम्मेदारी सौंप दी है। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और राष्ट्रीय महासचिव और एमपी प्रभारी जेपी अग्रवाल के बीच हुई चर्चा के बाद दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से मप्र आए चारों ऑब्जर्वर को एआईसीसी की सहमति से लगातार पांच बार से हार रही सीटों की जिम्मेदारी दी गई है।

किसको किन सीटों की मिली जिम्मेदारी

दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे सुभाष चोपड़ा को प्रदेश की राजधानी भोपाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे गोविंदपुरा, बैरसिया, हुजूर और नरेला, भोजपुर, बुदनी, आष्टा, सीहोर, होशंगाबाद, सोहागपुर, पिपरिया, सिलवानी, शमशाबाद और कुरवाई सीटों का फीडबैक लेकर प्रारंभिक तौर पर स्थानीय नेताओं और पीसीसी से चर्चा के बाद इन सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी रिपोर्ट देंगे। महाकौशल और विंध्य की जिम्मेदारी उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष रहे प्रदीप टम्टा को सौंपी गई है। जबकि ग्वालियर-चंबल अंचल की सीटों में गुना, शिवपुरी समेत अन्य सीटें जिन पर कांग्रेस लगातार तीन से पांच चुनावों में हार रही है।

इन सीटों की जिम्मेदारी हिमाचल के कुलदीप राठौर को दी गई है। गुजरात प्रदेश अध्यक्ष रहे अर्जुन मोरवड़िया को मालवा और निमाड़ की हार वाली सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन सीटों में सारंगपुर, सुसनेर, शुजालपुर, देवास, खातेगांव, बागली, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर, धार, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, रतलाम सिटी, मल्हारगढ़, नीमच और जाबद सीटों की जिम्मेदारी दी गई है। इन 66 सीटों में से 40 सीटों पर पिछले तीन महीनों में पीसीसी चीफ कमलनाथ पहुंच चुके हैं और जिला पदाधिकारियों, मंडल और सेक्टर प्रभारियों की बैठक ले चुके हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ग्राउंड जीरो पर इन सीटों पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

प्रियंका की रैली से होगी चुनावी अभियान की शुरुआत

कर्नाटक जीत के बाद कांग्रेस रेस्ट के मूड में नहीं है। अब वह मध्य प्रदेश में विजय के लिए रणनीति बनाने में जुटी है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी 12 जून को जबलपुर में रोड-शो और आमसभा को संबोधित कर एमपी विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत करने जा रही हैं। इसके बाद कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की आमसभाओं को लेकर पीसीसी, एआईसीसी से समन्वय कर कार्यक्रम तैयार कर रही है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी और खड़गे के प्रदेश में जुलाई, अगस्त के बाद आगे चुनाव तक के प्रोग्राम तैयार होंगे।

वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ छह जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर जिसमें सात साल पहले आंदोलनकारी किसानों की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस दौरान कांग्रेस ने पिपल्यामंडी में किसानों की आमसभा का आयोजन किया है, इस सभा में वे पहुंच रहे हैं। कर्नाटक जीत के बाद कांग्रेस अब बीजेपी को मध्यप्रदेश में मात देने की तैयारी में जुट गई। कांग्रेस की इस तैयारी से बीजेपी मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। कांग्रेस की यह तैयारी विधानसभा चुनाव में कितना रंग लाएगी यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चल सकेगा।



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Ashish Pandey

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