×

Congress Raashid Alvi: यूनिटेक की गड़बड़ियों पर कांग्रेसी नेता राशिद अल्वी ने पीएम से लगाई गुहार

Congress Raashid Alvi: कांग्रेस के बड़े नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राशिद अल्वी ने उन लोगों की समस्या को प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया है जिनका पैसा यूनिटेक में फंसा हुआ है।

Network
Newstrack Network
Published on: 13 Nov 2022 4:41 PM GMT
Congress leader Rashid Alvi
X

कांग्रेसी नेता राशिद अल्वी। (Social Media)

Raashid Alvi: रियल एस्टेट डेवलपर कंपनी यूनीटेक के मकान खरीदने वाले अनेकों लोगों की गाढ़ी कमाई फंसी हुई है। न तो उनका पैसा वापस मिल पा रहा है और न ही उनके सपनों के मकान मिलने की कोई उम्मीद है। यूनीटेक के प्रमोटर जेल में हैं लेकिन मकान की आस में जिनकी पूंजी फंसी हुई है उनको कोई राहत अभी तक नहीं मिल पाई है।

कांग्रेस के बड़े नेता राशिद अल्वी लोगों की समस्या को प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया

ऐसे में कांग्रेस के बड़े नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राशिद अल्वी ने उन लोगों की समस्या को प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया है जिनका पैसा यूनिटेक में फंसा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे एक पत्र में अल्वी ने कहा है कि यूनीटेक के मकान खरीदने वालों में से अधिकांश अब या तो सीनियर सिटिज़न हो चुके हैं या लोन डिफाल्टर हो गए हैं। यूनीटेक के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में जिन लोगों ने मकान खरीदने के लिए बैंकों से लोन लिया था उसकी किस्तें भरने के लिए खरीदारों को अपार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यूनीटेक के वो मकान मिलना अब भी एक दिवास्वप्न के सामान है।

कंपनी के प्रमोटर फ्रॉड के मामले में जेल में सज़ा काट रहे हैं: रशीद अल्वी

रशीद अल्वी ने लिखा है कि – कंपनी के प्रमोटर फ्रॉड के मामले में जेल में सज़ा काट रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत भारत सरकार के कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा २० जनवरी २०२० को नियुक्त बोर्ड/नया मैनेजमेंट अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभा रहा है। बोर्ड के आधे सदस्य जो कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट और बैंकिंग क्षेत्रों में अच्छा अनुभव रहते थे वे निजी कारण या छोटे-मोटे बहाने बना कर बोर्ड को छोड़ कर जा चुके हैं क्योंकि वे ऐसे बोर्ड में रह कर अपनी साख और प्रतिष्ठा को नुक्सान नहीं पहुंचाना चाहते थे जो अपने गठन के २ साल ८ महीने बाद भी कोई ठोस योजना नहीं बना सका है।

पत्र में लिखा है कि सीएमडी के तौर पर नियुक्त एक रिटायर्ड आईइएस अफसर को साढ़े चार लाख रुपये प्रति माह वेतन और अन्य सुविधाओं पर शुरुआत में दो साल के लिए नियुक्त किया गया था। वह नई दिल्ली के एक पॉश इलाके में भारी भरकम किराये वाले मकान में रहते हैं। इन्हें एक नई लक्जरी कार भी दी गयी है। इन सबका खर्चा कंपनी उठा रही है जबकि यह कंपनी खुद संकट में है। सीएमडी का शुरुआती कार्यकाल दो साल बाद 20 जनवरी 2022 को समाप्त हो गया। लेकिन बिना किसी एक्सटेंशन के सीएमडी अपनी रिटायर्ड जिन्दगी का पूरा मज़ा ले रहे हैं जबकि इस कंपनी के मकान खरीदार ढेरों परेशानियों में हैं और उनको मकान मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं है।

रशीद अल्वी ने प्रधानमन्त्री से कॉर्पोरेट मंत्रालय को दिशा निर्देश देने की अपील

रशीद अल्वी ने प्रधानमन्त्री को लिखा है कि "आपसे निवेदन है कि कृपया कॉर्पोरेट मंत्रालय को दिशा निर्देश दें की वह सुधारात्मक उपाय करे ताकि बेबस खरीदारों को न्याय मिल सके।" पत्र में लिखा है कि बोर्ड के सामूहिक अप्रूवल के बगैर ही सीएमडी द्वारा टेंडर जारी किये जा रहे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बोर्ड का सामूहिक अप्रूवल होना चाहिए। बोर्ड की सहमति के बगैर सीएमडी, हरियाणा राज्य सरकार से रिटायर्ड अपने लोगों या करीबियों की भर्ती कर रहे हैं। यूनीटेक लिमिटेड के सीईओ, एंटरटेनमेंट सिटी लिमिटेड के डायरेक्टर, एडवेंचर आइलैंड लिमिटेड के डायरेक्टर तथा यूनिटेक लिमिटेड की अन्य १८६ सहायक कंपनियों में नियुक्तियां बोर्ड मीटिंग बुलाये बगैर की गईं हैं। ये नियुक्तियां बोर्ड में कभी अप्रूव नहीं की गईं और सब सीएमडी के निर्णय से हुआ है। खरीदारों को मकान देने पर फोकस करने की बजाये सीएमडी महंगे नए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में लगे हुए हैं। इन प्रोजेक्ट्स के लिए फंड्स की व्यवस्था भी नहीं की गयी है। समय – समय पर बोर्ड आपत्ति करता रहा है लेकिन सीएमडी की जल्दबाजी उनकी खराब मंशा को ही दर्शाती है।

उपयोग नहीं किए जाने वाली जमीनों को यूनीटेक प्रबंधन को बेच देना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया है कि यूनीटेक प्रबंधन को देनदारों से बात करके उन जमीनों को बेच देना चाहिए जिनका कोई उपयोग नहीं किया गया है, ताकि फंड्स जनरेट हो सकें। लेकिन प्रबंधन को ऐसा करने में तनिक भी रुचि नहीं है। बकायेदारों/ऋणदाताओं की जितनी रकम बकाया है उससे दोगुनी वैल्यू की जमीनें वो रखे हुए हैं ऐसे में बकायेदारों से उचित बातचीत करने से आसानी से नकदी का प्रवाह बनाया जा सकता है लेकिन सीएमडी और उनके सहयोगी इसे लटकाए हुए हैं।

नए प्रबंधन द्वारा सैकड़ों करोड़ों की रकमें बतौर खर्चा दिखाई गयी हैं। इसमें पुराने प्रबंधन और सम्बंधित पक्षों को देय रकमें भी शामिल हैं। इसी तरह कोर्ट की सहमति के बगैर मुआवजा दिया जा रहा है जबकि कोर्ट की डिक्री लिए लोग लम्बे समय से अपने रिफंड की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वर्ष के दौरान कोई बिक्री हुई नहीं लेकिन एजेंटों को देय कमीशन/ब्रोकरेज के रूप में मोटी रकमें दिखाई गईं हैं। पुराने प्रबंधन द्वारा दशकों पहले किये गए खर्चे अब बैलेंस शीट में दर्ज किये गए हैं जिससे लगता है कि सूचना का कुछ आदान-प्रदान किया जा रहा है ताकि खर्चों को न्यायोचित दिखा कर उन्हें खातों में स्वच्छ करा दिया जाए।

वित्त वर्ष २०-२१ में दिखाए गए 76 करोड़ रुपये निर्माण तथा कार्य के खर्चे

20 जनवरी 2022 यानी जबसे प्रबंधन बदला है तबसे साईट पर निर्माण गतिविधियाँ ठप हैं फिर भी वित्त वर्ष २०-२१ में ७६ करोड़ रुपये निर्माण तथा कार्य के खर्चे में दिखाए गए हैं। रशीद अल्वी ने अंत में लिखा है कि ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में काफी कुप्रबंधन चल रहा है। बोर्ड से आधे लोग तो जा ही चुके हैं और बाकी भी जल्दी ही चले जायेंगे। जिसके बाद सीएमडी बचेंगे जो मनमर्जी से और बिना किसी हस्तक्षेप के कामकाज चलाना चाहते हैं। ऐसे में निवेदन है कि मंत्रालय को निर्देशित किया जाये कि जो सदस्य जा चुके हैं उन्हें पुनःनियुक्त किया जाए तथा कोर्ट के निर्देश के आलोक में सीएमडी का पद खत्म कर दिया जाये।

Deepak Kumar

Deepak Kumar

Next Story