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हिमाचल: कांग्रेस प्रभारी सुशील कुमार शिंदे बोले- राजनीति लड़ाई आम बात
कांग्रेस में संगठन और सरकार में मची रार थमने का नाम नही ले रही है। लॉबिंग जोरो पर हैं। इसी बीच मामले को सुलझाने पहुंचे हिमाचल कांग्रेस प्रभारी सुशील कुमार शिंदे
शिमला: कांग्रेस में संगठन और सरकार में मची रार थमने का नाम नही ले रही है। लॉबिंग जोरो पर हैं। इसी बीच मामले को सुलझाने पहुंचे हिमाचल कांग्रेस प्रभारी सुशील कुमार शिंदे ने राजनीति में इस तरह की लड़ाई को आम बात बताई। इसके साथ ही वे वीरभद्र सिंह को यह भी जताने से नही चूंके की पहले आपके(वीरभद्र दींह) और सुखराम के बीच भी बहुत लड़ाई थी। लेकिन हम लोगों ने मुद्दे को सुलझा लिया था। इस बार भी हम मामले को बात चीत से हल कर लेंगे।
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हिमाचल प्रभारी इतने पर ही नही रुके, उन्होंने सीएम वीरभद्र सिंह के आरोपों को खारिज करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी की जम कर तारीफ की और कहा कि वे संघर्ष से खुद से स्थापित करने वाले जमीनी नेता हैं। वो सामान्य परिवार से उठकर यहां पहुंचे हैं। जानकारों की माने तो यह बयान भी सीएम राजा वीरभद्र सिंह के लिए किसी तंज से कम नही है।
हिमाचल में जैसे जैसे विधान सभा चुनाव नजदीक आते जा रहे है वैसे वैसे वर्तमान सीएम और कांग्रेस के कद्दावर नेता वीरभद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। एक तरफ जहां सीबीआई एयर ईडी का शिकंजा ढीला होने का नाम नही ले रहा है दूसरी तरफ संगठन से उनके विरोध में उठने वाली आवाज़ उन्हें असहज कर रही है। ऐसे में हिमाचल चुनाव का आखिरी दृश्य कांग्रेस के लिए कैसा होगा इस पर कोई कुछ ठीक से बोलने को तैयार नही है। और नाही पॉलिटिकल पंडित ही हिमाचल विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति के बारे में कुछ कहने में सक्षम हैं। बताते चलें कि लगभग तीन दशकों से हिमाचल कांग्रेस में राजा रामपुर बुशहर वीरभद्र सिंह की तूती बोलती थी और वे अब तक छः बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बन चुके हैं।
हिमाचल कांग्रेस संगठन में आम चुनाव के पहले ही संगठन और सीएम में खुली मुखालफत है। जो आजकल रोज अखबारों की सुर्खियां बन रही हैं। सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह के बीच की तल्खी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वीरभद्र सिंह को सीधे कहना पड़ा कि वह सुक्खू के अध्यक्ष रहते चुनाव ही नही लड़ेंगे। वहीं कई बार ऐसा भी हुआ जब संगठन केंद्रीय कांग्रेस के प्रतिनिधियों के सामने और जनता में भी एक दूसरे के जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे एक साथ लगे।
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इसके अलावा सुखविंदर के क्षेत्र में नई तहसील का उद्घाटन करने गए सीएम वीरभद्र सिंह को बिना उद्घाटन किये ही बेरंग लौटना पड़ा।
हिमाचल कांग्रेस की सह प्रभारी बनाई गयी सांसद रंजीत रंजन ने भी सुखविंदर सिंह सुक्खू का पक्ष लेते हुए कहा कि सामान्य परिवार से यहां तक पहुंचना सुक्खू के संघर्ष को बयां करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही सारे मसले हल कर लिए जाएंगे।