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Delhi Ordinance Row: केद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को मिल गया कांग्रेस का साथ, केसी वेणुगोपाल का आया बड़ा बयान
Delhi Ordinance Row: दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच काफी समय से चल रही खींचतान का अब पटाक्षेप होता नजर आ रहा है। अन्य बीजेपी विरोधी सियासी पार्टियों की तरह आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी इस मुद्दे पर संसद के अंदर कांग्रेस का सपोर्ट चाहते थे।
Delhi Ordinance Row: दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच काफी समय से चल रही खींचतान का अब पटाक्षेप होता नजर आ रहा है। अन्य बीजेपी विरोधी सियासी पार्टियों की तरह आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी इस मुद्दे पर संसद के अंदर कांग्रेस का सपोर्ट चाहते थे, जिसे ग्रैंड ओल्ड पार्टी जाहिर करने में आनाकानी कर रही थी। विपक्षी एकजुटता की कवायद में ये मुद्दा बड़ा अड़ंगा साबित हो रहा था। लेकिन अब कांग्रेस ने आखिरकार फैसला ले लिया है।
कांग्रेस ने दिल्ली और पंजाब में अपनी सबसे बड़ी सियासी प्रतिद्वंदी को संसद में बीजेपी के खिलाफ समर्थन देने का मन बना लिया है। यानी केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली में नौकरशाहों को नियंत्रित करने के लिए जो अध्यादेश लाया गया है, संसद में उस पर वोटिंग के दौरान जदयू, राजद, टीएमसी सरीखी पार्टियों की तरह कांग्रेस भी विरोध में नजर आएगी। दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल इसके लिए काफी समय से जोर लगा रहे थे।
केसी वेणुगोपाल का आया बड़ा बयान
कल यानी सोमवार 17 जुलाई को बेंगलुरू में विपक्षी नेताओं की दूसरी बड़ी बैठक से पहले कांग्रेस ने अध्यादेश के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार का समर्थन करने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी बेंगलुरू में होने जा रही बैठक में शामिल हो रही है। अध्यादेश के मुद्दे पर हमारा रूख बिल्कुल साफ है, हम इसका समर्थन करने नहीं जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व सहयोगी उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के इस बयान का स्वागत किया है।
जयराम रमेश ने कल ही दिया था बड़ा संकेत
20 जुलाई को संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। कल यानी शनिवार शाम को इसे लेकर यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के संसदीय रणनीतिक समूह की बैठक हुई। जिसमें आगामी सत्र के दौरान कांग्रेस किन-किन मुद्दों पर सरकार को घेरेगी, इस पर चर्चा हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैठक में दिल्ली में केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश पर भी चर्चा हुई थी।
बैठक के बाद प्रेस से मुखातिब होने पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश से जब इसस़े जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी ने हमेशा राज्यों में निर्वाचित सरकारों के संघीय ढांचे पर किसी भी प्रकार के हमले का विरोध किया है। वो आगे भी ऐसा करना जारी रखेगी, संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह। उनके इस बयान को अध्यादेश के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार को समर्थन देने से जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि, कांग्रेस ने अपने बयान में कहीं भी सीधे तौर पर अध्यादेश का जिक्र नहीं किया था, लेकिन केजरीवाल को एक सकारात्मक मैसेज जरूर दे दिया था। दरअसल, इससे पहले कांग्रेस द्वारा ढुलमुल रवैया अपनाने पर आम आदमी पार्टी भड़क गई थी। आप नेताओं की ओर से कांग्रेस पर हमले भी शुरू हो गए थे। यहां तक की पार्टी के बेंगलुरू में होने वाली विपक्षी नेताओं की मीटिंग में शामिल होने को लेकर भी संशय था। लेकिन बताया जाता है कि व्यापक विपक्षी एकजुटता की कवायद को देखते हुए कांग्रेस ने समर्थन देने का मन बनाया है।
कांग्रेस क्यों कर रही थी आनाकानी ?
दरअसल, राजनीति में आम आदमी पार्टी के उभार ने सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को पहुंचाया है। दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में कांग्रेस पूरी तरह साफ हो चुकी है। यही वजह है कि इन दोनों ही राज्यों की कांग्रेस ईकाई केजरीवाल के साथ किसी तरह के सहयोग का विरोध कर रही है। दिल्ली कांग्रेस के अजय माकन और संदीप दीक्षित और पंजाब ईकाई के नेता लगातार आम आदमी पार्टी पर हमलावर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने इन विरोधों को आखिरकार दरकिनार करते हुए अरविंद केजरीवाल का समर्थन करने का निर्णय लिया है।