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Consumer Goods: कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ीं, कंपनियों ने छोटे पैक और कम मात्रा का रास्ता अपनाया

Consumer Goods: कच्चे माल की महंगाई की वजह से एफएमसीजी उत्पादों कीमतों में बढ़ोतरी हुई है – या तो एमआरपी में वृद्धि या पैकेज की मात्रा में कमी के माध्यम से।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 19 May 2022 4:28 PM IST
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छोटे पैक और कम मात्रा में सामान (फोटो-सोशल मीडिया)

Consumer Goods: जब हर चीज के दाम बढ़ रहे हैं तो एफएमसीजी यानी उपभोक्ता सामग्री बनाने वाली कंपनियों ने मुनाफा बनाये रखने का पुराना और टेस्टेड फार्मूला फिर लागू कर दिया है। ये फार्मूला है कीमत बढ़ाने के साथ साथ सामग्री (smaller packs) भी कम कर देना। इसके साथ साथ अब कंपनियों ने साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, बिस्कुट, नमकीन आदि वस्तुओं के सस्ते और छोटे पैक पर फोकस कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कच्चे माल की महंगाई की वजह से एफएमसीजी उत्पादों कीमतों में बढ़ोतरी हुई है – या तो एमआरपी में वृद्धि या पैकेज की मात्रा में कमी के माध्यम से।

शैम्पू ब्रांडों ने कीमतों में 47 फीसदी की बढ़ोतरी

साबुन जैसी कुछ श्रेणियों में पिछले एक साल (अप्रैल 2021-अप्रैल 2022) में कीमतों में 25 से 50 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई, जबकि डिटर्जेंट में इस साल फरवरी से अप्रैल तक तीन महीनों में कीमतों में 4 से 18 फिसदी की बढ़ोतरी देखी गई। उन्हीं तीन महीनों के दौरान, टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनियों ने अपने उत्पादों की कीमतों में 2 से 18 फीसदी की बढ़ोतरी की, जबकि कुछ शैम्पू ब्रांडों ने कीमतों में लगभग 47 फीसदी की बढ़ोतरी देखी। जहां खाद्य तेलों में 10 से 29 फीसदी की वृद्धि देखी गई, वहीं नूडल्स में 10 से 17 फीसदी की वृद्धि हुई।

डाबर, हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले, ब्रिटानिया, कोका कोला, पेप्सी और पीएंडजी जैसे प्रमुख उद्योग के खिलाड़ियों ने वजन में कटौती का विकल्प चुना है। स्नैक्स और चॉकलेट से लेकर साबुन की बट्टी तक, सब कुछ 'सिकुड़ने' के दौर से गुजर रहा है।

मिसाल के तौर पर एक बड़े भुजिया निर्माता ने अपने 55 ग्राम आलू भुजिया के पैकेट का वजन 42 ग्राम तक कम कर दिया है, जबकि नेस्ले ने अपने पहले के 80 ग्राम मैगी के वजन को घटाकर 55 ग्राम कर दिया है। विम जैसे साबुन ब्रांडों ने भी अपने साबुन का आकार 155 ग्राम से घटाकर 135 ग्राम कर दिया है।

वजन में कटौती का सहारा लिया

वैसे, महंगाई का आलम ये है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित दर अप्रैल में बढ़कर 15.1 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई, जबकि पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति भी आठ साल के उच्च स्तर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई। विश्लेषकों ने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के लिए इंडोनेशिया पाम तेल प्रतिबंध और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया है।

बहरहाल, एफएमसीजी कंपनियों के अनुसार, ग्रामेज कटौती (वजन में कमी) विशेष रूप से सस्ते मूल्य वाले उत्पादों पर केंद्रित है। मिसाल के तौर पर ब्रिटानिया ने 2021-22 के दौरान मूल्य वृद्धि के लगभग 65 फीसदी के लिए वजन में कटौती का सहारा लिया।था। कंपनी ने कहा था कि आगे जाकर वजन कटौती इससे भी अधिक हो सकती है।एफएमसीजी कंपनियों के लिए ऐसी कटौती ज्यादातर कम कीमत वाली वस्तुओं में होती है। ऐसे आइटम जिनकी कीमत 1, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये आदि होती है।

बढ़ती कीमतों के कारण उपभोक्ता, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, सस्ती वस्तुओं और छोटे पैक की ओर जा रहे हैं। शैम्पू, हेयर आयल या टूथपेस्ट आदि आइटम जो 1 रुपये से 20 रुपए तक की रेंज में हैं वह बड़े पैक की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसीलिए कंपनियां छोटे पैक पर फोकस कर रही हैं। कंपनियां अब एलयूपी (लो यूनिट पैक) का उत्पादन बढ़ा रही हैं। इसके अलावा, कंपनियां किफायती पैकेजिंग, रीसायकल उत्पादों और विज्ञापन व विपणन पर खर्च में कटौती का भी रास्ता अपना रही हैं।



Vidushi Mishra

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