Red Light on Car off Campaign: दिल्ली में रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान क्या है? जिस पर LG से जारी है 'जंग'

Red Light on Car off Campaign: दिल्ली में रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान पर दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के बीच एकबार फिर तनानती शुरू हो गई है।

Krishna Chaudhary
Published on: 29 Oct 2022 8:04 AM GMT
What is Red Light On Car Off Campaign in Delhi? On which the battle with LG continues
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दिल्ली में रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान पर मुख्यमंत्री केजरीवाल और LG के बीच विवाद: Photo- Social Media

Red Light on Car off Campaign: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) सरकार और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ( Lieutenant Governor Vinay Kumar Saxena) के बीच एकबार फिर तनानती शुरू हो गई है। दोनों के बीच इस बार तकरार राजधानी में प्रदूषण को कम करने के लिए लोगों के बीच चलाए जाने वाले जागरूकता अभियान 'रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान' (Red Light on Car Off campaign) को लेकर है। ये अभियान कल यानी 28 अक्टूबर से ही दिल्ली में शुरू होने वाला था लेकिन उपराज्यपाल की मंजूरी न मिलने के कारण ये ऐसा नहीं हो सका।

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और परिवहन मंत्री गोपाल राय इसे लेकर उपराज्यपाल सक्सेना पर हमलावर हैं। अरविंद केजरीवाल ने उन पर हमला करते हुए कहा कि गाड़ियों के प्रदूषण को कम करने के लिए 28 तारीख को शुरू होने वाले 'रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ' कैंपन को एलजी साहब द्वारा फाइल रोकने की वजह से स्थगित करना पड़ रहा है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। तो आइए समझते हैं कि आखिर ये अभियान है क्या जिस पर इतना हंगामा बरपा हुआ है।

क्या है रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान?

हर साल अक्टूबर का महीना आते ही दिल्ली गैस चैंबर बनने लगती है। हरियाणा – पंजाब में पराली जलाने और दिवाली के कारण राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ जाता है कि लोगों को सांस लेने तक में दिक्कत होने लगती है। ये सिलसिला करीब दो तीन माह तक रहता है। प्रदूषण को बढ़ाने में दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने वाले पेंट्रोल-डीजल और सीएनजी की गाड़ियों का भी अहम योगदान है।

ऐसे में दिल्ली सरकार ने वाहन प्रदूषण (Delhi air pollution) को नियंत्रित करने के लिए 16 अक्टूबर 2020 को राजधानी में पहली बार रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ अभियान शुरू किया था। इसके तहत वाहन चालकों को ट्रैफिक लाइट का इंतजार करने के दौरान गाड़ी के इंजन को बंद करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अच्छे फीडबैक के बाद इसे अगले साल यानी 2021 में भी जारी रखा गया है और अब इस साल भी 28 अक्टूबर से इसे शुरू करने की योजना थी।

30 प्रतिशत तक घट सकता है प्रदूषण

दिल्ली सरकार के इस कैंपेन पर कुछ लोग सवाल भी उठाते रहे हैं। उनका कहना रहा है कि इससे दिल्ली की आबोहवा पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ (पीसीआरए) के आंकड़े उनके कथन को गलत साबित करते हैं। पीसीआरए के मुताबिक, अगर ट्रैफिक सिग्नल पर लोग अपनी गाड़ी बंद कर दें तो प्रदूषण में 13 से 30 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है।

एक सरकारी आंकड़े के अनुसार, दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 28 प्रतिशत के आसपास है। ऐसे में अगर इस अभियान को ठीक से चलाया गया तो प्रदूषण में कुछ हद तक कमी लाई जा सकती है।

Shashi kant gautam

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