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'दोषी सांसदों-विधायकों के आजीवन चुनाव लड़ने पर लगे बैन', सुप्रीम कोर्ट में एमिकस क्यूरी की मांग
Life Ban On Convicted Politicians : देश में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि देशभर में एमपी-एमएलए के खिलाफ नवंबर 2022 तक कुल लंबित मामलों की संख्या 51,75 है।
Life Ban On Convicted Politicians : देश की अदालतों में जिन विधायकों (MLA's) और सांसदों (MP's) की किसी अपराध में दोषसिद्धि (Conviction) साबित हो जाती है, तो उनके चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट से आजीवन प्रतिबंध (Supreme Court Lifetime Ban) लगाने की मांग की गई है। शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया (Amicus Curiae Vijay Hansaria) ने अपनी 19वीं रिपोर्ट दाखिल की।
इस दौरान अदालत में एमिकस क्यूरी ने रिपोर्ट में इस बात का समर्थन करते हुए कहा है, कि अगर कोई राजनेता दोषी पाया जाता है तो उसके इलेक्शन लड़ने पर 6 साल के प्रतिबंध की बजाए आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चहिए। दरअसल, एमिकस क्यूरी (What is Amicus curiae) सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों का तेजी से निपटान की निगरानी कर रहा है।
एमिकस क्यूरी ने रिपोर्ट में क्या कहा?
गौरतलब है कि, सर्वोच्च न्यायालय में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के आर्टिकल-8 को चुनौती दी गई है। एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae Report ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 (Central Vigilance Commission Act, 2003) और लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद 'स्थायी अयोग्यता' या 'वैधानिक कार्यालय' धारण करने से हटाने का प्रावधान है। एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि, धारा-8 के तहत अपराध को गंभीरता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। मगर, सभी मामलों में दोषी ठहराया जाने के बाद अयोग्यता सिर्फ केवल 6 वर्ष की अवधि के लिए है।
लंबित मामलों के आंकड़े चौंकाने वाले
साल दर साल देशभर के सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। एक आंकड़े पर नजर डालें तो देशभर में सांसद और विधायकों के खिलाफ नवंबर, 2022 तक लंबित मामलों की कुल संख्या 5,175 है। वहीं, वर्ष 2018 में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या 4,122 रही थी।
सबसे ज्यादा मामले यूपी से
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या सबसे अधिक है। यूपी में नवंबर, 2022 तक कुल लंबित मामलों की संख्या 1377 है। यूपी के बाद सबसे ज़्यादा 546 केस बिहार में एमपी-एमएलए के खिलाफ लंबित हैं। शीर्ष अदालत में मामले की सुनवाई होनी है। फिलहाल एमिकस क्यूरी के सुझाव पर शीर्ष अदालत अंतिम फैसला लेगा।