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अदालत का डंडा चला तो जुलाई तक हर देशवासी को मिल जाएगी कोरोना की डोज
कोरोना टीकाकरण की मौजूदा व्यवस्था और दुनिया में दानदाता बनने की प्रवृत्ति पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने टीका निर्माण क्षमता और उत्पादन को लेकर पूरा ब्यौरा तलब किया है। अदालत ने साफ कहा है कि पहले टीका अपने देश के लोगों को दिया जाना चाहिए।
अखिलेश तिवारी
नई दिल्ली। कोरोना टीकाकरण की मौजूदा व्यवस्था और दुनिया में दानदाता बनने की प्रवृत्ति पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने टीका निर्माण क्षमता और उत्पादन को लेकर पूरा ब्यौरा तलब किया है। अदालत ने साफ कहा है कि पहले टीका अपने देश के लोगों को दिया जाना चाहिए। ऐसे में अगर अदालत का डंडा चला तो अगले चार से पांच महीने में देश के सभी नागरिकों को कोरोना टीका दिया जा सकेगा क्योंकि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 320 करोड़ डोज सालाना कर लिया है। जो भारत की जनसंख्या का लगभग तीन गुऩा होता है।
भारत में कोरोना वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। हालांकि इस दिशा में कई अन्य कंपनियां भी सक्रिय हैं लेकिन स्थानीय व दुनिया के अन्य देशों की जरूरत को देखते हुए सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बॉयोटेक की उत्पादन क्षमता को अभी और बढ़ाया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि देश की फार्मा इंडस्ट्री के साथ निर्माण समझौता भी विकल्प है जिससे दोनों कंपनियों को मुनाफा भी होगा और जल्द से जल्द उत्पादन किया जा सकेगा।
कंपनियों ने हाल में बढ़ाई है उत्पादन क्षमता
भारत के नागरिकों समेत दुनिया को वैक्सीन देने के लिए देश की वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने अपनी प्रोडक्शन क्षमता में पिछले महीनों के दौरान बड़ा इजाफा किया है। स्वदेशी सीरम इंस्टीट्यूट ने सालाना उत्पादन क्षमता 160 करोड़ डोज से बढ़ाकर 250 करोड़ कर ली है। वहीं, भारत बायोटेक ने भी अपनी सालाना उत्पादन क्षमता 20 करोड़ डोज से बढ़ाकर 70 करोड़ डोज पर पहुंचा दिया है। बताया जा रहा है कि सीरम इंस्टीट्यूट प्रबंधन क्योंकि पहले से ही वैक्सीन निर्माण को लेकर आश्वस्त था ऐसे में उसने वैक्सीन रिसर्च पर काम करने के दौरान ही अपने प्रोडक्शन इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार पर भी काम शुरू कर दिया था।
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यही वजह है कि उसने अपनी वैक्सीन निर्माण क्षमता बढ़ाकर ढाई सौ करोड़ डोज सालाना कर ली है। कंपनी प्रबंधन क्षमता विस्तार योजना पर भी काम कर रहा है क्योंकि उसे बाजार बड़ा दिखाई दे रहा है। दूसरी ओर भारत बायोटेक ने अपनी क्षमता बढ़ाकर 70 करोड़ करने का फैसला किया है। हैदराबाद में कोवैक्सीन के 20 करोड़ डोज बनेंगे और 50 करोड़ चार अन्य शहरों में तैयार किए जाएंगे। कंपनी ने चार जगह फैसिलिटी बनाने का काम शुरू कर दिया है। सरकार ने अब तक करीब ढाई करोड़ वैक्सीन डोज ऑर्डर दिए हैं। जिसमें एक करोड़ ऑर्डर भारत बायोटेक को गए हैं।
मौजूदा आपूर्ति व्यवस्था में लगेंगे तीन से चार साल
दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना टीकाकरण को लेकर जो कड़ा रुख अपनाया है उसकी वजह है कि अगर कंपनियों की ऐसी ही मनमानी जारी रही और दूसरे देशों को दान दिया जाता रहा तो भारत के लोगों को कोरोना वैक्सीन मिलने में तीन से चार साल लग जाएंगे। दुनिया की आबादी लगभग सात अरब है और पूरी दुनिया के लिए चौदह अरब टीकों की जरूरत होगी। भारत को भी लगभग ढाई सौ करोड़ अथवा 270 करोड़ डोज की आवश्यकता है।
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भारत सरकार ने अब तक ढाई करोड़ वैक्सीन खरीदी है। अगर भारत के दस करोड़ लोग भी खुद टीका खरीद लेते हैं तब भी विदेश में मांग बरकरार रहने की वजह से वैक्सीन के दाम कम नहीं होंगे और देशवासियों को टीका नहीं मिल पाएगा। ऐसे में अदालत का डंडा ही कारगर साबित हो सकता है जब देश वासियों को वैक्सीन देना प्राथमिकता में शामिल किया जाए और साल के अंत तक सभी देशवासियों को टीका लगा दिया जाए।