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Coronavirus Vaccine: रूस के बाद भारत में हलचल, जानें किस स्टेज पर पहुंचा ट्रायल
पूरी दुनिया में कोरोना का कहर है। और इससे निपटने के लिए दुनिया के हर देश वैक्सीन बनाने में जुटा है। इसी कड़ी में रूस ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बनाने का दावा किया है, इसके बाद से दुनिया के कई देशों में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी है, इसमें से एक भारत भी है।
नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोरोना का कहर है। और इससे निपटने के लिए दुनिया के हर देश वैक्सीन बनाने में जुटा है। इसी कड़ी में रूस ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बनाने का दावा किया है, इसके बाद से दुनिया के कई देशों में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी है, इसमें से एक भारत भी है।
ट्रायल का फेज़ 1 पूरा
वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगा भारत धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। देश में जारी वैक्सीन के ट्रायल का फेज़ 1 लगभग पूरा हो चुका है। बायोटेक की ओर से बनाई जा रही को-वैक्सीन का पहला ट्रायल पूरा होने के बाद सितंबर में दूसरे फेज़ की शुरुआत होगी। इसकी रिपोर्ट सबमिट कर दी जाएगी। जिसमें पहले फेज़ की पूरी जानकारी होगी, अब दूसरे फेज़ की तैयारी शुरू हो रही है। ये सितंबर में शुरू होगा, जिसके लिए कैंडिडेट की तलाश जारी है।
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कुल 12 सेंटर पर वैक्सीन का ट्रायल
बायोटेक के तहत देश में कुल 12 सेंटर पर वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है, इनमें दिल्ली के एम्स अस्पताल में अभी पहला फेज़ जारी है। जबकि अन्य 11 पर लगभग ये पूरा हो गया है। दिल्ली एम्स में ट्रायल के लिए सिर्फ 16 कैंडिडेट ही सामने आ सके। जबकि सभी 12 सेंटर पर ये संख्या 375 के करीब रही।
महाराष्ट्र के नागपुर में 55 कैंडिडेट को वैक्सीन दी गई, जिसमें से कुछ को वैक्सीन देने के बाद बुखार की समस्या हुई जो कुछ ही घंटे में ठीक हो गया। उनमें किसी तरह का कोई अन्य लक्षण नहीं दिखा। अब पहले फेज़ की रिपोर्ट जमा होगी, तबतक दूसरे फेज के लिए कैंडिडेट का तलाशना शुरू हो गया।
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ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को भी ट्रायल का इंतजार
देश में इस वक्त तीन वैक्सीन पर अलग-अलग फेज़ में ट्रायल हो रहा है, इनमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को फेज 2-3 की इजाजत मिल गई है। जल्द ही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का भी ट्रायल शुरू होगा ।इसके तहत 20 राज्यों के अस्पतालों में ट्रायल हो रहा है, जिसमें (ICMR )की सलाह पर अलग-अलग हॉटस्पॉट को चुना गया है।
बता दें कि रूस के कोरोना वैक्सीन को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। जैसे कम लोगों पर टेस्ट करना, अलग-अलग साइड इफेक्ट होना और डब्ल्यूएचओ की मंजूरी ना होना, ऐसे में दुनिया को अब भी भरोसेमंद वैक्सीन का इंतजार है।
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