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कोरोना हुआ विकराल: चिता जलाने के लिए जगह नहीं, मचा हाहाकार
दिल्ली में एक बार फिर से कोरोना ने रफ़्तार पकड़ ली है। कोरोना से होने वाली मौतों में तेज़ी से इजाफा हो रहा है। राजधानी में हालात इतने बिगड़ते जा रहे है कि श्मशान घाटों पर चिताओं को जलाने के लिए भी 3 से 4 घंटे की वेटिंग मिल रही है।
दिल्ली में एक बार फिर से कोरोना ने रफ़्तार पकड़ ली है। कोरोना से होने वाली मौतों में तेज़ी से इजाफा हो रहा है। राजधानी में हालात इतने बिगड़ते जा रहे है कि श्मशान घाटों पर चिताओं को जलाने के लिए भी 3 से 4 घंटे की वेटिंग मिल रही है।
श्मशान घाटों पर लंबी लाइन
वही संदीप नाम के एक शख्स का कहां है कि वह निगमबोध घाट पर गुरुवार सुबह 10 बजे पहुंचे थे। लेकिन वह पहले से ही 5 एंबुलेंस मौजूद थीं। जिस कारण उन्हें दोपहर 3 बजे का वेटिंग नंबर दे दिया गया।
नॉर्थ दिल्ली नगर निगम में आने वाले निगमबोध घाट पर हो रहे वेटिंग मामले पर मेयर जय प्रकाश ने कहां कि निगमबोध घाट पर लाशों को जलाने के लिए कुल 104 प्लेटफार्म हैं। उनका कहां है कि इन 104 प्लेटफार्म में से 50 को कोविड के लिए रिजर्व किया गया है. कोविड के लिए सीएनजी के डेडिकेटेड प्लेटफार्म हैं।
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तीन दिनों में रोज़ 12 शवों को शमशान ले जा रहे
वही एंबुलेंस के एक ड्राइवर का कहना है कि पिछले तीन दिनों में दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों से हर रोज़ 12 शवों को शमशान ले जा रहे हैं। अपनी दादी के अंतिम संस्कार करने पहुंचे एक शख्स ने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत अस्पताल के मुर्दाघर से शव को श्मशान घाट लाया गया। उन्होंने बताया कि पहले वो स्पाइन इंजरी अस्पताल गए वह बेड नहीं मिला। जिसके बाद मैक्स साकेत, फोर्टिस अस्पताल (वसंत कुंज) , डिफेंस कॉलोनी के सभी अस्पतालों और डीआरडीओ के कॉल सेंटर में कॉल किया लेकिन आईसीयू बेड नहीं था। आखिर में उन्हें एलएनजेपी में भर्तीकराया गया, लेकिन वो बच नहीं सकीं।
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9 दिनों में 167 कोविड लाशों का अंतिम संस्कार
निगमबोध घाट के सुपरवाइजर अवधेश शर्मा का कहना है कि श्मशान घाट पर लाशें जुलाई में कम आईं। वही अगस्त में फिर से इनकी संख्या बढ़ी। सितम्बर में एक बार फिर से संख्या कम हुई। जिसके बाद पूरे अक्टूबर में रोज 10 या 12 शव आने लगे। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर से हर रोज 18 से 20 लाशें आ रही हैं। आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 9 दिनों में निगमबोध घाट पर कुल 167 कोविड लाशों का अंतिम संस्कार किया गया।
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