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Coronavirus 3 Years: 24 मार्च को ताले में बंद था देश, याद करिए लॉकडाउन का वो दिन, आइये जाने क्या-क्या खोया भारत ने
Coronavirus 3 Years: कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों का आंकड़ा 500 तक पहुंच गया था, जिसको देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन का फैसला लिया था ।
Coronavirus 3 Years: भारत के इतिहास में 24 मार्च का दिन बेहद खास है। आज के दिन 3 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में लॉकडाउन का ऐलान किया था। उस दिन भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों का आंकड़ा 500 तक पहुंच गया था, जिसको देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन का फैसला लिया और इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ था जब पूरा देश ठप हो गया था।
कोरोना महामारी
कोरोना वायरस यूं तो चीन में 2019 के अंत में ही काफी फैला चुका था लेकिन किसी को अंदेशा नहीं था कि यह पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लेगा। भारत में स्थिति यह थी कि केरल में 30 जनवरी 2020 को कोरोना वायरस संक्रमण के पहले मामले की पुष्टि की गयी। जिसे कोरोना संक्रमण हुआ था वह एक छात्र था जो चीन वुहान के एक विश्वविद्यालय में पढ़ रहा था और अब भारत लौटा था। 2020 की 22 मार्च तक भारत में कोरोना के पॉजिटिव मामलों की संख्या 500 तक पहुँच गयी थी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च को सभी नागरिकों को 22 मार्च रविवार को सुबह 7 से 9 बजे तक ‘जनता कर्फ्यू’ का पालन करने को कहा। इसके बाद 24 मार्च को दूसरी बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की जो 24 मार्च की अधि रात से लागू होने वाला था। उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन जनता कर्फ्यू की तुलना में सख्ती से लागू किया जाएगा। और जो जहाँ है उसे वहीँ पर रहना चाहिए।
लॉक डाउन के दिन
24 मार्च 2020 को देश की जनता ने पहली बार लॉकडाउन जैसी बात सुनी। लोग हैरान थे। ट्रेनें, फ्लाइट्स, बसें, निजी वाहन – सब बंद। स्कूल, कालेज, आफिस, बाजार बंद। सबको घर के भीतर ही रहना होगा। लोगों की कल्पना से परे की बात थी। गृह मंत्रालय ने कहा था कि जो व्यक्ति लॉकडाउन का पालन नहीं करेंगे उन्हें एक साल तक की जेल भी की जा सकती है।
ऑनलाइन सेवाएँ
25 मार्च सुबह सड़कें वीरान थीं, हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। यदि कोई सड़क पर निकलता भी था, तो पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों की कड़ी पूछताछ का सामना करना पड़ता। लॉकडाउन के कारण कोरोना की रफ्तार तो धीमी रही, लेकिन इसके बावजूद मामले बढ़ते रहे। इसके बाद 15 अप्रैल से 3 मई तक 19 दिन का दूसरा संपूर्ण लॉकडाउन लगाया गया। तीसरा लॉकडाउन 4 मई से 17 मई 2020 तक 14 दिन का रहा और चौथा लॉकडाउन भी 14 दिन का था, जो 18 मई से 31 मई 2020 तक लगाया गया।
ई-कॉमर्स का बूम
लॉकडाउन में लोगों को ऑनलाइन डिलीवरी सिस्टम की अहमियत समझ आई। लोगों को दावा, खाना, जरूरी सामान पहुंचाने के लिए डिलीवरीमैन उस कोरोना के भयानक काल में भी घर घर दौड़ते रहे। सरकार ने लोगों की सहूलियत के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइटों और विक्रेताओं के साथ बैठकें की, ताकि लॉकडाउन अवधि के दौरान पूरे देश में आवश्यक सामानों की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके। जगह जगह लोगों ने गरीब लोगों, रोज कमाने वाले मेहनतकश परिवारों की मदद के लिए अपनी तरफ से खाना, राशन आदि बांटना शुरू किया।
लोगों की घर वापसी
लॉकडाउन की एक मुश्किल घटना बड़ी संख्या में लोगों का बड़े शहरों से अपने गाँव-कस्बों की तरफ चल पढ़ना था। परिवार को लेकर लोग पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों को चल निकले। ये एक अविस्मरणीय नजारा था। कई राज्यों ने गरीब और प्रभावित लोगों के लिए राहत राशि की घोषणा की, जबकि 26 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद के लिए 1,70,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की।
बहरहाल, मई 2020 आते-आते कोरोना की पहली लहर धीरे-धीरे थमने लगी थी और जिंदगी एक बार फिर वापस पटरी पर आने लगी और इसी के साथ अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई। मार्च से मई अंत तक संपूर्ण लॉकडाउन के बाद धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होने लग गईं। कोरोना की दूसरी और भी भयानक लहर 2021 में आई लेकिन लोग उस व्यापक और सम्पूर्ण लॉक डाउन से दूर रहे।