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दिल्ली-कोलकाता और दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर लगेगी बाड़

raghvendra
Published on: 15 Dec 2017 7:41 AM GMT
दिल्ली-कोलकाता और दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर लगेगी बाड़
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कोलकाता। दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर माल गाडिय़ों के लिए अलग से डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की मंजूरी के बाद रेल मंत्रालय अब इस रूट पर यात्री ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। तेज रफ्तार ट्रेनों की सेफ्टी के लिए सबसे व्यस्त रूट दिल्ली-कोलकाता और दिल्ली-मुंबई के दोनों तरफ बाड़ लगाये जाने की परियोजना पर कार्य शुरू कर दिया जायेगा।

रेलवे की ओर से 18 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी योजना को जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। दिल्ली-मुंबई (1,384 किलोमीटर) और दिल्ली-हावड़ा (1,450 किलोमीटर) रूट पर पटरी के दोनों ओर बाड़ लगाने के अलावा ट्रैक सिग्नल व्यवस्था को उन्नत बनाने के साथ मानवरहित रेल फाटकों को खत्म करना भी रेल मंत्रालय के प्रस्ताव में शामिल है।

इस प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड, नीति आयोग और वित्त मंत्रालय की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। अब कैबिनेट की मंजूरी की प्रतीक्षा है, जिसके बाद परियोजना पर काम शुरू हो जाएगा। इस परियोजना की परिकल्पना इस मकसद से की गयी है कि दोनों व्यस्त कॉरिडोर में 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन हो।

बाड़ लगाये जाने से रेल पटरियों पर मानव और मवेशियों का आना बंद हो जाएगा, जिससे फास्ट ट्रेनों का निर्बाध परिचालन सुनिश्चित हो पायेगा। एक बार 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनों का परिचालन इन मार्गों पर शुरू होने के बाद इसे फिर 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार के लिए तैयार किया जाएगा। व्यावहारिक अध्ययन के अनुसार, इन दोनों रेलमार्गों पर उच्च दर से रिटर्न आ रहा है, इसलिए यह परियोजना लाभकारी है। वर्तमान में नेटवर्क में भीड़-भाड़ के चलते ट्रेनों की रफ्तार पर भारी असर पड़ता है।

दिल्ली-कोलकाता रेलमार्ग पर कुल अनुमानित लागत सात हजार करोड़ रुपये आ सकती है और दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर कुल लागत 11 हजार करोड़ रुपये आने का अनुमान है। इसमें सिर्फ बाड़ लगाने पर दो हजार 200 करोड़ रुपये की लागत आयेगी।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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