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Supreme Court News: 'हम सेना के कामकाज को संचालित नहीं कर सकते', आखिर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सेना से जुड़े तीन केस आए। इन याचिकाओं में पदोन्नति सहित कई मुद्दे उठाए गए। सुनवाई कर रही बेंच में सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। जानें क्या है पूरा मामला...

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Published on: 22 Sep 2023 5:15 PM GMT (Updated on: 22 Sep 2023 5:23 PM GMT)
Supreme Court News
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Supreme Court (Social Media)

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 सितंबर) को एक महिला कर्नल की याचिका पर सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, कोर्ट सेना को संचालित नहीं कर सकतीं।' दरअसल, महिला कर्नल को सैनिकों की एक कंपनी का प्रभार सौंपा गया था, जिसकी कमान आमतौर पर दो रैंक कनिष्ठ मेजर (Two Rank Junior Major) के पास होती है। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI D.Y. Chandrachur) की अध्यक्षता वाली बेंच 3 मामलों की संयुक्त सुनवाई कर रही थी। इनमें दो याचिकाएं थल सेना की महिला अधिकारियों और एक पिटीशन नौसेना की महिला अधिकारियों की ओर से दायर की गयी थी।

सर्वोच्च न्यायालय के सामने दायर इन याचिकाओं में प्रमोशन सहित कई मुद्दे उठाए गए। सुनवाई कर रही बेंच में जस्टिस जे. बी. पारदीवाला (Justice J. B. Pardiwala) और जस्टिस मनोज मिश्रा (Justice Manoj Mishra) शामिल थे।

'हम सेना के कामकाज को संचालित नहीं कर सकते'

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा (Senior Advocate Meenakshi Arora) ने जब कोर्ट को अवगत कराया कि, महिला कर्नल को एक कंपनी का प्रभार सौंप दिया गया है, जबकि इसका नेतृत्व आमतौर पर मेजर रैंक का अधिकारी करता है। इस पर सुनवाई कर रही पीठ ने कहा, 'हम अब सेना के कामकाज को संचालित नहीं कर सकते।'

'ये उस महिला अधिकारी का घोर अपमान है, जो...'

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, 'हम क़ानूनी मामलों में हस्तक्षेप करते हैं। आगे कहा, 'निश्चित तौर पर हम सेना की कमांड संरचना को संचालित करना शुरू नहीं कर सकते।' सेना के अधिकारी ने कहा, यह ऐसा मामला है, जहां एक महिला ऑफिसर को स्थायी कमीशन दिया गया है। जबकि वो सेना में एक कर्नल हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने अपनी दलील में कहा, ये उस महिला अधिकारी का घोर अपमान है, जो अब कर्नल है।' इस पर पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी (Attorney General R Venkataramani) से कहा, 'आपने अब शिकायत सुन ली है।'

SC ने कहा- कुछ मुद्दे अधिकारी स्वयं ही सुलझा सकते हैं

सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तारीख मुक़र्रर की है। अदालत ने कहा, 'कुछ मुद्दे हैं, जिन्हें निश्चित रूप से अधिकारी स्वयं ही सुलझा सकते हैं।' बेंच ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि, वे दो पन्नों का एक नोट जारी करें। जिसमें उनकी शिकायतें बताई गई हों। उनसे कहा कि प्रतिवादी अधिकारी (Responding Officer) उठाए गए मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए स्वतंत्र होंगे। हालांकि, खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि इन कार्यवाहियों के लंबित रहने से सेना और नौसेना अधिकारियों (Naval Officers) को याचिकाकर्ताओं की शिकायतों पर गौर करने तथा उनके निवारण से नहीं रोका जाएगा।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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