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Covaxin : चिंता की बात! कोवैक्सिन लगाने वालों को भी गंभीर साइड इफ़ेक्ट

Covaxin : कोरोना से बचाव के लिए लगे टीकों के खराब साइड इफ़ेक्ट की बात अब सामने आ रही है। कोविशील्ड बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्रा ज़ेनेका ने एक अदालत में स्वीकार किया है कि उसके टीके से कुछ लोगों में गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।

Neel Mani Lal
Published on: 16 May 2024 7:32 PM IST (Updated on: 16 May 2024 7:39 PM IST)
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सांकेतिक तस्वीर (Photo - Social Media)

Covaxin : कोरोना से बचाव के लिए लगे टीकों के खराब साइड इफ़ेक्ट की बात अब सामने आ रही है। कोविशील्ड बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्रा ज़ेनेका ने एक अदालत में स्वीकार किया है कि उसके टीके से कुछ लोगों में गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। अब भारत में डेवलप की गयी कोवैक्सिन के दुष्परिणामों की बात सामने आई है। कोवैक्सिन को हैदराबाद के कंपनी ‘भारत बायोटेक’ ने डेवलप किया था। कोवैक्सीन के साइड इफेक्ट के बारे में आई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस वैक्सीन को लगवाने के करीब एक साल बाद तक लोगों में इसके साइड इफेक्ट देखे गए। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित किशोर लड़कियां थीं और कुछ साइड इफेक्ट बेहद गंभीर किस्म के हैं।

बीएचयू की रिपोर्ट

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किए गए एक साल के फॉलोअप अध्ययन के अनुसार, भारत बायोटेक की एंटी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन लेने वाले लगभग एक-तिहाई व्यक्तियों ने ‘विशेष रुचि की प्रतिकूल घटनाओं’ या एईएसआई की सूचना दी है। विशेष रुचि की प्रतिकूल घटनाओं से मतलब ऐसे साइडइफ़ेक्ट जो गंभीर प्रकृति के हैं। .

बीएचयू के अध्ययन में भाग लेने वाले 926 प्रतिभागियों में से लगभग 50 प्रतिशत ने फॉलोअप अवधि के दौरान संक्रमण की शिकायत की, ये संक्रमण विशेषकर ऊपरी श्वसन पथ के वायरल संक्रमण थे। अध्ययन में दावा किया गया है कि गंभीर एईएसआई, जिसमें स्ट्रोक और गुइलेन-बैरी सिंड्रोम शामिल थे, एक प्रतिशत व्यक्तियों में रिपोर्ट किए गए थे।

‘स्प्रिंगर नेचर’ जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल दिग्गज एस्ट्रा जेनेका द्वारा ब्रिटेन की अदालत में यह स्वीकार करने के बाद आया है कि उसका कोरोना टीका रक्त के थक्के जमने और प्लेटलेट काउंट कम होने के दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है।

एक तिहाई लोगों में हुआ साइड इफ़ेक्ट

जनवरी 2022 से अगस्त 2023 तक आयोजित अध्ययन में कहा गया है कि करीब एक तिहाई व्यक्तियों में ‘एईएसआई’ विकसित हुआ। टीका प्राप्त करने के बाद किशोरों में त्वचा और त्वचा के नीचे के विकार, सामान्य विकार और तंत्रिका तंत्र विकार देखे गए। अध्ययन में 635 किशोरों और 291 वयस्कों को शामिल किया गया, जिन्हें कोवैक्सिन यानी बीबीवी 152 टीका मिला था।

टीकाकरण के एक साल के बाद प्रतिभागियों से ‘विशेष रुचि की दीर्घकालिक प्रतिकूल घटनाओं’ के बारे में टेलीफोन पर साक्षात्कार लिया गया। त्वचा के विकार (10.5 प्रतिशत), सामान्य विकार (10.2 प्रतिशत), और तंत्रिका तंत्र विकार (4.7 प्रतिशत) किशोरों में आम साइड इफ़ेक्ट थे।

वहीं, वयस्कों में सामान्य विकार (8.9), मस्कुलोस्केलेटल विकार (5.8 प्रतिशत), और तंत्रिका तंत्र विकार (5.5 प्रतिशत) आम साइड इफ़ेक्ट थे। 4.6 प्रतिशत महिला प्रतिभागियों में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं देखी गईं। अध्ययन में कहा गया है कि 2.7 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत प्रतिभागियों में नेत्र संबंधी असामान्यताएं और हाइपोथायरायडिज्म देखा गया।

- वयस्कों में चार मौतें (तीन महिलाएं, एक पुरुष) दर्ज की गईं। इन चारों को डायबिटीज था, जबकि तीन को हाईबीपी था, और उनमें से दो में पूर्व-टीकाकरण कोरोना का इतिहास मौजूद था।

- दो मौतों में स्ट्रोक मुख्य कारण था और एक मृत्यु कोरोना के उपरान्त ‘राइनोसेरेब्रल म्यूकोर्मिकोसिस’ के कारण हुई थी, जो कथित तौर पर टीकाकरण के बाद फैल गया था, जैसा कि देखभाल करने वालों द्वारा बताया गया।

- चौथी मौत एक महिला की हुई, जो टीकाकरण के बाद बेहोशी की कई घटनाओं से जूझ रही थी, जिसका कारण मृत्यु तक अज्ञात रहा।

- किसी निश्चित कार्य-कारण संबंध के अभाव में, इन घटनाओं से कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।

लम्बे समय तक निगरानी जरूरी

अध्ययन में बताया गया है कि अधिकांश दुष्परिणाम एक महत्वपूर्ण अवधि तक बने रहने के कारण, देर से शुरू होने वाले दुष्प्रभावों और उसके परिणामों को समझने के लिए कोरोना टीकाकरण वाले व्यक्तियों की लम्बे समय तक निगरानी जरूरी है। शोधकर्ताओं के अनुसार, गंभीर दुष्परिणाम असामान्य नहीं हो सकता है और कोरोना टीकाकरण के बाद की घटनाओं को समझने के लिए बढ़ी हुई जागरूकता और बड़े अध्ययन की आवश्यकता है।

महिलाओं, किशोरों में टीके से पहले कोरोना का होना, किसी अन्य बीमारी वाले लोग और टीकाकरण के बाद टाइफाइड वाले लोगों में लगातार दुष्परिणामों की संभावना क्रमशः 1.6, 2, 2.7 और 3.2 गुना अधिक थी। अध्ययन में कहा गया है कि किसी अन्य बीमारी वाले वयस्कों में दुष्परिणाम होने और लगातार बने रहने होने की संभावना दो गुना से अधिक थी।

अध्ययन में कहा गया है कि कोवैक्सिन की दो खुराक लेने वाले वयस्कों की तुलना में तीन खुराक प्राप्त करने वाले वयस्कों और एक खुराक प्राप्त करने वाले वयस्कों में एईएसआई का जोखिम क्रमशः चार और दो गुना अधिक था।

Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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