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क्या किसी को दोबारा हो सकता है कोरोना? ICMR ने बताया

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रतिनिधि ने एंटी-बॉडी और कोरोना वायरस के हमले के बारे में बड़ी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब भी कोई वायरस किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटी-बॉडी तैयार करता है।

Dharmendra kumar
Published on: 16 April 2020 2:58 PM GMT
क्या किसी को दोबारा हो सकता है कोरोना? ICMR ने बताया
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नई दिल्ली: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रतिनिधि ने एंटी-बॉडी और कोरोना वायरस के हमले के बारे में बड़ी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जब भी कोई वायरस किसी स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटी-बॉडी तैयार करता है। इसके साथ ही उन्होंने चेताया कि अगर आपका शरीर एंटी-बॉडी तैयार कर भी ले तो इसका मतलब यह नहीं है कि आगे जाकर फिर कभी कोरोना का हमला हुआ तो वह एंटी-बॉडी उसे परास्त कर ही देगी।

उन्होंने बताया, लेकिन किसी भी वायरस के खिलाफ अगर कोई एंटी-बॉडी तैयार होती है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह वायरस जब भी हमला करेगा तो ऐंटि-बॉडी उसे परास्त कर देगी। यानी, एंटी-बॉडी दिखे तो भी यह नहीं कहा जा सकता है कि आप कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं होगे।

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उन्होंने इसके बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में अगर कोई वायरस गया तो उससे लड़ने के लिए हमारा शरीर शस्त्र तैयार करता है जिसे वैज्ञानिक भाषा में एंटी-बॉडी कहते हैं। एंटी-बॉडी वायरस के बिल्कुल उलट होती है। यह वायरस में चिपक जाती और वायरस नाकाम हो जाता है।

उन्होंने कहा कि एंटी-बॉडी कई तरह की होती है। एक है आईजीएम जो शरीर में ज्यादा दिन नहीं रुकती, थोड़े दिन में यह चली जाती है। आईजीएम एंटी-बॉडी आती है तो इसका मतलब है कि संक्रमण कुछ वक्त पहले ही हुआ है। उन्होंने कहा कि जब आईजीजी एंटी-बॉडी आएगी तो पता चलता है कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है, लेकिन अगर सिर्फ आईजीजी एंटि-बॉडी दिखी और आईजीएम नहीं दिखी तो समझना चाहिए कि यह पुराना संक्रमण है।

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''5 लाख रैपिड टेस्ट किट आए भारत''

ICMR के प्रतिनिधि ने जानकारी दी की कि देश में 5 लाख रैपिड टेस्टिंग किट आ गए हैं। उन्होंने कहा कि दो किस्म के रैपिड टेस्ट किट आ चुके हैं। दोनों मिलाकर 5 लाख किट्स आए हैं। ल्यूजॉन और वॉनफ्लो के किट्स हैं। दोनों किट्स की सेंसेटिविटी 80 प्रतिशत से ज्यादा है। ये सिरॉलॉजिक किट्स हैं।

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उन्होंने आगे बताया कि यह जानना इसलिए जरूरी है, क्योंकि जब रैपिड टेस्टिंग करेंगे तो ध्यान रखना होगा कि उन्हीं लोगों की बीमारी पकड़ पाएगी जिनमें संक्रमण थोड़ा पहले हुआ है, तुरंत नहीं। इसलिए रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल रोगों की जांच के लिए नहीं किया जाता है, बल्कि यह देखने के लिए होता है कि किसी खास क्षेत्र में वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है या नियंत्रित है या घट रहा है।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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