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खुशखबरी: भारत में जल्द आएगी वैक्सीन, सिर्फ इतनी होगी कीमत
कोरोना से जीतने के लिए इसकी वैक्सीन का होना बहुत जरूरी है। जब इसकी वैक्सीन नहीं बन जाती इसे कंट्रोल करना मुश्किल है। पूरी दुनिया की नजर वैक्सीन पर टिकी है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अच्छी खबर है कि वहां इस वैक्सीन पर ह्यूमन ट्रायल चल रहा है और ट्रायल में बेहतर रिजल्ट रहे हैं। भारत में भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस वैक्सीन का प्रोडक्शन किया जाएगा।
नई दिल्ली : कोरोना से जीतने के लिए इसकी वैक्सीन का होना बहुत जरूरी है। जब इसकी वैक्सीन नहीं बन जाती इसे कंट्रोल करना मुश्किल है। पूरी दुनिया की नजर वैक्सीन पर टिकी है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अच्छी खबर है कि वहां इस वैक्सीन पर ह्यूमन ट्रायल चल रहा है और ट्रायल में बेहतर रिजल्ट रहे हैं। भारत में भी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की इस वैक्सीन का प्रोडक्शन किया जाएगा।
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बस प्रूफ की जरूरत
ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन को लेकर एक न्यूज चैनल ने ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के डायरेक्टर एंड्रयू जे पोलार्ड और पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला से बात की। एंड्रयू पोलार्ड ने बताया कि एंटीबॉडी रेस्पॉन्स से पता चलता है कि ये वैक्सीन काफी कारगर है।उन्होंने कहा ट्रायल में सफलता नजर आने के बावजूद अब हमें इसके प्रूफ की जरूरत है कि ये वैक्सीन कोरोना वायरस से बचा सकती है।
पोलार्ड ने बताया अब इस वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग लोगों पर किया जाएगा और आकलन किया जाएगा कि दूसरे लोगों पर इसका कैसा असर दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान वैक्सीन बनाना और इसे पूरी दुनिया को सप्लाई करना एक बड़ी चुनौती है। इस सवाल के जवाब में अमेरिका और चीन में भी काम चल रहा है।
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कोई शॉर्टकट नहीं
कहा जा रहा है कि कोविड वैक्सीन का कोई लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट तो नहीं होगा। अगर लोग इतनी तेजी से काम कर रहे हैं तो उससे वैक्सीन की क्वालिटी पर असर नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ''वैक्सीन बनाने का कोई शॉर्टकट नहीं है। क्लिनिकल ट्रायल अब भी उसी प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है, जैसे सामान्य दिनों में वैक्सीन बनाते समय किया जाता है। इसलिए क्वालिटी पर कोई असर पड़ने की बात ही नहीं है।
इतनी होगी कीमत
भारत में इस वैक्सीन का प्रोडक्शन करने जा रहे पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ ने बताया कि हम बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का प्रोडक्शन करने जा रहे हैं और इस हफ्ते वैक्सीन के लिए परमिशन लेने जा रहे हैं। दिसंबर तक ऑक्सफोर्ड वैक्सीन (Covishield) की 300-400 मिलियन डोस बनाने में हम सफल हो जाएंगे।
इस समय पूरी दुनिया कोविड से जूझ रही है, इसलिए इसकी कीमत कम से कम रखा जाएगा। इस पर शुरुआत में प्रॉफिट नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में इसकी कीमत 1000 रुपये के आसपास या इससे कम हो सकती है। कोरोना महामारी के बढ़ते संकट को देखते हुए ऐसा लगता है कि अगले दो-तीन साल तक इस वैक्सीन पर ही फोकस करना होगा, क्योंकि पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। देश में इससे प्रभावित लोगों की संख्या 11 लाख से ऊपर हो गई है।
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