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CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तार देना चाहता है चीन, बीजिंग में हुई त्रिपक्षीय वार्ता

चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की त्रिपक्षीय वार्ता का आयोजन को बीजिंग में हुई। इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग ई, अफगानि

Anoop Ojha
Published on: 27 Dec 2017 3:34 PM IST
CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तार देना चाहता है चीन, बीजिंग में हुई त्रिपक्षीय वार्ता
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CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तार देना चाहता है चीन, बीजिंग में हुई त्रिपक्षीय वार्ता

बीजिंग: चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों की त्रिपक्षीय वार्ता का आयोजन बीजिंग में हुआ। इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग ई, अफगानिस्तान के सलाहुद्दील रब्बानी तथा पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ शामिल हुए।

जून में तीनों देश एक त्रिपक्षीय प्रणाली बनाने पर सहमत हुए थे। जिसका उद्देश्य राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा को लेकर त्रिपक्षीय सहयोग स्थापित करना था। उसके बाद इस तरह की यह पहली बैठक है।

चीन की तरफ से कहा जा रहा है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जो चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’(BRI) की एक महत्वपूर्ण योजना है का विस्तार अफगानिस्तान तक करना चाहेगा।साथ ही तीनों देशों ने इस बात पर भी अपनी सहमति जताई है कि वह आतंकवाद के खिलाफ हर प्रकार का सहयोग करेंगे। और अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगे।

क्या है CPEC ?

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा(CPEC) चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’(ओबोर) की एक महत्वपूर्ण परियोजना है। ये 3218 कि.मी. लम्बा है जो चीन के शिनजियांग प्रान्त को पकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है। भारत इसका विरोध करता है क्योंकि इसका रास्ता पाक अधिकृत कश्मीर से निकलता है। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी के चीन दौरे के समय भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का तिरस्कार करते हुए इसे अस्वीकृत भी कर दिया था। मई 2017 में ‘ओबोर’ को लेकर बीजिंग में हुए सम्मलेन में भी भारत ने भाग नहीं लिया था। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में गिलगीत-बाल्तिस्तान में चल रही परियोजना का भी विरोध किया था।

आतंकवाद के खिलाफ सहयोग

दरअसल, सामान्‍य रुप से आतंकवादी हमलों से सुरक्षित चीन में शिनजियांग एक ऐसा हिस्‍सा है जहां पर अक्‍सर दंगे और आतंकी घटनाएं होती रहती हैं. जिसका कारण ये है कि, चीन के शिनजियांग प्रांत में उईघुर मुसलमान पूर्वी तुर्किस्‍तान बनाने को लेकर संघर्ष चला रहे हैं। तुर्की इस्‍लामिस्‍ट मिलिटेंट ऑर्गनाईजेशंस शिनजियांग प्रांत में प्यूपिल रिपब्लिक ऑफ चाइना के खिलाफ एक अलग राज्‍य बनाने के लिए संघर्ष चला रहा हैं। यहां अक्सर दंगे और आतंकी घटनाएं होती रहती हैं। इससे निपटने के लिए चीन ने इस प्रान्त में अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ काफी आक्रामक नीति अपनाई हुई है। उन पर कई प्रकार के धार्मिक प्रतिबंध भी आरोपित किए हुए हैं।

इस प्रान्त की सीमाओं की सुरक्षा के लिए चीन बहुत हद तक पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर निर्भर है। इसलिए इस त्रिपक्षीय वार्ता में आतंकवादियों के खिलाफ सहयोग और किसी भी आतंकवादी गतिविधि में अपनी ज़मीन का इस्तेमाल न करने देने पर सहमति बनी है। आपको बता दें, अगली वार्ता का आयोजन 2018 में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में होगा।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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