TRENDING TAGS :
अपराधियों से गुहार पर घिरी सरकार, बयान पर भी लाचार
पटना: ‘मैं अपराधियों से भी हाथ जोड़ आग्रह करूंगा। कम-से-कम पितृपक्ष में तो छोड़ दीजिए। बाकी दिन तो मना करें, न करें, कुछ न कुछ करते रहते हैं और पुलिस वाले लगे रहते हैं। कम-से-कम ये 15-16 दिन, ये जो धार्मिक उत्सव है, इस उत्सव में तो कोई ऐसा काम नहीं कीजिए कि बिहार की प्रतिष्ठा, गया जी की प्रतिष्ठा और आने वाले लोगों को शिकायत करने का कोई मौका मिले।’ - कोई साधु-संत अगर यह बात करे तो इन पंक्तियों से खबर नहीं बनती। पितृपक्ष आयोजन से जुड़े पंडे ऐसी बात करते तो भी नहीं। लेकिन, खबर इसलिए बनी क्योंकि बिहार सरकार ऐसा कहने को विवश हुई है।
बिहार सरकार के प्रतिनिधि के रूप में पितृपक्ष मेले के उद्घाटन पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के मुंह से निकली इन पंक्तियों ने राजनीतिक भूचाल नहीं, बल्कि सन्नाटा ला दिया है। विपक्ष के बोलने लायक भी कुछ नहीं बचा, जब सरकार ही खुद को लाचार दिखा रही है। सुमो ने यह बातें बाकायदा पितृपक्ष मेले के उद्घाटन मंच से कहीं, जहां देश-दुनिया के लोग पितृपक्ष में श्राद्ध के लिए पहुंचे हैं। पितृपक्ष मेले के किसी भाषण का वीडियो पहली बार इस हद तक वायरल है। देश-विदेश में रह रहे बिहारी, बिहार सरकार की लाचार हालत पर तल्ख टिप्पणी कर रहे हैं।
वजह भी वाजिब
एक सोशल प्लेटफॉर्म पर एक यूज़र की टिप्पणी देखिए, ‘उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की जुबान पर अचानक सरकारी बयान की जगह जनता का दर्द उतर आया। गलती से सरस्वती बैठ गईं सुमो की जुबान पर!’
सोशल साइट्स पर ऐसी किरकिरी खूब हो रही है। दरअसल, यह किरकिरी इसलिए भी है कि पिछले कुछ महीनों से बिहार में अपराध की चर्चा तेजी से निकल पड़ी है। छिनतई, घरों में सेंधमारी, एटीएम-बैंक लूट आदि की रोजाना की घटनाओं से अलग अपहरण और लाश बरामदगी के साथ सरेआम हत्या की घटनाएं सुर्खियों में आ रही हैं। जिस दिन उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह बातें कहीं, उसके चार दिनों के अंदर दो बड़ी घटनाओं से पूरा सरकारी सिस्टम परेशान हो गया। पहली घटना पटना में हुई। जुमे की नमाज के बाद पटना के कोतवाली थाने के पास मुसलमान समुदाय की भीड़ निकलने के कारण पुलिस व्यवस्था कथित तौर पर मुस्तैद रहने की जानकारी दी जाती है। लेकिन इसी मुस्तैदी के बीच 21 सितंबर को नमाज पढक़र निकले कुख्यात शूटर तबरेज आलम को दूसरे गैंग वालों ने कोतवाली थाने की दीवार से कुछ मीटर दूर गोलियों से मार गिराया।
पुलिस ने 24 घंटे में अपराधियों तक पहुंचने का दावा किया। लेकिन, इसी बीच 23 सितंबर को मुजफ्फरपुर में बिहार पुलिस का चेहरा बेनकाब हो गया। पूर्व मेयर समीर कुमार पर एके 47 से अंधाधुंध फायरिंग में उनके साथ ड्राइवर की भी मौत हो गई। माना जा रहा है कि अपराधियों के तांडव से तंग बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री नहीं चाहते हुए भी यह सब बोल गए।
नीतीश के साथ-साथ भाजपा भी चुप
अपने राजनीतिक साथी भारतीय जनता पार्टी के सबसे मजबूत नेता और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के मुंह से निकली सरकारी लाचारी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप्पी साधे हैं। जदयू और खुद भाजपा के नेता भी इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की हालत यह है कि मीडिया से कह देते हैं कि वे व्यस्त हैं या सुशील मोदी से से बात कर लीजिए।
लालू अस्पताल से भी खिंचाई कर रहे
छात्र जीवन से नीतीश कुमार, सुशील मोदी के अग्रज रहे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद बंदी जीवन में भी अपने अनुज के बयान पर शांत नहीं बैठे। चारा घोटाले के मामले में जेल प्रशासन की देखरेख में रांची अस्पताल में भर्ती लालू ने ट्वीट के जरिए जबरदस्त तंज कसा - ‘हाथ-गोड़ कुछ जोड़, अपराधियों के चरण धोकर उनका चरणामृत भी पी लो.. अरे शर्म करो। क्रिमिनल्स के आगे मिमियाने और गिड़गिड़ाने से नहीं, शासन रौब से चलता है। तोहार लोगन के इकबाल खत्म बा।’ ट्वीटर पर लालू ने यह खिंचाई की तो कुछ विरोधियों ने उन्हें जंगलराज की भी याद दिलाई, लेकिन ज्यादा समर्थकों ने बिहार सरकार की लाचार हालत पर ही तंज कसा।