अपराधियों में खत्म हो गया पुलिस का खौफ

raghvendra
Published on: 22 Jun 2018 7:45 AM GMT
अपराधियों में खत्म हो गया पुलिस का खौफ
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दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर: आतंकवाद की आग में झुलस चुके पंजाब में सैकड़ों कुर्बानियों के बाद लौटी शांति व विश्वासबहाली को एक बार फिर से ग्रहण लगता दिख रहा है। राज्य में बढ़ रहे अपराधों के बाद लोग यह सवाल उठाने लगे हैं कि क्या पंजाब में गुंडाराज लौट आया है। दो जून को अमृतसर में कांग्रेसी पार्षद की दिनदहाड़े गोली मारकर हुई हत्या के बाद यह सवाल जोरों पर पूछा जा रहा है। लोगों का कहना है कि अपराधियों में पुलिस का कोई खौफ नहीं रह गया है।

छह जून को ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार की बरसी पर सिख व हिंदू संगठनों की ओर से अमृतसर बंद व श्रद्धांजलि समारोह के काल को लेकर टकराव की स्थिति पैदा हो गयी थी। हालात से निपटने के लिए पुलिस हाईअलर्ट पर थी व डीजीपी भी शहर में थे। ऐसे में 24 घंटे पर्यटकों से भरे रहने वाले श्री दुग्र्याणा मंदिर के पास कांग्रेस पार्षद गुरदीप पहलवान की गोली मारकर हत्या जैसी संगीन वारदात हो गयी। इस घटना से शहर के लोगों का दिल दहल गया। इस घटना ने पुलिस प्रशासन व पंजाब सरकार के दुरुस्त कानून व्यवस्था के दावे पर भी सवाल खड़ा कर दिया। घटनास्थल से मिले गोलियों के मिले 16 खोखे यह बताने के लिए काफी हैं कि हत्यारे किसी भी कीमत पर कांग्रेसी पार्षद को जिंदा नहीं छोडऩा चाहते थे।

बताया जाता है कि पहलवानी का शौक रखने वाले कांग्रेस पार्षद गुरदीप को अपनी हत्या की आशंका पहले से ही थी। इसलिए वह अपने साथ चार गनमैन रखते थे। पुलिस कमिश्नर एसएस श्रीवास्तव व डीजीपी सुरेश अरोड़ा का कहना है कि इस घटना उन्हीं गैगेस्टर्स ने अंजाम दिया है जिन्होंने पिछले साल अमृतसर में हिन्दू नेता की सरेआम गोली मारकर हत्या की थी। इस वारदात में खास तौर से गैंगस्टर जग्गू, शुभम, रजत व उसके अन्य साथियों की संलिप्तता मानकर जांच का केंद्र बनाया गया है। पुलिस अधिकारियों का मानना है कि हत्यारों को जल्द ही सलाखों के पीछे धकेल दिया जाएगा।

घटना के बाद सियासत तेज

इस घटना के बाद सियासत भी खूब हुई। एक तरफ कांग्रेसी सांसद व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने गैंगस्टर्स को अकाली सरकार की उपज बताया तो दूसरी तरफ पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने भी प्रदेश सकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। मृतक पार्षद के परिजनों के आंसू पोछने पहुंचे प्रदेश सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू व शिक्षा मंत्री ओपी सोनी ने मृतक पार्षद गुरदीप सिंह के बेटे व बेटी को सरकारी नौकरी देने का आश्वासन देकर अपनी नैतिक जिम्मेदारी पूरी कर ली। लेकिन बात फिर वहीं आकर ठहर जाती है कि क्या पंजाब में गुंडाराज कायम है। लोगों का कहना है कि सरकार गुंडों, नशा तस्करों, आतंकियों व अलगाववादियों पर नकेल कसने में विफल है।

साल 2017 में हुए बड़े अपराध

साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों से कुछ दिन पहले ही जालंधर में हुई गैंगवार ने पुलिस प्रशासन में हडक़ंप मचा दिया। जालंधर में 22 जनवरी 2017 को गैंगस्टर पंचम को भालू गैंग की तरफ से सरेआम 4 गोलियां मारकर घायल कर दिया गया। इस गैंगवार में दोनों पक्ष राजनीतिक पार्टियों से संबंधित बताए जाते हैं।

गैंगस्टर कीपा को भून डाला

27 जनवरी 2017 को देर शाम गैंगस्टर कुलदीप सिंह कीपा की अज्ञात नौजवानों ने सरेआम गोलियां मारकर हत्या कर दी। गैंगस्टर कीपा की हत्या उस समय की गई जब वह गांव बुट्टर में किसी काम के चलते आया हुआ था। दोस्त के साथ खड़े कीपा पर मोटरसाइकिल सवारों ने अंधाधुंध गोलियां दाग दीं जिससे उसकी मौत हो गई।

पुलिस व गैंगस्टरों के बीच मुकाबला

11 फरवरी 2017 सुबह 6:45 बजे मोगा जिला के मक्खू में पुलिस और गैंगस्टरों के बीच जबर्दस्त गोलीबारी हुई। इस दौरान दोनों पक्षों के बीच 100 से अधिक गोलियां चलीं जिस कारण लोग सहम गए। इस दौरान गैंगस्टर गाजिया खान जांघ में गोली लगने के कारण घायल हो गया। गाजिया मातोई जिला संगरूर का रहने वाला है। इस दौरान पुलिस ने 5 गैंगस्टरों को गिरफ्तार किया था।

चंडीगढ़ सरपंच हत्याकांड

9 अप्रैल को चंडीगढ़ में गैंगस्टरों की तरफ से सरे बाजार होशियारपुर के खुरदा गांव के सरपंच सतनाम सिंह की 5 गोलियां मारकर हत्या कर दी गई। सरपंच की हत्या उस समय की गई जब वह संगत के साथ सेक्टर 38 वेस्ट स्थित गुरुद्वारा साहिब में माथा टेकने जा रहा था। इस हत्याकांड में पुलिस ने गैंगस्टर दिलप्रीत सिंह, हरिन्दर सिंह रिन्दा और हरिन्दर उर्फ आकाश के खिलाफ मामला दर्ज किया है। कई महीने बीतने के बावजूद पुलिस इस हत्या में अभी तक मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।

गौंडर ने की तीन गैंगस्टरों की हत्या

नाभा जेल से फरार हुए गैंगस्टर विक्की गौंडर ने 20 अप्रैल को फिर बड़ी वारदात को अंजाम देते हुए गुरदासपुर में 3 नौजवानों की ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी। इस गैंगवार में गैंगस्टर हरप्रीत सिंह सूबेदार और सुखचैन सिंह की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि एक नौजवान ने अस्पताल में दम तोड़ दिया था।

सूबे को सुलगाने की थी साजिश

6 जून 2018 को ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर पंजाब को दंगे की आग मे एक बार फिर से झोकने की कोशिशों को पंजाब पुलिस ने नाकाम कर दिया। पुलिस ने गुरदासपुर जिले के बटाला से तीन आरोपियों धर्मिंदर सिंह, कृपाल सिंह व रविंदर सिंह को धर दबोचा। संबंधित थाने की पुलिस ने जब जांच शुरू की तो पता चला कि इन आरोपियों ने क्षेत्र के दो शराब ठेकों में आग लगाकर ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर पंजाब को हिंसा की आग में झोंकने की शुरुआत भर की थी। उनका असली मकसद तो छह जून को पंजाब में दंगा करवाना था। जांच की कड़ी जब आगे बढ़ी तो खुलासा हुआ कि आरोपी धर्मिंदर सिंह सेना की 105 राजपूताना राइफल्स में सैनिक है। वह 2016 में सेना में भर्ती हुआ था और मौजूदा समय में दिल्ली में तैनात है।

सैनिक होने के नाते उसे हर तरह के हथियार चलाने आते हैं। जांच में पता चला कि इन तीनों आरोपियों को विदेश में बैठे सिख फार जस्टिस के लीगल एडवाइजर गुरपतवंत सिंह, परमजीत सिंह, मान सिंह यूके और मलेशिया की रहने वाली दीप कौर विदेश से फंडिंग करते हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2 अप्रैल को नवांशहर पुलिस ने भी चार युवकों को गिरफ्तार किया था। स्थानीय पुलिस ने इन आरोपियों से खालिस्तान जिंदाबाद संगठन से संबंधित साहित्य बरादम किया था। इनसे पूछताछ में भी मलेशिया की दीप कौर व पाकिस्तान के फतेह सिंह का नाम सामने आया था।

पुलिस ने की अनदेखी

यहां बताना जरूरी है कि पिछले दो सालों में पंजाब के विभिन्न जिलों में स्कूल, कॉलेजों सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर खालिस्तान जिंदाबाद के पोस्टर लगाने के मामले सामने आए हैं। यहां तक कि जिला फतेहगढ़ साहिब व श्री मुक्तसर साहिब में आयोजित मेले के दौरान खालिस्तान जिंदाबाद के नारे व बैनर सार्वजनिक तौर पर लगाए गए। यही नहीं खालिस्तान से संबंधित साहित्य भी बांटा गया, लेकिन पुलिस ने जांच के नाम पर इन घटनाओं को नजरअंदाज कर दिया। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या पुलिस राजनीतिक दबाव में यह सबकुछ कर रही है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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