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Dalai Lama on China: चीन लौटने का सवाल ही नहीं उठता, भारत पसंद है, तवांग झड़प के बाद दलाई लामा की पहली प्रतिक्रिया

Dalai Lama on China: तिब्बती बौद्ध धर्मगुरू ने अपने चीन लौटने की संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि ऐसा करने का सवाल ही नहीं उठता है। उन्हें भारत पसंद है।

Krishna Chaudhary
Published on: 19 Dec 2022 10:55 AM GMT
Dalai Lama
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Dalai Lama  (photo: social media )

Dalai Lama on China: निर्वासित तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने 9 दिसंबर को अरूणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प पर पहली प्रतिक्रिया दी है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में रह रहे लामा ने दोनों देशों के बीच उपजे ताजा तनाव पर कहा कि चीजें अब सुधर रही हैं। तिब्बती बौद्ध धर्मगुरू ने अपने चीन लौटने की संभावनाओं को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा कि ऐसा करने का सवाल ही नहीं उठता है। उन्हें भारत पसंद है। कांगड़ा-पंडित नेहरू की पसंदीदा जगह है। यह जगह ही मेरा स्थानी निवास है।

बता दें कि बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा साल 1959 में तिब्बत में चीन के खिलाफ भड़के विद्रोह के बाद भारत में आकर शरण ले ली थी। चीन ने 1950 में तिब्बत पर आक्रमण कर कब्जा कर लिया था। जिसके 9 साल बाद वहां साम्यवादी सत्ता के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर गए। हालांकि, चीन ने इस विरोध को कठोर तरीके से कुचल दिया था। दलाई लामा ने भारत आकर हिमाचल प्रदेश में निर्वासित सरकार का गठन किया था। चीन उन्हें अलगाववादी नेता की तरह देखता है। जब भी लामा किसी अंतरराष्ट्रीय नेता से मिलते हैं, चीन बहुत शोर मचाता है। इसी तरह उनके अरूणाचल दौरे का भी ड्रैगन कड़ा विरोध करता है।

तवांग मठ के संतों ने चीन को चेताया

तवांग को लेकर भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुए झड़प पर अरूणाचल के बौद्ध मठों में रहने वाले संतों की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। यांग्तसे की घटना को लेकर बौद्ध संतों ने चीन को चेतावनी दी है। लामा येशी खावो ने कहा कि चीन को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि ये 1962 का भारत नहीं है, 2022 है और देश में नरेंद्र मोदी की सरकार है। वो किसी को नहीं बख्शेंगे। उन्हें पूरा भरोसा है कि भारत की सरकार और सेना तवांग को सुरक्षित रखेगी। उन्होंने कहा कि हमें चीनी सैनिकों से हुई झड़प को लेकर चिंता नहीं है। क्योंकि भारतीय सेना सीमा पर तैनात है।

बता दें कि तवांग मठ 1681 में बनाया गया था। यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा और पुराना मठ है। बताया जाता है कि इसे 5वें दलाई लामा की मंजूरी के बाद ही बनाया गया था। 1962 की लड़ाई में चीनी सैनिक मठों के अंदर घुस आए थे। हालांकि, उन्होंने किसी भी बौद्ध भिक्षु को हानि नहीं पहुंचाई थी।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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