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दलित मजदूर के बेटे के पास नहीं थे पैसे, सुप्रीम कोर्ट ने IIT में दिलाया दाखिला

IIT Student : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए एक छात्र के करियर को खराब होने से बचा लिया, जो एक नजीर है।

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Newstrack Network
Published on: 30 Sept 2024 6:07 PM IST (Updated on: 30 Sept 2024 7:13 PM IST)
दलित मजदूर के बेटे के पास नहीं थे पैसे, सुप्रीम कोर्ट ने IIT में दिलाया दाखिला
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IIT Student : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए एक छात्र के करियर को खराब होने से बचा लिया, जो एक नजीर है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक ऐसे दलित छात्र की सहायता की है, जो फीस भुगतान की समय सीमा समाप्त होने के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) धनबाद में अपनी सीट को गंवा चुका था।

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के टिटोरा गांव निवासी अतुल कुमार दिहाड़ी मजूदर राजेन्द्र कुमार के बेटे हैं। उन्होंने आईआईटी में प्रवेश के लिए जेईई एडवांस्ड जैसी कठिन परीक्षा तो पास कर ली थी, लेकिन वित्तीय परेशानी और तकनीकी गड़बड़ी के कारण वह समय पर (24 जून तक) फीस नहीं भर पाए। इस वजह से उन्हें आईआईटी, धनबाद में आवंटित इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग की सीट गंवानी पड़ गई। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद मद्रास हाईकोर्ट अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

कोर्ट ने अपनी शक्तियों का किया प्रयोग

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को छात्र अतुल कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) धनबाद को दाखिला देने का निर्देश दिया है। पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का प्रयोग करते हुए संस्थान को आदेश दिया और कहा कि हम ऐसे युवा प्रतिभाशाली छात्र को जाने नहीं दे सकते, उसे बेसहारा नहीं छोड़ा जा सकता है। आगे कहा, वंचित वर्ग के प्रतिभावान छात्र ने प्रवेश के लिए हर संभव प्रयास किया है, उसे वंचित नहीं किया जाना चाहिए। अभ्यर्थी को उसी बैच में प्रवेश दिया जाए, जिसके लिए उसे फीस का भुगतान करना था।

आप इतना विरोध क्यों कर रहे हैं?

सुनवाई के दौरान संस्थान के वकील ने कहा कि अतुल कुमार को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) ने एसएमएस भेजा था और दो व्हाटसऐप चैट के माध्यम से भी पेमेंट की जानकारी दी गई थी और वह लॉगिन भी रोज करता था, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप विरोध क्यों कर रहे हैं, कुछ रास्ता निकालने की कोशिश करिए। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सिर्फ 17,500 रुपए फीस के कारण प्रतिभाशाली छात्र को रोका गया।

क्या है पूरा मामला

बता दें कि अतुल कुमार को अपनी सीट को सुरक्षित करने के लिए 24 जून की समय सीमा तक 17,500 रुपए की स्वीकृति फीस का भुगतान किया जाना था, लेकिन गरीबी के कारण फीस की व्यवस्था नहीं हो सकी थी। छात्र के माता-पिता जब गांव वालों की मदद से फीस जुटा पाए तो फीस जमा करने के अंतिम दिन 4.45 बज चुके थे। इसके बाद जब भुगतान किया तो कुछ तकनीकी गड़बड़ी आ गई और पांच बजे पोर्टल बंद हो गया था। इस वजह से वह अपनी फीस को सबमिट नहीं कर सका।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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