Dangerous Terrorist Return in India: अत्याधुनिक गल्फस्ट्रीम G550 जहाज से हुई है तहव्वुर राणा की भारत वापसी, जानिए अब तक कितने अपराधियों को विदेशी धरती से लाया जा चुका है

Tahawwur Rana Return Luxury Flight: भारत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाने में सफलता हासिल की है।

Jyotsna Singh
Published on: 13 April 2025 2:23 PM IST (Updated on: 13 April 2025 4:01 PM IST)
Dangerous Terrorist Return Luxury Flight
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Dangerous Terrorist Return Luxury Flight

Dangerous Terrorist Return in India: भारत एक बार फिर यह साबित करने में सफल रहा कि वह न्याय और सुरक्षा को लेकर किसी भी हद तक जा सकता है। जब भी देश की अस्मिता पर आघात हुआ है, भारत ने उस पर करारा जवाब दिया है। 26/11 मुंबई आतंकी हमले की भयावहता आज भी लोगों के दिलों में दर्ज है। इस हमले के पीछे जिन चेहरों ने काम किया, उनमें एक महत्वपूर्ण नाम है तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Hussain Rana)। वर्षों तक यह नाम कानूनी प्रक्रियाओं और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक गलियारों में गूंजता रहा। आखिरकार, 2025 में भारत ने एक निर्णायक कदम उठाया और राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाने में सफलता हासिल की।

पर क्या खास बात थी इस प्रत्यर्पण प्रक्रिया में? वह था विमान। भारत सरकार ने तहव्वुर राणा को लाने के लिए जिस विशेष विमान का प्रयोग किया, वह था गल्फस्ट्रीम G550 (Gulfstream G550 Aircraft) एक हाई-एंड, मल्टीपर्पस जेट जो आमतौर पर खास मिशनों के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इस विमान का प्रयोग केवल एक साधारण अपराधी को लाने के लिए नहीं, बल्कि एक प्रतीकात्मक कदम था यह दिखाने के लिए कि भारत आतंकवादियों को किसी भी कोने से निकाल कर ला सकता है। आइए जानते हैं तहव्वुर राणा की केस हिस्ट्री में गल्फस्ट्रीम G550 की विशेष भूमिका, भारत की प्रत्यर्पण नीति का विकास और अब तक लाए गए अन्य अपराधियों से जुड़ी विस्तृत जानकारी के बारे में-

तहव्वुर राणा: 26/11 के पीछे छिपा मास्टर माइंड

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

तहव्वुर हुसैन राणा, पाकिस्तान में जन्मा और बाद में कनाडा की नागरिकता प्राप्त करने वाला एक पूर्व सैन्य चिकित्सक है, जो अमेरिका में व्यवसायी के रूप में काम कर रहा था। डेविड कोलमैन हेडली का घनिष्ठ मित्र होने के कारण वह 2008 के मुंबई हमलों की साजिश में लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिला।

राणा का नाम पहली बार तब सामने आया जब डेविड हेडली ने अमेरिकी एजेंसियों के समक्ष यह स्वीकार किया कि राणा ने उसकी यात्राओं और साजिश रचने में मदद की। अमेरिका में उसे डेनमार्क के अखबार के संपादकों की हत्या की साजिश में दोषी करार दिया गया, परंतु भारत को उस पर 26/11 की सीधी साजिश रचने का आरोप साबित करना था। 2023 में अमेरिका ने भारत के आग्रह पर उसे प्रत्यर्पण के लिए उपयुक्त माना और लंबी प्रक्रिया के बाद 2025 में वह भारत लाया गया।

क्यों किया गया अत्याधुनिक गल्फस्ट्रीम G550 विमान का चुनाव (Why The Gulfstream G550 Aircraft Was Selected)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

गल्फस्ट्रीम G550 कोई साधारण विमान नहीं है। यह अमेरिका में निर्मित एक हाई-स्पीड, लॉन्ग-रेंज, मल्टी-मिशन जेट है, जो पूरी दुनिया में खास ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल होता है। इसकी विशेषताओं में शामिल हैं: लगभग 12,500 किलोमीटर की रेंज, 51,000 फीट तक उड़ने की क्षमता, 14 से 19 लोगों की सुरक्षित बैठने की व्यवस्था, उन्नत कम्युनिकेशन और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम, भारतीय वायुसेना और रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) के पास यह विमान विशेष मिशनों के लिए उपलब्ध है। इसमें आधुनिक निगरानी प्रणाली, रडार और सैटेलाइट संचार उपकरण लगे होते हैं। जब भारत ने इस विमान से राणा को लाने का निर्णय लिया, तो यह केवल एक तकनीकी उपाय नहीं था बल्कि यह एक कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक संकेत भी था कि भारत अपने दुश्मनों को किसी भी स्थिति में छोड़ने वाला नहीं है।

अब तक कई हाइप्रोफाइल अपराधी हो चुके हैं गिरफ्तार

बीते दो दशकों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रत्यर्पण नीति को मजबूत किया है। पहले जहां अपराधियों को भारत लाने में वर्षों लग जाते थे, वहीं अब भारत सरकार कानूनी और कूटनीतिक दोनों रास्तों को समान रूप से उपयोग में ला रही है। अमेरिका, यूएई, यूके जैसे देशों से भारत ने कई हाई-प्रोफाइल आरोपियों को प्रत्यर्पित कराया है। भारत की यह नीति केवल कानून के तहत नहीं, बल्कि आतंक और आर्थिक अपराधों के खिलाफ एक समग्र रणनीति के तहत काम करती है। तहव्वुर राणा का मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है, जिसमें कूटनीति, कानून और तकनीक तीनों का संगम दिखा। अब तक विदेशों से भारत लाए गए हाइप्रोफाइल अपराधी और प्रत्यर्पण की रणनीति के बारे जानते हैं विस्तार से -

1. अबू सलेम (Abu Salem)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अबू सलेम 1993 के मुंबई बम धमाकों का प्रमुख आरोपी है और दाऊद इब्राहिम गिरोह का सदस्य रहा है। वह 2002 में अपनी साथी मोना सुरेका उर्फ़ समीरा जुमानी के साथ पुर्तगाल में गिरफ्तार हुआ था। भारत ने पुर्तगाल सरकार से प्रत्यर्पण संधि के तहत अबू सलेम को भारत लाने की मांग की। 2005 में प्रत्यर्पण मंजूर हुआ और कुछ प्रतिबंधों के साथ उसे भारत लाया गया।

प्रत्यर्पण की शर्तें

पुर्तगाल की अदालत ने प्रत्यर्पण की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि, अबू सलेम को फांसी की सज़ा नहीं दी जाएगी और उसे 25 साल से अधिक सज़ा नहीं दी जाएगी।

वर्तमान स्थिति

अबू सलेम भारत में टाडा अदालत द्वारा 1993 बम धमाकों में दोषी करार दिया जा चुका है। उसे आजीवन कारावास की सज़ा मिली है। लेकिन भारत सरकार पुर्तगाल की शर्तों को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय में सावधानी बरत रही है।

2022 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि उसे 2030 तक रिहा करने पर विचार किया जाए, क्योंकि प्रत्यर्पण शर्तों के उल्लंघन की आशंका जताई गई थी।

2. डेविड हेडली (David Headley)


डेविड हेडली (जिसका असली नाम दाउद गिलानी है) को भारत कभी नहीं लाया गया। लेकिन भारत की एजेंसियों ने उससे अमेरिका में पूछताछ की थी।

कौन है डेविड हेडली-

डेविड हेडली अमेरिकी-पाकिस्तानी नागरिक है जो 26/11 मुंबई आतंकी हमलों का प्रमुख साजिशकर्ता था।उसने हमलों से पहले मुंबई में रेकी की थी और पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को महत्वपूर्ण जानकारी दी थी।हेडली FBI (अमेरिकी जांच एजेंसी) की भी मुखबिरी करता था, लेकिन दोहरा खेल खेलने के कारण पकड़ा गया।

अमेरिका में गिरफ्तारी-

2009 में उसे शिकागो में गिरफ्तार किया गया और 2013 में अमेरिकी अदालत ने उसे 35 साल की सजा सुनाई।अमेरिका ने उसे भारत को प्रत्यर्पित करने से मना कर दिया, क्योंकि वह प्ली बर्गेनिंग (plea bargain) के तहत अमेरिका में सजा काट रहा है।

भारत से पूछताछ-

भारत सरकार और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की टीम को अमेरिका में जाकर 2010 और 2016 में हेडली से पूछताछ करने की अनुमति मिली।2016 में डेविड हेडली ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक भारतीय अदालत में गवाही भी दी और पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के नाम लिए। भारत को अब तक उसका सीधा कस्टडी ट्रांसफर नहीं मिला है।

3. नीरव मोदी (Nirav Modi)

नीरव मोदी, जो कि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी है, उसे अभी तक भारत नहीं लाया गया है। लेकिन ब्रिटेन से उसका प्रत्यर्पण प्रक्रिया में है और यह अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है।


क्या है पूरी केस हिस्ट्री-घोटाला और फरारी

नीरव मोदी पर लगभग 13,000 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। 2018 में वह भारत से भागकर सबसे पहले अमेरिका और फिर यूके चला गया।

यूके में गिरफ्तारी और कानूनी कार्यवाही

मार्च 2019 में उसे लंदन से गिरफ्तार किया गया। तभी से वह लंदन की वांड्सवर्थ जेल में बंद है। भारत ने ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में उसका प्रत्यर्पण मांगा।

कोर्ट का फैसला

फरवरी 2021 में कोर्ट ने भारत प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी।कोर्ट ने माना कि, नीरव मोदी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई मिलेगी। मुंबई की आर्थर रोड जेल उसे रखने के लिए उपयुक्त है।

मानवाधिकार और मानसिक स्वास्थ्य का बहाना

नीरव मोदी ने यूके हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील की कि, उसे मानसिक बीमारी है (डिप्रेशन और आत्महत्या का खतरा)। भारत में उसकी मानवाधिकारों का हनन हो सकता है।सुप्रीम कोर्ट (UK) ने दिसंबर 2022 में उसकी अंतिम अपील खारिज कर दी।

ब्रिटिश गृहमंत्री की स्वीकृति-

ब्रिटेन की तत्कालीन गृह सचिव प्रिती पटेल ने जून 2021 में प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी थी।

क्या रुकावट है अभी-

हालांकि कानूनी तौर पर नीरव मोदी का प्रत्यर्पण संभव हो चुका है। लेकिन उसके वकीलों ने यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स (ECHR) में अपील की है। जब तक वह अपील प्रक्रिया खत्म नहीं होती, उसे भारत नहीं लाया जा सकता।

कब तक भारत आ सकता है-

अगर ECHR उसकी अपील खारिज करता है, तो भारत उसे कुछ ही हफ्तों में ला सकता है।लेकिन अगर अपील को स्वीकार कर लिया गया, तो प्रक्रिया में कई महीने और लग सकते हैं। हालांकि रिपोर्ट्स के अनुसार नीरव मोदी का प्रत्यर्पण लगभग तय है, सभी ब्रिटिश अदालतों से भारत के पक्ष में फैसला आ चुका है। अब बस अंतिम यूरोपियन अपील बची है।संभावना है कि 2025 के अंत तक वह भारत में हो सकता है, यदि कोई अप्रत्याशित कानूनी अड़चन न आए।

4. विजय माल्या (Vijay Mallya)

विजय माल्या पर मुख्य रूप से बैंक ऋण धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगे हैं। आइए विस्तार से समझते हैं:


मुख्य आरोप: बैंक ऋण धोखाधड़ी (Loan Default)

विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस ने भारतीय बैंकों से करीब 9,000 करोड़ रुपये के लोन लिए थे। जब कंपनी घाटे में गई और लोन नहीं चुकाया गया, तो यह लोन एनपीए (Non Performing Asset) बन गया।

धोखे से लोन लेना (Loan taken through misrepresentation):

आरोप है कि उन्होंने बैंकों को झूठी जानकारी देकर लोन हासिल किया और फिर उस फंड का दुरुपयोग किया।

मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering)

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जांच में पाया कि विजय माल्या ने बैंक से लिए गए पैसे को विदेशी खातों में ट्रांसफर किया और निजी उपयोग के लिए खर्च किया।

वित्तीय अनियमितताएं और फर्जीवाड़ा

उनके खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 120B (आपराधिक साजिश) और मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत केस दर्ज हैं।

भाग जाना (Fleeing from India)

जब जांच एजेंसियों ने शिकंजा कसना शुरू किया, तो वह 2016 में चुपचाप लंदन भाग गए। कुल मिलाकर विजय माल्या पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर बैंकों को धोखा देकर लोन लिया, उसका गलत इस्तेमाल किया और फिर देश से भाग गए।

वर्तमान स्थिति-प्रत्यर्पण आदेश

ब्रिटेन की अदालतों ने विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। सभी कानूनी अपीलें समाप्त हो चुकी हैं, जिससे उनके भारत लाए जाने का रास्ता साफ हो गया है।

दिवाला कार्यवाही-

विजय माल्या के वकीलों ने ब्रिटेन में चल रही दिवाला कार्यवाही को रद्द कराने के लिए आवेदन दायर किया है, जिसमें दावा किया गया है कि भारतीय बैंकों ने उनसे बकाया राशि से अधिक वसूली कर ली है।

बैंकों द्वारा वसूली-

भारतीय वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों ने माल्या से 14,131.6 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं, जबकि मूल ऋण राशि 6,203 करोड़ रुपये थी।विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। हालांकि, उनकी ओर से की जा रही कानूनी चुनौतियों के कारण इसमें कुछ और समय लग सकता है। भारत सरकार और संबंधित एजेंसियां इस प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के लिए सक्रिय हैं।

5. क्रिश्चियन मिशेल (Christian Michel)

क्रिश्चियन मिशेल को 4 दिसंबर , 2018 की रात दुबई से भारत प्रत्यर्पित किया गया था। वह अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित बिचौलिया है, जिसमें 3600 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगा था।


प्रत्यर्पण की प्रक्रिया-

मिशेल को फरवरी 2017 में दुबई में गिरफ्तार किया गया था।भारत सरकार ने 2017 में औपचारिक रूप से उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया था।दुबई की अदालत ने मिशेल की अपील खारिज कर दी, जिससे उसके प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हुआ। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के निर्देशन में 'ऑपरेशन यूनिकॉर्न' के तहत मिशेल को भारत लाया गया।

आरोप-

मिशेल पर आरोप है कि उसने अगस्ता वेस्टलैंड से 225 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी।उसने भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर हेलीकॉप्टर की उड़ान ऊंचाई क्षमता 6000 मीटर से घटाकर 4500 मीटर करने की साजिश रची, जिससे अगस्ता वेस्टलैंड को अनुबंध मिला। प्रत्यर्पण के बाद मिशेल को सीबीआई की हिरासत में लिया गया और पूछताछ की गई। उसके बयान से इस घोटाले में शामिल अन्य लोगों की पहचान में मदद मिली।

6. दीपक तलवार और राजीव सक्सेना (Deepak Talwar And Rajeev Saxena)

दीपक तलवार और राजीव सक्सेना दोनों को भारत में प्रत्यर्पण के ज़रिए संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से 2019 में लाया गया था। दोनों पर अलग-अलग हाई-प्रोफाइल घोटालों में शामिल होने के गंभीर आरोप लगे थे। यहां उनके मामलों की संक्षिप्त जानकारी दी जा रही है।

1. दीपक तलवार-

पेशे से कॉर्पोरेट लॉबिस्ट थे। भारत लाए गए। जनवरी 2019 में यूएई से।

मुख्य आरोप-एविएशन घोटाला

तलवार पर यह आरोप था कि उन्होंने विदेशी एयरलाइनों (जैसे- Emirates, Air Arabia, Qatar Airways) को भारत में ज़्यादा उड़ानें और स्लॉट दिलवाने के लिए सरकार पर दबाव डाला, जिससे सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को बड़ा नुकसान हुआ।

फेमा और मनी लॉन्ड्रिंग-

उन पर करोड़ों रुपये विदेश भेजने और हेरफेर से अवैध लेन-देन करने के आरोप थे।

NGO के ज़रिए घोटाला-

तलवार पर अपने NGO के माध्यम से FCRA (विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम) के उल्लंघन और विदेशी कंपनियों से अवैध फंडिंग लेने का आरोप भी था।

2. राजीव सक्सेना-

पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और फाइनेंशियल कंसल्टेंट। भारत लाए गए : जनवरी 2019 में यूएई से।

मुख्य आरोप: AgustaWestland हेलिकॉप्टर घोटाला

सक्सेना पर आरोप है कि उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड सौदे में रिश्वत के पैसे को हवाला और फर्जी कंपनियों के जरिए घुमाने में अहम भूमिका निभाई।

मनी लॉन्ड्रिंग-

प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अनुसार, उन्होंने इस घोटाले में दलालों के लिए धन की व्यवस्था की और उसे वैध दिखाने की कोशिश की। उनकी भूमिका धनशोधन (money laundering) में थी, सीधे रक्षा सौदे में नहीं। दोनों की गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण को भारत सरकार ने एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी सफलता बताया था, क्योंकि इन मामलों में लंबे समय से जांच चल रही थी और इनसे जुड़े कई बड़े नामों की परतें खुल रही थीं। इन सभी मामलों में एक समानता रही है कि, जिसमें भारत की निर्णायक रणनीति और कानून के पालन के प्रति प्रतिबद्धता की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।

तहव्वुर राणा की वापसी का महत्व (Importance of Tahawwur Rana's return)

यह केवल एक व्यक्ति को लाने की कहानी नहीं है। यह भारत की न्याय व्यवस्था, सुरक्षा एजेंसियों और कूटनीति की जीत है। यह उन शहीदों के परिजनों के लिए उम्मीद की किरण है जिन्होंने 26/11 में अपनों को खोया। यह उन सभी के लिए संदेश है जो सोचते हैं कि वे कानून से बच सकते हैं। राणा की वापसी यह दर्शाती है कि भारत न केवल आतंक के खिलाफ सजग है, बल्कि तकनीक और रणनीति में भी विश्व स्तरीय बन चुका है।

गल्फस्ट्रीम G550 जैसे अत्याधुनिक विमान का उपयोग कर दिया ये संदेश

भारत ने गल्फस्ट्रीम G550 जैसे अत्याधुनिक विमान का उपयोग कर यह स्पष्ट कर दिया है कि जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा और न्याय की आती है, तो वह संसाधनों की परवाह नहीं करता। तहव्वुर राणा की वापसी इस बात की मिसाल है कि देश अपने नागरिकों को न्याय दिलाने के लिए कोई भी सीमा पार कर सकता है। यह मिशन केवल एक प्रत्यर्पण नहीं था, यह भारत की संप्रभुता, न्याय और आत्मसम्मान का पुनर्पुष्टि था। आतंक चाहे कितनी भी दूरी पर क्यों न हो, भारत उसे खोज निकालेगा और उसके खिलाफ सख्त कदम उठाएगा – यह संदेश अब पूरी दुनिया को मिल चुका है।

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