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चुनाव में मिलने वाले तोहफे होते हैं रिश्वत : मुफ्ती यादे इलाही
सहारनपुर : चुनाव के दौरान प्रत्याशियों द्वारा वोट पाने के लिए मतदाताओं को उपहार बांटे जाने पर विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर ऐसे उपहारों से बचने की नसीहत दी है। दारुल उलूम से पूछे गए एक सवाल के जवाब में इफ्ता विभाग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव में बांटी जाने वाली जानमाज (मुसल्ले) पर भी नमाज पढ़ने से बचना चाहिए। क्योंकि इन उपहारों का मकसद केवल वोट प्राप्त करना होता है।
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नगर के मोहल्ला कायस्थवाड़ा निवासी अधिवक्ता राघवेंद्र कंसल ने दारुल उलूम देवबंद से ऑन लाइन सवाल कर पूछा था कि ‘क्या किसी हिंदू प्रत्याशी द्वारा मुस्लिम समाज के लोगों में चुनाव के दौरान बांटी गई जानमाज (मुसल्ले) पर नमाज अदा की जा सकती है? इस सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद के इफ्ता विभाग ने फतवा संख्या 32/276 जारी करते हुए कहा है कि चुनाव के दौरान बांटी गई चीजों का उद्देश्य केवल वोट प्राप्त करना होता है। चुनाव के दौरान बांटे जाने वाले तोहफों से बचना चाहिए। इतना ही नहीं यदि किसी व्यक्ति द्वारा इसी उद्देश्य से जानमाज (मुसल्ला) बांटा गया है तो उस जानमाज पर भी नमाज पढ़ना गलत है, इसलिए चुनाव के दौरान मिली जनमाज पर नमाज पढ़ने से बचना चाहिए।
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दारुल उलूम द्वारा जारी फतवे पर रोशनी डालते हुए तंजीम अब्ना ए दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने कहा कि इस्लाम में हर काम का दारोमदार उसकी नियत पर है। कहा कि क्योंकि चुनाव में जो भी तोहफे वगैरा दिये जाते हैं उनका मकसद वोट प्राप्त करना होता है और यह तोहफे एक तरह से रिश्वत रूपी भी होते हैं। इसलिए ऐसी चीजों के इस्तेमाल से प्रहेज करना चाहिए। मुफ्ती यादे इलाही ने कहा कि चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा जो रुपया खर्च किया जाता है उसके बारे में भी लोगों को इलम नहीं होता कि यह पैसा हलाल तरीके से कमाया गया था या फिर हराम तरीके से। इसलिए चुनाव के दौरान तोहफे में दी गई जानमाज (मुसल्ले) पर नमाज अदा नहीं करनी चाहिए।