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राफेल लड़ाकू विमान: दलाली नहीं, कीमत में 6000 करोड़ की कटौती पर हुआ सौदा

पिछले साल फ्रांस के डसाल्ट से राफेल की कीमत को लेकर बातचीत शुरू की गई तब उसने 36 राफेल की कीमत 12 बिलियन यूरो बताई थी। इसके बाद जनवरी में दोबारा बात हुई तो क़ीमत 8.6 बिलियन यूरो पर आकर टिकी। अप्रैल में अंतिम दौर की बातचीत के बाद विमानों की क़ीमत 7.87 बिलियन यूरो तय हुई।

zafar
Published on: 24 Sept 2016 1:56 PM IST
राफेल लड़ाकू विमान: दलाली नहीं, कीमत में 6000 करोड़ की कटौती पर हुआ सौदा
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लखनऊ: लगभग 17 साल से लटक रहे राफेल लड़ाकू विमान के सौदे पर फ्रांस के साथ 23 सितम्बर को समझौता हो गया। भारत ने मोलभाव कर इस सौदे में 6 हजार करोड़ कम भी करा लिए। इस बात की चर्चा इसलिए भी लाजिमी है कि अब तक किसी रक्षा सौदे में दलाली और रिश्वत की बात ही सामने आती रही है। लेकिन ये संभवत: पहला मौका है कि रक्षा सौदे में पैसे बचाने की पहल सामने आई है।

राफेल सौदे पर मुहर

इससे पहले बोफोर्स तोप और अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद में घोटाले और रिश्वत की चर्चा खूब हो चुकी है। राफेल विमान सौदे को लेकर शुरुआती बातचीत 1999-2000 में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के कार्यकाल में शुरु हुई थी। भारत के पास उस वक्त पुराने लड़ाकू विमान ही थे जो किसी वार में जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं थे। मिग विमानों की खामियां सामने आने लगी थीं। भारतीय वायुसेना लड़ाकू विमानों के घटते बेड़े से चिंतित थी।

राफेल सौदे पर भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर और फ्रांस के रक्षा मंत्री ज्यां यीव ली ड्रियान ने हस्ताक्षर किए। फ्रांस भी भारत के साथ इस सौदे को करने का उत्सुक था, इसलिए सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए उसके रक्षा मंत्री एक दिन पहले ही भारत आ गए थे। अब हस्ताक्षर होने के 36 महीने के भीतर यानी 2019 में विमान आने शुरू जाएंगे। सभी 36 विमान 66 महीने में भारत को मिल जाएंगे। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार के बाद फ्रांस से दोस्ती और गहरी होती चली गई।

दलाली नहीं, कीमत कम कराई

पीएम मोदी ने लगभग डेढ़ साल पहले अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा की थी। उस दौरान दोनों देशों ने गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट डील के लिए समझौता भी किया था। राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस की डसाल्ट एविएशन कंपनी बनाती है।

जब पिछले साल फ्रांस के डसाल्ट से राफेल की कीमत को लेकर बातचीत शुरू की गई तब उसने 36 राफेल की कीमत 12 बिलियन यूरो बताई थी। इसके बाद जनवरी में दोबारा बात हुई तो क़ीमत 8.6 बिलियन यूरो पर आकर टिकी। अप्रैल में अंतिम दौर की बातचीत हुई तो विमानों की क़ीमत पर 7.87 बिलियन यूरो पर मुहर लग गई। अब यह सौदा 7.87 बिलियन यूरो में हुआ। यानी अगर भारतीय रुपए में बात करें तो करीब 59 हजार करोड़ में आएगा। एक राफेल की कीमत हथियार के सहित करीब 1600 करोड़ रुपये की पड़ेगी।

विमानों की क़ीमत को लेकर फ्रांस की ओर से जनवरी में बताई गई शुरुआती राशि से मौजूदा क़ीमत लगभग 750 मिलियन यूरो कम है। यानि भारतीय रुपए के हिसाब से 6 हजार करोड रुपए कम। इस कीमत में केवल राफेल लड़ाकू विमान ही नहीं आएगा बल्कि उसमें एक से बढ़कर एक हथियार प्रणाली होगी।

मजबूत होंगे हम

करगिल जंग के दौरान भारतीय लड़ाकू विमानों के पास बियॉन्‍ड विजुअल रेंज वाले मिसाइल तो थे लेकिन उनकी रेंज 60 किलोमीटर थी। अब इसकी रेंज 150 किलोमीटर होगी। पाकिस्तान ने भी ऐसी मिसाइल हासिल कर ली जिसकी रेंज 80 किलोमीटर है। यानी मीटियोर के आने से भारतीय वायुसेना के मिसाइल पाकिस्तानी वायुसेना के मिसाइल पर काफी भारी पड़ेंगे। जहाज़ में हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल होने से तिब्बत और पाकिस्तान के कई इलाके बगैर सरहद पार किये भारत की ज़द में आ जाएंगे।

राफेल विमान में भारतीय वायुसेना की ज़रूरतों के लिहाज से तक़रीबन एक दर्जन फेरबदल भी किए गए हैं। पाकिस्तान के पास एफ 16 जैसे विमान तो हैं लेकिन राफेल का तोड़ चीन और पाकिस्तान के पास भी नहीं है।

इतना ही नही इसमें हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइलें होंगी। इसका निशाना अचूक है यानी यहां बैठे बैठे इस लड़ाकू विमान के मिसाइल किसी भी आतंकी कैंप को नष्ट कर सकते हैं। लंबी दूरी की हवा से ज़मीन पर मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल का होना भारत को अपने प्रतिद्वद्वियों पर एक स्वाभाविक बढ़त देता है।

रक्षा सौदों में दलाली

अब बात रक्षा सौदे में रिश्वत और दलाली की। केंद्र से कांग्रेस का पत्ता साफ करने वाले स्वीडन के साथ बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के बाद इटली के साथ हेलिकॉप्टर खरीद में भी बिचौलिए के माध्यम से दलाली लिए जाने की खबर ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में भूचाल खड़ा कर दिया था। दोनों सौदों में दो चीजें कॉमन थीं। पहली, दोनों सौदों में दलाली लिए जाने की बात विदेश से उजागर हुई। दूसरी, दोनों सौदों में नाम नेहरू गांधी परिवार के सदस्यों का ही आया। बोफोर्स तोप सौदे में यदि राजीव गांधी का नाम जोड़ा गया तो अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकाप्टर घोटाले में उनकी पत्नी सोनिया गांधी का नाम सामने आया ।

इटली की एक अदालत ने इस मामले में कथित रूप से सोनिया गांधी का नाम आने के बाद बीजेपी समेत कांग्रेस विरोधी अन्य पार्टियों को एक मुद्दा दे दिया। दिलचस्प है कि बीजेपी के सुब्रमण्यम स्वामी ने राज्यसभा में इस मामले को उठाया लेकिन सब कुछ कांग्रेस को करना पड़ा। सोनिया गांधी समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं को सफाई देनी पड़ रही है। सोनिया कहती रहीं कि ये चरित्र हनन की साजिश है और वे ऐसे किसी आरोप से नहीं डरती हैं।

बीजेपी पर झूठ का आरोप

दरअसल, पूरा बवाल इटली की एक अदालत ने खड़ा किया, जिसके एक फैसले में कहा गया कि हेलिकाप्टर खरीद में बिचौलिए के माध्यम से दलाली दी गई। सबसे पहले इसमें पूर्व वायु सेना प्रमुख एससी त्यागी का नाम आया। कहा गया कि उन्हें, उनके परिवार और कुछ राजनीतिज्ञों को बिचौलिए के माध्यम से दलाली दी गई।

इटली की अदालत के फैसले में 15 मार्च 2008 के एक पत्र का जिक्र भी है जिसे इटली की जांच एजेंसियों को सौंप दिया गया। पत्र में लिखा गया है कि श्रीमती गांधी ही इस डील के पीछे हैं।

(फोटो साभार:डसॉल्टएविएशन.कॉम)

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