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मिसाल: बेटों से बढ़कर निकली ये बेटी, जिंदगी दांव पर लगाकर बचाई पिता की जान

Manali Rastogi
Published on: 10 July 2018 2:03 PM IST
मिसाल: बेटों से बढ़कर निकली ये बेटी, जिंदगी दांव पर लगाकर बचाई पिता की जान
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लखनऊ: बजुर्गों ने सच कहा है, बेटियां खुदा की ‘नेमत’ होती है, जिस घर में जन्म लेती है वहां फरिश्ते आते हैं। देश में ऐसे समय जब बेटे छोटी –छोटी बातों और सम्पत्ति के लालच में आकर अपने मां -बाप को घर से बेदखल करने से तनिक भी गुरेज नहीं कर रहे है। ऐसे में यूपी के गोंडा से एक ऐसी खबर सामने आई है।

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जो देश के लिए एक नजीर पेश करेगी। यहां एक शादीशुदा बेटी ने न केवल अपनी जान की परवाह किये बगैर अपने पिता की जिन्दगी बचा ली। बल्कि अब अपने पिता की दिन रात सेवा भी कर रही है। नोएडा के जेपी हॉस्पिटल के सीनियर ट्रांसप्लांट सर्जन, डॉ. अमित देवरा ने newstrack.com से बात की और इस मामले से जुड़ी जानकारी शेयर की।

ये है पूरा मामला

गोंडा के वजीरगंज अंतर्गत अचलपुर निवासी अनवारूल हक काफी टाइम से बीमार चल रहे थे। घरवालों ने 2015 में नजदीक के ही एक हॉस्पिटल में उनका चेक-अप कराया था। जांच रिपोर्ट आने के बाद घरवालों को उनके किडनी खराब होने के बारे में जानकारी मिली।

डाक्टरों ने उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी थी। लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्होंने ट्रांसप्लांट नहीं कराया। कुछ महीने से उनकी हालत लगातार बिगड़ रही थी। पैसे की तंगी के चलते अनवारुल किडनी ट्रांसप्लांट के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।

अनवारुल का बेटा समसुल भी बीमार रहता है। उसके दिमाग का इलाज चल रहा है। उसके इलाज में भी पैसे खर्च हो रहे है। उधर डाक्टरों ने बताया कि जल्द ट्रांसप्लांट नहीं कराया गया तो उनकी जान भी जा सकती है।

परिवार में अनावरूल का बेटा के अलावा एक बेटी भी है लेकिन वह शादी के बाद अपने ससुराल चली गई थी। घर में उसकी बीबी बची थी लेकिन उनकी तबियत ठीक नहीं रहती है। पिता की किडनी खराब होने के बारे में जब बेटी को जानकारी हुई तो उसने खुद ही किडनी डोनेट करने का फैसला किया।

परिवार की सहमति के बाद उठाया ये बड़ा कदम

बेटी साहिना जिद करके अपने पिता को नोएडा के जेपी हास्पिटल में दिखाने ले गई। वहां पर डाक्टरों ने उसके पिता के लिए किडनी ट्रांसप्लांट बेहद जरूरी बताया।

साहिना ने पहले अपने पति से बात की। पति की सहमति मिलने के बाद उसने डॉक्टरों के सामने अपने पिता को अपनी एक किडनी देने की पेशकश की।

दोनों परिवारों की सहमति के बाद डॉक्टरों ने कुछ जरूरी जांचें शुरू की। बेटी का ब्लड ग्रुप भी पिता से मैच कर गया। वो मैच कर गया। उसके बाद आपरेशन करके डाक्टरों ने साहिना की एक किडनी उसके पिता के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया।

डॉक्टर बोले, दोनों की हालत खतरे से बाहर

जेपी हास्पिटल के सीनियर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. अमित देवरा के मुताबिक़ अनवारुल हक की जांच करने पर उनमें क्रॉनिक किडनी रोग पाया गया। उन्हें रीनल एलोग्राफ्ट ट्रांसप्लान्ट के लिए भर्ती किया गया। किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी सफल रही। किडनी देने वाली बेटी रुखसाना को सर्जरी के कुछ ही दिन बाद छुट्टी दी गई थी। दोनों की हालत खतरे से बाहर है। अब उनकी हालत में तेजी से सुधार हो रहा है। उन्हें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। वे अपने घर भी चले गये हैं।

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