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Delhi में मंदिरों पर DDA का बुलडोजर एक्शन, Supreme Court ने याचिका पर सुनवाई से किया मना

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मयूर विहार के तीन मंदिरों पर डीडीए द्वारा बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार किया। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को दिल्ली हाई कोर्ट जाने की सलाह दी।

Newstrack          -         Network
Published on: 20 March 2025 4:52 PM IST
Delhi में मंदिरों पर DDA का बुलडोजर एक्शन, Supreme Court ने याचिका पर सुनवाई से किया मना
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Supreme Court  (photo: social media )

DDA Demolition Mayur Vihar Temples: दिल्ली के मयूर विहार फेज 2 में स्थित तीन मंदिरों पर डीडीए द्वारा बुलडोजर कार्रवाई किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि उन्हें इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का रुख करना चाहिए।

तीन मंदिरों के नाम - पूर्वी दिल्ली काली बाड़ी समिति, श्री अमरनाथ मंदिर संस्था और श्री बद्रीनाथ मंदिर हैं। इन मंदिरों की समितियों ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा मंदिरों को गिराने का नोटिस दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। डीडीए ने यह नोटिस 19 मार्च को जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संजय मेहता शामिल थे, ने याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी अपील दिल्ली हाई कोर्ट में दायर करें।

क्या था याचिका में?

एडवोकेट विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि डीडीए के अधिकारियों ने बुधवार रात 9 बजे सार्वजनिक नोटिस चिपकाया, जिसमें यह चेतावनी दी गई थी कि 20 मार्च, 2025 को सुबह 4 बजे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाएगा। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि डीडीए या किसी अन्य धार्मिक संस्था से जुड़े अधिकारियों ने मंदिरों के प्रतिनिधियों से कोई चर्चा नहीं की।

याचिका में यह बताया गया कि मंदिर 35 साल पुराने हैं और डीडीए ने काली बाड़ी समिति को मंदिर के सामने की ज़मीन पर दुर्गा पूजा आयोजित करने की अनुमति दी थी। इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने यह भी दावा किया कि डीडीए ने अपनी मर्जी से मंदिरों को गिराने का निर्णय लिया, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 का उल्लंघन है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय के खिलाफ भी है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत से डीडीए के नोटिस को रद्द करने की मांग की थी।

Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

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