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Population Of Hindus: हिंदुओं की घटती जनसँख्या, खतरे का संकेत है !

Population Of Hindus: हिंदुओं की जनसँख्या 7.82 प्रतिशत घट गई है जबकि मुस्लिम आबादी 43.15 प्रतिशत बढ़ गई है। हिन्दुओं के लिए ये अत्यंत चिंताजनक है

Mrityunjay Dixit
Published on: 13 May 2024 11:25 AM IST
Population Of Hindus ( Social Media Photo)
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Population Of Hindus ( Social Media Photo)

Population Of Hindus: लोकसभा चुनावों के चौथे चरण के पूर्व प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की, भारत में जनसँख्या वितरण पर आयी एक रिपोर्ट ने राजनैतिक वातावरण को मानों आग पर रख दिया है, जनसँख्या वितरण पर राजनैतिक बयानबाजी तेज हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1950 से 2015 के बीच कुल जनसँख्या में हिंदुओं की जनसँख्या 7.82 प्रतिशत घट गई है जबकि मुस्लिम आबादी 43.15 प्रतिशत बढ़ गई है। हिन्दुओं के लिए ये अत्यंत चिंताजनक है।

रिपोर्ट के अनुसार हिंदू जनसँख्या के तीव्रता से घटने का सिलसिला पड़ोसी इस्लामिक देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में तो चल ही रहा है, पूर्व के एकमात्र हिंदू राष्ट्र नेपाल में भी हिन्दुओं की जनसँख्या उसी तीव्रता के साथ कम हो रही हे जो अत्यंत चिंताजनक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के अधिकतर मुस्लिम बाहुल्य देशों में भी मुस्लिम हिस्सेदारी में बढ़ोत्तरी हुई हैव हीं हिंदू, ईसाई और अन्य धर्म बहुल देशों में बहुसंख्यक हिससेदारी में कमी आई है। परिषद ने दुनिया के 167 देशों में 1950 से 2015 के बीच आए जनसांख्यिकीय बदलाव का अध्ययन किया है। इन देशों में बहुसंख्यक उन्हें माना गया है जिनकी आबादी 75 प्रतिशत से अधिक है।रिपोर्ट के अनुसार इन देशों में 65 वर्षों में बहुसंख्यकों की हिस्सेदारी में 22 प्रतिशत की कमी आई है लेकिन यह मुस्लिम बहुसंख्यक देशों पर लागू नहीं होता। मुस्लिम बहुल 38 देशों में भी मुस्लिम आबादी बढ़ी है। पड़ोसी राष्ट्र म्यांमार में बहुसंख्यक बौद्ध आबादी भी 78.53 प्रतिशत से घटकर 70.80 प्रतिशत रह गई है। श्रीलंका में बौद्ध आबादी बढ़ी है जहां बौद्धों की आबादी 64.28 प्रतिशत से बढ़कर 67.65 प्रतिशत हो गई है। भूटान में भी बौद्धों की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद की यह रिपोर्ट हिन्दुओं के लिए बहुत ही चौकाने वाली तथा चिंताजनक तथा दुखद है।


स्वतंत्रता के बाद हिन्दुओं की घटती आबादी के लिए ,आखिर कौन जिम्मेदार है? निश्चय ही इसके लिए कांग्रेस व उसके गर्भ से निकलने वाले प्रधानमंत्रियों का शासनकाल व उनकी एकपक्षीय मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों को ही सवार्धिक दोषी माना जाएगा। विकृत राजनैतिक कारणों से भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों की बाढ़ आ गई है, सुदूर पूर्व से लेकर उत्तर के कठिन क्षेत्रों तक बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या बस्तियां हैं। तुष्टिकरण की घृणित राजनीति के कारण भारत के पूर्वोत्तर सहित नौ राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गये हैं जबकि एक दर्जन से अधिक जिले ऐसे हैं जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हो गये हैं। बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंदू आबादी तो मात्र 30 प्रतिशत ही रह गई है और केरल का हाल तो सर्वविदित है। पाकिस्ताऩ़, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में भी हिन्दुओं की घटती आबादी के लिए भी कांग्रेस शासनकाल की लचर नीतियां ही जिम्मेदार हैं क्योंकि जब इन देशों में हिन्दू व अन्य अल्पसंखक समाज के लोगों पर अत्याचार हो रहे थे और उन पर जघन्य अपराध करके उनका धर्मान्तरण किया जा रहा था तब भारत में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारें मुस्लिम तुष्टीकरण के कारण अपना मुंह बंद कर लेती थीं ।कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन दलों का कहना है कि जनमानस के असली मुददों से ध्यान भटकाने के लिए यह झूठी रिपोर्ट जारी की गई है। इन लोगों का यह भी कहना है कि भाजपा के हाथ से यह चुनाव फिसलता जा रहा है जिसके कारण यह रिपोर्ट जारी की गई है । वास्तविकता यह है कोई भी सचेत और सतर्क व्यक्ति स्वयं अनुभव कर सकता है कि हिन्दू आबादी कम हो रही है और मुस्लिम आबादी तीव्रता के साथ बढ़ रही है।


सच तो यह है कि ये रिपार्ट लोकसभा चुनावों में के मध्य विपक्ष और उसकी सहयोगी विदेशी ताकतों द्वारा चलाये जा रहे उस झूठे विमर्श को ध्वस्त कर रही है जिसमें जोर देकर कहा जा रहा था कि भारत में मुसलमान खतरे मे हैं और भारत में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है। अभी हाल ही में अमेरिका से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव हो रहा है इस रिपोर्ट ने उस झूठ की धज्जियाँ उड़ा दी हैं ।आजकल लोकसभा चुनावों को लेकर हर संसदीय क्षेत्र की विभिन्न कोणों से रिपोर्टिंग की जा रही है जिनमें यह भी बताया जा रहा है कि कहां पर कितने मुस्लिम मतदाता हैं अगर इन रिपोर्ट्स को ही आधार मान लिया जाये तो स्थिति कुछ हद तक स्पष्ट हो रही है कि जमीनी सच्चाई कितनी बदल चुकी है और हिन्दू जनसंख्या को लेकर स्थितियां कितनी भयावह हो गई हैं। अधिकांश संसदीय सीटों पर मुसलमान मतदाताओं की संख्या 14 प्रतिशत से ऊपर जा चुकी है। कुछ इलाके जैसे बिहार का किशनंगज तो पूरी तरह से मुस्लिम बहुल हो चुके हैं।

मुस्लिम आबादी के तीव्रता से बढ़ने पर कांग्रेस, सपा, बसपा सहित भारत के अन्य क्षेत्रीय व परिवारवादी दलों का वोट बैंक भी बढ़ता है यही कारण है कि वे हिन्दू समाज से सम्बंधित सभी मुद्दों की अवहेलना करते हैं और मुस्लिम माफियाओं को सर पे बैठाते हैं । थोक मुस्लिम वोट के लिए राम को काल्पनिक बताना, ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग को फव्वारा बताना, कांवड़ियों को गुंडा कहना, सनातन की तुलना डेंगू से करना इनके लिए सामान्य बात है । थोक मुस्लिम वोट पाने के लिए उत्तर प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक मतदान जैसे पवित्र कार्य के लिए “वोट जिहाद” का नारा दिया जा रहा है । मस्जिदों से मुसलमानों को बताया जा रहा है कि उन्हें किस सीट पर किस विरोधी दल के उम्मीदवार को जिताना है । कांग्रेस, सपा, बसपा सहित इंडी गठबंधन आजकल जो संविधान बचाओ संविधान बचाओ का हल्ला कर रहा है वह असल में मुस्लिम तुष्टिकरण की विकृत राजनीति ही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बांग्लादेशी घुसठियों व रोहिंग्याओं की सुरक्षा कवच बन गई हैं । मुस्लिम वोटबैंक के कारण विपक्ष इस ताजा रिपोर्ट को भी झूठा व ध्यान भटकाने वाला मुद्दा बता रहा है।


इंदिरा गाँधी ने देश में आपातकाल लगाया और जनसँख्या नियोजन के नाम पर हिन्दुओं की जबरदस्ती नसबंदी की गई। परिवार नियोजन कार्यक्रम को हिन्दुओं पर थोप दिया गया और मुसलमानों को उससे दूर रखा गया। ”हम दो, हमारे दो“ के नारे के तहत हिन्दुओं को ही टारगेट किया गया और विदेशों से धन लेकर इसके लिए कार्यक्रम चलाए गए जिसका कुप्रभाव अब दिखाई पड़ रहा है।बढ़ती आबादी केवल धार्मिक आधार पर ही चिंता का विषय नहीं है अपितु प्राकृतिक, भौगोलिक और सामाजिक संतुलन के लिए भी चिंताजनक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ही बेरोजागारी की समस्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है जिसके कारण आपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो रही है।कांग्रेस, सपा, बसपा व अन्य इंडी गठबंधन में शामिल सभी भाजपा विरोधी दलों को भले ही घटती हुई हिन्दू आबादी की चिंता न हो किंतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल सहित तमाम हिंदू संगठन इसको लेकर चिंतित हैं ।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से राष्ट्रीय स्वयंसवेक संघ हिन्दुओं की घटती आबादी पर अपनी चिंता व्यक्त करता रहा है और सरकार से धर्मांतरण की रोकथाम के लिए कड़े कानून, जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की बात करता रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी कार्यकारिणी में भी कई बार प्रस्ताव पारित कर चुका है जिसमें उसने सरकारों और देश वासियों से जानना चाहा है कि अगले 30 -40 वर्षों में भारत कितने लोगों का भार सह सकता है। वर्तमान समय में हमारी जनसंख्या नीति कैसी हो हम इसे कैसे लागू करें। घुसपैठियों के कारण बढ़ रहे सामाजिक व सांस्कृतिक परिवर्तनों से समाज को कैसे बचाया जाये। संघ सभी सरकारों से जनसंख्या नियंत्रण कानून व समान नागरिक संहिता कानून लागू करने की मांग करता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लाल किले से अपने सम्बोधन में जनसंख्या नियंत्रण कानून की एक बार बात कर चुके हैं।भारत के कट्टरपंथी मुसलमान, देश का विभाजन करा लेने के बाद भी उसी मानसिकता से चल रहे हैं जोव औरंगजेब के समय में थी और कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन के दल इन्हीं मुसलमानों के विचारों का अनुपालन कर रहे हैं। कांग्रेस चुनाव में प्रतिबंधित पीएफआई का सहयेग लेती है और मुस्लिम लीग की छाप वाला घोषणापत्र बनाती है।


यह बहत ही चिंताजनक है कि भारत जो हिन्दुओं तथा सनातन की धरती है वही कम होती हिन्दू जनसँख्या की समस्या से जूझ रहा है। यदि जनसांख्यिकी परिवर्तन ऐसा ही चला तो 2050 में भारत का क्या होगा यह चिचार करने का समय आ चुका है। वामपंथी विचारधारा के वशीभूत पड़ोसी राष्ट्र नेपाल अपना हिन्दू स्वरूप को खो चुका है। हिन्दू जनसँख्या को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र चलाये जा रहे हैं जिसमें चर्च व इस्लामिक राष्ट्र दोनों शामिल हैं। जनसँख्या असंतुलन के तीनों प्रमुख कारकों – धर्मान्तरण, घुसपैठ और जनसँख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन का पूरा बोझ हिन्दुओं पर डालना तीनों के लिए ही भारत के अन्दर बैठी और भारत के बाहर कार्यरत हिन्दू विरोधी शक्तियां जी जान से लगी हैं।बढ़ती मुस्लिम आबादी के प्रति हिन्दू जनमानस में जागृति लानी होगी तथा गम्भीरता पूर्वक विचार करना होगा कि आने वाले समय में यदि हिन्दू समाज को सुरक्षित रखना है तो क्या करना होगा क्योकि लोकतंत्र में जनसँख्या ही महत्वपूर्ण होगी । इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा कि जब -जब हिन्दू घटा है, बंटा है और कमजोर हुआ है तब तब देश विभाजित हुआ है ।



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Shalini Rai

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