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दून का ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू, CM त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दी शुभकामनाएं
जिले का ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू हो गया है। मेले के लिए ऐतिहासिक दरबार साहिब में रौनक छा गई है। कई राज्यों से संगत द्रोणनगरी पहुंच गई है। झंडा मेला चैत्र माह की पंचमी यानी होली से पांच दिन बाद लगता है। ये मेला देहरादून के संस्थापक कहे जाने वाले गुरु राम राय जी महाराज के जन्मदिन पर आयोजित होता है।
देहरादून: जिले का ऐतिहासिक झंडा मेला शुरू हो गया है। मेले के लिए ऐतिहासिक दरबार साहिब में रौनक छा गई है। कई राज्यों से संगत द्रोणनगरी पहुंच गई है। झंडा मेला चैत्र माह की पंचमी यानी होली से पांच दिन बाद लगता है। ये मेला देहरादून के संस्थापक कहे जाने वाले गुरु राम राय जी महाराज के जन्मदिन पर आयोजित होता है।
श्री गुरु रामराय सिखों के सातवें गुरु श्री गुरु हरिहर राय के ज्येष्ठ पुत्र थे। उनका जन्म होली के पांचवें दिन वर्ष 1646 को पंजाब के जिला होशियारपुर (अब रोपड़) के कीरतपुर में हुआ था। श्री गुरुरामराय जी का पदार्पण यहां सन 1676 में हुआ था। उन्होंने यहां की रमणीयता से मुग्ध होकर ऊंची-नीची धरती पर जो डेरा बनाया, उसी के अपभ्रंश स्वरूप से इस जगह का नाम डेरादीन से डेरादून और फिर देहरादून हो गया। गुरु महाराज ने दरबार में लोक कल्याण के लिए एक विशाल झंडा लगाकर लोगों को इसी ध्वज से आशीर्वाद प्राप्त करने का संदेश दिया। इसी के साथ झंडा साहिब के दर्शन की परंपरा शुरू हो गई।
इस मेले में शामिल होने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। देश विदेशी की संगतें यहां श्री दरबार साहिब पहुंचती हैं। हर वर्ष की तरह इस बार भी यहां 90 फीट ऊंचे झंडे जी पर सादे, मारकीन और दर्शनी गिलाफ चलाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों को देहरादून में आयोजित झंडा मेले की बधाई व शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रेम, सद्भावना,भाईचारा, मानवता व विश्वास से ओत-प्रोत ऐतिहासिक झंडा मेला विशिष्ट परंपराओं को समेटे है। झंडा मेला विश्वास और श्रद्धाभाव का मेला है। उन्होंने कहा कि श्री गुरू राम राय जी महाराज की सीख एवं उनका संदेश आज कहीं अधिक प्रासंगिक है। हमें अपनी इस सौहार्दपूर्ण परम्परा को बनाए रखना है तथा समाज के हर वर्ग की राज्य के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करनी है।