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Delhi: दिल्ली सरकार में मंत्री बने आतिशी और सौरभ भारद्वाज, जानें- दोनों को मिले कौन-कौन से डिपार्टमेंट?

Delhi News : AAP विधायक आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने गुरुवार को मंत्री पद की शपथ ली। आतिशी को शिक्षा, पीडब्ल्यूडी, बिजली और पर्यटन विभाग मिला है।

Krishna Chaudhary
Published on: 9 March 2023 11:08 AM GMT (Updated on: 9 March 2023 11:10 AM GMT)
AAP MLAs Atishi and Saurabh Bhardwaj will take oath as ministers today, know how their political journey has been
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AAP विधायक आतिशी और सौरभ भारद्वाज आज लेंगे मंत्री पद की शपथ, जानें कैसा रहा है इनका सियासी सफर: Photo Social Media

Delhi News: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की विधायक आतिशी (Atishi) और सौरभ भारद्वाज (Saurabh Bhardwaj) ने गुरुवार (9 मार्च) को मंत्री पद की शपथ ली। आतिशी को शिक्षा, PWD, बिजली और पर्यटन विभाग मिला है। जबकि, सौरभ भारद्वाज को स्वास्थ्य, शहरी विकास, जल और उद्योग विभाग मिला है। इससे पहले, दिल्ली के एलजी हाउस में AAP के दोनों नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। सौरभ भारद्वाज ने पहले शपथ ग्रहण किया, फिर आतिशी ने शपथ ली।

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के युवा और तेज तर्रार नेता के तौर पर जाने जाने वाले सौरभ भारद्वाज और आतिशी मार्लेन ने आज मंत्री पद की शपथ ली। सौरभ भारद्वाज जहां तीसरी बार के विधायक हैं, वहीं आतिशी पहली बार विधायक बनी हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दोनों को पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद अपने कैबिनेट में शामिल किया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया कि 7 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के सलाह पर दिल्ली सरकार में विधायक आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज को मंत्री नियुक्त किया गया है। जानकारी के मुताबिक, दोनों नेता 9 मार्च को मंत्री पद का शपथ लेंगे और 17 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र में बतौर मंत्री शामिल होंगे।

कौन हैं सौरभ भारद्वाज ?

आम आदमी पार्टी के तेजतर्रार नेताओं में गिने जाने वाले सौरभ भारद्वाज अक्सर मीडिया में बीजेपी पर तीखा प्रहार करते हुए देखे जाते हैं। टेक्निकल बैकग्राउंड से आने वाले भारद्वाज पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और अन्ना आंदोलन के दौरान से ही अरविंद केजरीवाल के संपर्क में हैं। राजनीति में आने से पहले वह कंप्यूटर इंजीनियर हुआ करते थे। उन्होंने गुरू गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है।

भारद्वाज यूके और यूएस में भी काम कर चुके हैं। वे माइक्रोचिप और कोडिंग के विशेषज्ञ रहे हैं। वर्ष 1979 में जन्मे सौरभ भारद्वाज ने हैदराबाद की उस्मानिय़ा विश्वविद्यालय से वकालत की डिग्री भी हासिल की है। वकालत की डिग्री लेने के बाद वो गरीबों को कानूनी सहायता देने लगे।

सियासी सफर

सौरभ भारद्वाज का सियासी सफर साल 2012 में शुरू होता है। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह पहली बार चुनावी राजनीति में उतरते हैं और ग्रेटर कैलाश सीट से जीत हासिल कर विधानसभा पहुंच जाते हैं। भारद्वाज ने अपने पहले चुनाव में दिग्गज बीजेपी नेता विजय कुमार मल्होत्रा के बेटे अजय कुमार मल्होत्रा को हराया था। तब से वे लगातार इस सीट से तीन बार जीत दर्ज कर चुके हैं।

भारद्वाज 49 दिन तक चली अरविंद केजरीवाल की पहली सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। 28 दिसंबर 2013 से 14 फरवरी 2014 तक उन्होंने परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी। हालांकि, दूसरी बार उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया। केजरीवाल ने उन्हें संगठन को मजबूत करने का दायित्व सौंपा। राघव चड्ढा के राज्यसभा सदस्य बनने के बाद उन्हें दिल्ली जलबोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया। सौरभ भारद्वाज लगातार आम आदमी पार्टी में कामयाबी की सीढ़ी चढ़ रहे हैं।

कौन हैं आतिशी मार्लेना ?

दिल्ली की कालकाजी सीट से जीतकर पहली बार विधायक बनीं आतिशी मार्लेना की गिनती भी आम आदमी पार्टी के युवा और तेजतर्रार नेताओं में होती है। वो पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की सद्सय और प्रवक्ता भी हैं। उनकी पढ़ाई दिल्ली के स्प्रिंगडेल स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ने के बाद रोड्स स्कॉलरशिप हासिल कर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय लंदन से मास्टर्स किया।

राजनीति में आने से पहले वह आंध्र प्रदेश की ऋषि वैली स्कूल में इतिहास पढ़ाती थीं। उनके पास एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी काम करने का लंबा अनुभव है। उन्होंने कई स्वयंसेवी संस्थाओं के साथा काम किया है। उनके पिता विजय कुमार सिंह डीयू में प्रोफेसर थे।

पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सलाहकार के तौर पर काम कर चुकीं आतिशी के बारे में कहा जाता है कि शिक्षा के क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी बदलाव में उनका अहम योगदान है। 2019 के आम चुनाव में उन्होंने पूर्वी दिल्ली से बीजेपी प्रत्याशी और क्रिकेटर गौतम गंभीर के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन जीत नहीं पाईं। अगले साल यानी 2020 में पहली बार कालकाजी से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

विवाद के कारण हटाना पड़ा था सरनेम

आतिशी के सरनेम ‘मारलेना ‘ को लेकर काफी विवाद रहा है। आप नेताओं का बीजेपी पर आरोप रहा है कि वो आतिशी को ईसाई बताकर उनके बारे में झूठी अफवाह फैलाते हैं। अधिक विवाद होने के कारण आतिशी को अपने नाम से ‘मारलेना ‘ हटाना पड़ा था। दरअसल, ‘मारलेना ‘ के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। बताया जाता है कि स्कूल के समय में आतिशी पर मार्क्स और लेनिन का गहरा प्रभाव था। वह उनसे इतनी प्रभावित थीं कि उन्होंने अपने नाम में मार्क्स और लेनिन को जोड़ कर बनने वाले शब्द ‘मारलेना ‘ को जोड़ दिया था।

सिसोदिया और जैन को क्यों देना पड़ा इस्तीफा ?

सीबीआई ने दिल्ली में हुए शराब घोटाले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को आरोपित नंबर 1 बनाया है। पिछले दिनों 8 घंटे तक चली पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। फिलहाल वह सीबीआई के रिमांड पर हैं। गिरफ्तारी के अगले दिन कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उन्होंने मंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया। इसी दौरान तिहाड़ जेल में बंद केजरीवाल सरकार के एक अन्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी अपना इस्तीफा भेज दिया। जैन मई 2022 से जेल में बंद हैं लेकिन सीएम केजरीवाल ने उनका इस्तीफा लेने से इंकार कर दिया था। सत्येंद्र जैन के पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रही है।

Shashi kant gautam

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