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Delhi Assembly Election: केजरीवाल को सता रहा एंटी इनकंबेंसी का खतरा, नए चेहरों पर जता रहे ज्यादा भरोसा
Delhi Assembly Election: भाजपा और कांग्रेस में अभी प्रत्याशियों को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है, मगर केजरीवाल ने दो सूचियों में 31 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।
Delhi Assembly Election: दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने पूरी ताकत लगा दी है। दिल्ली की सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए केजरीवाल इन दिनों पदयात्राओं के जरिए पार्टी की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। भाजपा और कांग्रेस में अभी प्रत्याशियों को लेकर कोई सुगबुगाहट नहीं दिख रही है मगर केजरीवाल ने दो सूचियों में 31 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।
लंबे समय से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप को इस बार एंटी इनकंबेंसी का खतरा भी महसूस हो रहा है और यही कारण है कि केजरीवाल विधायकों का टिकट काटने में तनिक भी संकोच नहीं कर रहे हैं। 31 सीटों में उन्होंने अभी तक 18 विधायकों का टिकट काट दिया है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में भी आप की ओर से कई विधायकों के टिकट काटे जाने की तैयारी है। पार्टी का मानना है कि नए चेहरों के दम पर भाजपा और कांग्रेस को मजबूत चुनौती दी जा सकती है।
18 सीटों पर बदल दिए उम्मीदवार
आम आदमी पार्टी की ओर से पहली सूची में 11 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए थे जबकि दूसरी सूची में सोमवार को 20 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया। पहली सूची में केजरीवाल ने पांच विधायकों के टिकट काट दिए जबकि दूसरी सूची में 13 विधायकों की जगह नए चेहरों पर भरोसा जताया गया है। इस तरह आप की ओर से अभी तक 31 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की गई है और इनमें 18 सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं।
दूसरी सूची में पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सीट भी बदल दी गई है। उन्हें पटपड़गंज की जगह इस बार जंगपुरा विधानसभा सीट से चुनावी अखाड़े में उतारा गया है। सिसोदिया पिछले विधानसभा चुनाव में तीन हजार वोटों से किसी तरह जीत हासिल कर सके थे।
भाजपा के रविंद्र सिंह नेगी की ओर से उन्हें कड़ी चुनौती मिली थी। मतगणना के दौरान कई राउंड में वे भाजपा प्रत्याशी से पिछड़ भी गए थे। ऐसे में आप ने उन्हें इस बार पटपड़गंज से लड़ाने का रिस्क न लेते हुए अवध ओझा को इस सीट से टिकट दिया है।
अच्छा फीडबैक न मिलने के बाद बड़ा कदम
आप से जुड़े जानकार सूत्रों का कहना है कि विधायकों का टिकट काटने का कदम केजरीवाल ने यूं ही नहीं उठाया है बल्कि इसके पीछे उनकी सोची समझी रणनीति दिख रही है। दरअसल पार्टी की ओर से दिल्ली के विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में आंतरिक सर्वे कराया गया था। इस आंतरिक सर्वे के दौरान कई विधानसभा क्षेत्रों के मौजूदा विधायकों के बारे में अच्छा फीडबैक नहीं मिला था।
कई विधानसभा क्षेत्रों में लोग अपने विधायकों के कामकाज से असंतुष्ट थे तो कई विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बात सामने आई थी। ऐसे में एंटी इनकंबेंसी के खतरे को भांपते हुए केजरीवाल कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं थे।
यही कारण है कि उन्होंने अभी तक 31 में से 18 सीटों पर चेहरा बदलते हुए नए लोगों को मौका दिया है। केजरीवाल ने अपने इस कदम के जरिए सत्ता विरोधी रुझान से निपटने की रणनीति अपनाई है।
भाजपा की रणनीति पर काम कर रहे केजरीवाल
भाजपा ने भी कई राज्यों के विधानसभा चुनाव में चेहरों को बदलने का प्रयोग किया है और पार्टी को इसके अच्छे नतीजे मिले हैं। भाजपा ने उम्मीदवारों को बदलकर उनके खिलाफ पब्लिक की नाराजगी को कम करने या खत्म करने में कामयाबी पाई है। अब केजरीवाल भी उसी रणनीति पर अमल करते हुए दिख रहे हैं।
आम आदमी पार्टी के कई विधायकों के लिए यह चौथा चुनाव है और ऐसे में उनके खिलाफ पब्लिक के साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी दिख रही है। इस कारण चेहरा बदलने की केजरीवाल की रणनीति पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
उल्लेखनीय बात यह भी है कि चुनावी जीत हासिल करने के लिए केजरीवाल भाजपा और कांग्रेस से आए चेहरों पर भी दांव लगाने से तनिक भी नहीं हिचक रहे हैं। पहली और दूसरी दोनों सूचियों में कई ऐसे चेहरे शामिल हैं जिन्होंने हाल में आप की सदस्यता ग्रहण की है और अब वे आप के टिकट पर चुनावी अखाड़े में कूद पड़े हैं।
कई और सीटों पर कट सकता है विधायकों का टिकट
दिल्ली में विधानसभा के 70 सीटें हैं और इनमें से 31 सीटों पर आप ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। अब 39 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा होना बाकी है। आप की ओर से प्रत्याशियों के नामों का ऐलान इसलिए भी पहले किया जा रहा है ताकि नए चेहरों को अपने चुनाव क्षेत्र में घूमने और लोगों से संपर्क बनाने का पर्याप्त समय मिल सके।
इसके साथ ही टिकट कटने के बाद संभावित बगावत से निपटने का भी पार्टी को समय मिल जाएगा। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भी पार्टी कई सीटों पर नए दावेदारों को चुनावी अखाड़े में उतार सकती है।