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Delhi Assembly Election 2025: मुस्लिम बिरादरी के असमंजस से उलझी तस्वीर, दिल और दिमाग की लड़ाई में फंस गए मतदाता
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में काफी कड़ा मुकाबला हो रहा है और इसलिए आखिरी समय तक समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है।
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में चुनावी शोर थम चुका है और अब सबकी निगाहें कल होने वाले मतदान पर टिकी हुई हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में काफी कड़ा मुकाबला हो रहा है और इसलिए आखिरी समय तक समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों दलों के पूरी मजबूती से मैदान में होने के कारण मुस्लिम मतदाता असमंजस की स्थिति में दिख रहे हैं।
दिल्ली की 22 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का खासा असर दिखता रहा है मगर इस बार मुस्लिम मतदाताओं ने चुप्पी साध रखी है। कुछ सीटों पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशियों के कारण मुस्लिम मतदाताओं का ऊहापोह और बढ़ गया है। भाजपा को हराना मुस्लिम मतदाताओं का प्रमुख मुद्दा है मगर इसके लिए किस चुनाव क्षेत्र में किस पार्टी को वोट दिया जाए,इस पर मुस्लिम समुदाय में एक राय नहीं दिख रहा है। मुस्लिम मतदाता इस बात को लेकर भी डरे हुए दिख रहे हैं कि कहीं उनका वोट बंटने के कारण भाजपा को फायदा न हो जाए।
इन विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट अहम
दिल्ली की पांच विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर प्राय: मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जीतते रहे हैं। इन सीटों में मुस्तफाबाद,मटिया महल, सीलमपुर, बल्लीमारान और ओखला विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनके अलावा दिल्ली की 18 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां पर मुस्लिम आबादी करीब 10 से 40 फ़ीसदी तक मानी जाती हैं। इन सीटों में करावल नगर, जंगपुरा, सीमापुरी, चांदनी चौक, गांधीनगर, सदर बाजार, बाबरपुर और किराड़ी की सीटें शामिल हैं।
इन विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय प्रत्याशियों की जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पहले मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को समर्थन दिया करते थे मगर अब उनका रुख बदल चुका है। पिछले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय ने आप को जमकर समर्थन दिया था और यही कारण था कि कई विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए जमानत बचाना भी मुश्किल हो गया था।
दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं का आंकड़ा
दिल्ली में मतदाताओं की संख्या 1.55 करोड़ है मगर इसमें मुस्लिम मतदाताओं का कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। 2011 की जनगणना के मुताबिक दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 12.9 फ़ीसदी थी। जानकारों का कहना है कि अब दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 15 से 18 फ़ीसदी तक पहुंच गई है। ऐसे में दिल्ली के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाता बड़ी भूमिका निभाएंगे मगर वे अभी तक आप, कांग्रेस या ओवैसी की पार्टी को लेकर आखिरी फैसला नहीं ले सके हैं।
बंटे हुए दिख रहे हैं मुस्लिम मतदाता
मुस्लिम मतदाताओं के एक वर्ग का मानना है कि दिल्ली की सत्ता में भाजपा को रोकने के लिए एकमात्र यही उपाय है कि आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया जाए। इन मतदाताओं की नजर में दिल्ली चुनाव में भाजपा और आप के बीच ही मुख्य रूप से मुकाबला हो रहा है। दूसरी ओर मुस्लिम मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जो 2020 के दंगे के दौरान आम आदमी पार्टी और इसके नेताओं की भूमिका को लेकर काफी नाराज है।
वे तबलीगी जमात को दोषी ठहराए जाने से भी नाराज हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार अल्पसंख्यकों और वंचितों की आवाज उठाने में जुटे हुए हैं। इसलिए दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को समर्थन दिया जाना चाहिए।
मुस्लिम मतदाताओं का एक वर्ग ऐसा भी है जो एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी का समर्थन कर रहा है। ओवैसी ने दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन समेत कुछ ऐसे प्रत्याशियों को उतारा है जिनके प्रति मुस्लिम मतदाताओं में सहानुभूति दिख रही है।
दिल और दिमाग की लड़ाई ने बढ़ाई उलझन
दिल्ली के कुछ मुस्लिम मतदाता दिल और दिमाग की लड़ाई में फंसे हुए हैं। उनका कहना है कि दिमाग आप को समर्थन देने के लिए कह रहा है मगर दिल कांग्रेस के साथ बना हुआ है। इन मतदाताओं का मानना है कि कांग्रेस के साथ दिल तो जरूर है मगर उसे वोट देने से भाजपा को फायदा हो सकता है और वह दिल्ली चुनाव में बाजी मार सकती है। भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए यह वर्ग आम आदमी पार्टी को समर्थन देना चाहता है।
2020 के दंगे के दौरान दिल्ली के जो इलाके प्रभावित हुए थे, वहां के मतदाताओं की सोच कुछ अलग दिख रही है। इन इलाकों के मतदाताओं का कहना है कि वे किसी पार्टी के नेता को देखकर वोट नहीं डालेंगे बल्कि स्थानीय उम्मीदवारों के चेहरों को देखते हुए ही वोट देने का फैसला करेंगे।
कुल मिलाकर मुस्लिम मतदाता अभी तक असमंजस की स्थिति में दिख रहे हैं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव के लिए कल मतदान होने वाला है,लेकिन कई इलाकों में मतदाता अभी तक किसी फैसले पर नहीं पहुंच सके हैं। यही कारण है कि दिल्ली चुनाव की तस्वीर अभी तक उलझी हुई है। सियासी जानकारों का मानना है कि मुस्लिम मतदाताओं का रुख चुनाव नतीजे को काफी हद तक प्रभावित करने वाला साबित होगा।