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Delhi Assembly Election: कालकाजी में आतिशी की सियासी राह आसान नहीं, बिधूड़ी और अलका लांबा से मिलेगी कड़ी चुनौती
Delhi Assembly Election 2025: भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस बार आप के कद्दावर नेताओं को घेरने की योजना तैयार की है और इसी कड़ी में आतिशी के खिलाफ दोनों दलों ने मजबूत उम्मीदवार उतार दिए हैं।
Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जिन प्रमुख सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं,उनमें कालकाजी विधानसभा सीट विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस विधानसभा क्षेत्र में आप की वरिष्ठ नेता और मुख्यमंत्री अतिशी कड़े मुकाबले में फंस गई हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने उनके खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतार कर उनकी तगड़ी घेरेबंदी कर दी है।
भाजपा ने इस सीट पर अपने दो बार के सांसद रमेश बिधूड़ी को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस ने तेजतर्रार नेता अलका लांबा को उतार कर मुख्यमंत्री आतिशी की सियासी राह मुश्किल बना दी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इस बार आप के कद्दावर नेताओं को घेरने की योजना तैयार की है और इसी कड़ी में आतिशी के खिलाफ दोनों दलों ने मजबूत उम्मीदवार उतार दिए हैं।
बिधूड़ी को उतारकर भाजपा ने इरादे किए जाहिर
भाजपा की ओर से उतारे गए रमेश बिधूड़ी दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से दो बार सांसद रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था और उनकी जगह पर रामवीर बिधूड़ी को चुनावी अखाड़े में उतारा गया था। बिधूड़ी ने जीत हासिल करते हुए भाजपा का इस सीट पर कब्जा पर कार रखा था। अब भाजपा ने बड़ी सियासी चाल चलते हुए रमेश बिधूड़ी को कालकाजी विधानसभा सीट से टिकट देकर आतिशी को घेरने की रणनीति तैयार की है। भाजपा पिछले दो चुनावों में आप को जवाब देने में नाकाम साबित हुई है और इसलिए पार्टी ने इस बार अपने कद्दावर नेता को उतार कर आप को चुनौती देने की कोशिश की है।
बिधूड़ी तीन बार तुगलकावाद विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। उन्होंने 2003,2008 और 2013 में इस विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल की थी। इसके बाद 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वे दक्षिण दिल्ली सीट से जीते थे। इस बार भाजपा ने कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में उन पर दांव लगाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। उनके चुनावी अखाड़े में उतरने से मुख्यमंत्री आतिशी के लिए सियासी मुश्किलें पैदा हो गई हैं।
अलका लांबा के जरिए कांग्रेस की घेरने की रणनीति
दूसरी ओर कांग्रेस ने भी पार्टी की कद्दावर नेता और महिला चेहरे के रूप में अलका लांबा पर दांव लगाकर आतिशी को घेरने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। दिल्ली की सियासत में अलका लांबा का चेहरा काफी पुराना रहा है। कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। वे 1994 से 2014 तक कांग्रेस में सक्रिय थीं मगर बाद में उन्होंने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया था।
2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने आप के टिकट पर चांदनी चौक सीट से जीत हासिल की थी। बाद में आप मुखिया अरविंद केजरीवाल से उनके मतभेद हो गए और कार्यकाल पूरा करने से पूर्व ही 2019 में उन्होंने एक बार फिर कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने 2020 में चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ा था मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अब वे कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में आतिशी को चुनौती देने के लिए उतरी हैं।
कालकाजी से दूसरी बार उतरी हैं आतिशी
मुख्यमंत्री आतिशी शुरुआत से ही आप से जुड़ी हुई हैं मगर 2020 में उन्होंने कालकाजी से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था। पिछली बार कालका जी से आतिशी ने 55,897 वोट हासिल करके जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर बीजेपी के धरमबीर सिंह थे जिन्हें 44,504 वोट मिले थे। कांग्रेस की शिवानी चोपड़ा महज 4965 वोट हासिल कर पाई थीं और वे तीसरे नंबर पर रही थीं। आम आदमी पार्टी ने इस बार फिर इस विधानसभा क्षेत्र में आतिशी पर ही दांव लगाया है। उनका नाम पिछले महीने ही आप की ओर से घोषित कर दिया गया था।
कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में 2015 के विधानसभा चुनाव में भी आप उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी। इस बार भी आप की ओर से इस विधानसभा क्षेत्र में जबर्दस्त मेहनत की जा रही है। आम आदमी पार्टी को पहले ही इस बात की आशंका थी कि इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस की ओर से मजबूत उम्मीदवार उतारे जाएंगे। इसलिए पार्टी की ओर से यहां पर पहले से ही रणनीति के तहत तैयारियां की जा रही थीं।
त्रिकोणीय मुकाबले में आतिशी की राह आसान नहीं
कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में दलित और पंजाबी वाटर निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। इन दोनों समुदायों का वोट हासिल करके पिछले दो चुनावों में आप का प्रदर्शन शानदार रहा है। 2013 में इस सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी जबकि उससे पूर्व तीन चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट पर अपनी ताकत दिखाई थी।
टिकट का ऐलान होने के बाद तीनों उम्मीदवारों की ओर से जीत का दावा किया जा रहा है मगर सियासी जानकारों का मानना है कि इस सीट पर कड़ा त्रिकोणीय मुकाबला होगा जिसमें हार-जीत का फैसला काफी कम वोटों से हो सकता है। ऐसे में मुख्यमंत्री आतिशी की सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है।
तीनों नेताओं की सियासी ताकत की परीक्षा
कालकाजी विधानसभा क्षेत्र में तीनों कद्दावर नेताओं का सियासी कॅरियर दांव पर लगा हुआ है। यदि लोकसभा चुनाव का टिकट कटने के बाद बिधूड़ी इस बार जीत हासिल नहीं कर पाए तो उनका सियासी भविष्य सवालों के घेरे में होगा। दूसरी ओर अलका लांबा भी पिछला चुनाव हारने के बाद इस बार भी हार गईं तो उनके लिए आगे मुश्किलें पैदा हो जाएंगी। मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी को आप का बड़ा चेहरा माना जाने लगा है। इसलिए विधानसभा चुनाव उनके लिए भी बड़ी सियासी परीक्षा की घड़ी साबित होगा।
बिधूड़ी की उम्मीदवारी पर आतिशी का तंज
भाजपा की ओर से बिधूड़ी को टिकट दिए जाने पर मुख्यमंत्री आतिशी ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने विधूड़ी को योग्य उम्मीदवार नहीं माना था मगर अब उन्हें मेरे खिलाफ चुनावी अखाड़े में उतारा गया है। 10 साल तक दक्षिण दिल्ली से सांसद रहने के बाद भाजपा ने उनके काम को टिकट देने लायक नहीं माना था। जब भाजपा को ही बिधूड़ी के काम पर भरोसा नहीं है तो कालका जी के मतदाताओं को उन पर भरोसा कैसे होगा।
कालकाजी के लोग मुझ पर भरोसा करते हैं और यह भरोसा मौजूदा चुनाव में भी बना रहेगा। विधूड़ी की ओर से कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और आतिशी को लेकर दिए गए विवादित बयानों के बाद इन दिनों दिल्ली की सियासत गरमाई हुई है। वैसे सियासी जानकारों का मानना है कि त्रिकोणीय मुकाबले वाली इस विधानसभा सीट पर ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है।