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Delhi Election 2025: क्या इस बार जीत का चौका लगा पाएंगे केजरीवाल? नई दिल्ली सीट पर कड़ा मुकाबला, क्या है समीकरण

Delhi Election 2025: पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लिस्ट पर जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं और वे चौथी बार जीत हासिल करने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरे हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 28 Jan 2025 12:30 PM IST
Arvind Kejriwal
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Arvind Kejriwal  (photo: social media )

Delhi Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में इस बार सभी विधानसभा सीटों पर काफी कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। यूं तो कई विधानसभा सीटों पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं मगर नई दिल्ली विधानसभा सीट को सबसे अहम माना जा रहा है। इस विधानसभा क्षेत्र में इस बार पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल कड़े मुकाबले में फंस गए हैं।

पिछले तीन चुनावों में इस सीट पर जीत हासिल करने वाले केजरीवाल के लिए इस बार सियासी राह आसान नहीं मानी जा रही है। उन्हें भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा और कांग्रेस प्रत्याशी संदीप दीक्षित की ओर से कड़ी चुनौती मिल रही है।

भाजपा और कांग्रेस से मिल रही कड़ी चुनौती

इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 40 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किए थे। हालांकि इनमें से कई ने नामांकन वापस ले लिए और कुछ के नामांकन रद्द कर दिए गए। अब कुल 23 प्रत्याशी आखिरी मुकाबले के लिए बचे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लिस्ट पर जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं और वे चौथी बार जीत हासिल करने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। उन्हें चुनौती देने के लिए दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा के बेटे और पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा के जरिए केजरीवाल की सियासी राह मुश्किल बना दी है।

कांग्रेस ने भी इस सीट को काफी महत्व देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को चुनावी अखाड़े में उतारा है। संदीप दीक्षित भी घर-घर मतदाताओं से संपर्क साधकर भाजपा और आप दोनों के लिए मुश्किलें पैदा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी भी चुनाव मैदान में है और पार्टी ने वीरेंद्र को टिकट दिया है।


जीतने वाली पार्टी की बनती है सरकार

इस सीट पर एक दिलचस्प बात यह जुड़ी हुई है कि पिछले तीन दशक के दौरान इस सीट पर जीत हासिल करने वाली पार्टी ने ही दिल्ली में अपनी सरकार बनाई है। 1993 में भाजपा के टिकट पर इस सीट से कीर्ति आजाद ने जीत हासिल की थी और दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी थी। 1998 से 2008 तक शीला दीक्षित ने लगातार सीट पर जीत हासिल की और उनकी अगुवाई में दिल्ली में कांग्रेस अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही। 2013 में इस सीट पर आप मुखिया अरविंद केजरीवाल को जीत हासिल हुई और दिल्ली में आप सरकार का गठन हुआ। 2015 और 2020 के चुनाव में भी केजरीवाल ने यह सीट जीतकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनाई।


पिछले चुनाव में कांग्रेस का शर्मनाक प्रदर्शन

आप मुखिया अरविंद केजरीवाल पिछले तीन चुनावों में इस सीट पर 50 फ़ीसदी से अधिक वोट पाने में कामयाब रहे हैं। 2020 में हुए पिछले चुनाव के दौरान केजरीवाल ने इस सीट पर 61.10 फ़ीसदी वोट हासिल किए थे। हालांकि 2015 में उन्हें 64.34 फीसदी वोट मिले थे।

पिछले चुनाव के दौरान भाजपा यहां करीब 33 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब रही थी जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन शर्मनाक रहा था और पार्टी को सिर्फ चार फीसदी वोट मिले थे। कांग्रेस ने इस बार संदीप दीक्षित के रूप में मजबूत उम्मीदवार को उतार कर भाजपा और आप को कड़ी चुनौती देने की उम्मीदें पाल रखी हैं।


पॉश इलाके में केजरीवाल का सियासी दांव

नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र का इलाका राजधानी दिल्ली का वीवीआईपी इलाका माना जाता रहा है। कुछ झुग्गी बस्तियों और कॉलोनी को छोड़कर यह दिल्ली का सबसे पॉश इलाका है और यहां मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख 90 हजार है। इस इलाके में केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों के आवास काफी संख्या में है। ऐसे में इस वर्ग का वोट काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

ओबीसी और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की यहां पर अच्छी खासी संख्या है। वाल्मीकि और धोबी बिरादरी के मतदाता यहां प्रत्याशियों की जीत-हार में काफी अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए केजरीवाल ने इस बार के चुनाव से पहले धोबी कल्याण बोर्ड के गठन का सियासी दांव चला है। अब यह देखने वाली बात होगी कि केजरीवाल का यह दांव कितना असर दिखाने वाला साबित होता है।


इस बार केजरीवाल की सियासी राह आसान नहीं

पिछले तीन चुनावों में आसानी से जीत हासिल करने वाले अरविंद केजरीवाल को इस बार पूरी ताकत लगानी पड़ रही है। इससे यह बात स्पष्ट हो जाती है कि उन्हें खुद महसूस हो रहा है कि इस बार उनकी सियासी राह पहले जैसी आसान नहीं रहेगी। केजरीवाल के कंधों पर दिल्ली के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने की बड़ी जिम्मेदारी है मगर इस बार उन्हें अपने क्षेत्र में ही काफी ज्यादा समय देना पड़ रहा है। वे मुख्य रूप से भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा पर हमलावर हैं।

भाजपा की ओर से भी आप मुखिया पर ही लगातार हमले किए जा रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि भाजपा और आप दोनों दलों को एक-दूसरे से खतरा महसूस हो रहा है। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी संदीप दीक्षित मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने आप और भाजपा दोनों दलों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वैसे केजरीवाल की ओर से इस बार भी जीत हासिल करने का दावा किया जा रहा है। उनका कहना है कि मेरे खिलाफ दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों को चुनावी अखाड़े में उतारा गया है मगर जनता आम आदमी पार्टी के बेटे को ही चुनेगी।

नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की जनता किसे चुने की यह तो चुनाव नतीजे से ही पता चलेगा मगर इतना तो तय है कि इस बार केजरीवाल कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं और ऊंट किस करवट बैठेगा,यह नहीं कहा जा सकता।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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