×

Delhi Election: 'पियजिया अनार हो गईल' जब महंगाई ने दिल्ली में बीजेपी का वनवास लिखा, जानें पूरी कहानी

Delhi Election: 1998 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्याज की बढ़ती कीमतों ने बीजेपी की सरकार को एक झटके में नीचे गिरा दिया जिससे अभी तक दिल्ली में उनकी वापसी नहीं हो पाई है।

Network
Newstrack Network
Published on: 28 Jan 2025 9:00 AM IST
Delhi Election
X

Delhi Election

Delhi Election: दिल्ली का चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहा है बीजेपी की टेंशन साफ़ तौर पर दिखनी शुरू हो गई है। क्योंकि 25 सालों से दिल्ली की सियासत में उनके वनवास का अंत होगा या नहीं इसका जवाब मिलना हो गया है। दरअसल 1998 में हुए दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को ऐसी करारी हार मिली थी जिसके बाद से वो अभी तक दिल्ली में वापसी नहीं कर पाई है। उस वक्त बीजेपी की हार की वजह प्याज की कीमतों में बढ़ोत्तरी थी। अक्सर देखा जाता है कि प्याज सिर्फ रसोई का हिस्सा माना जाता है लेकिन उस वक्त हुए चुनाव में प्याज एक सियासी मुद्दा बन गया था जिसने दिल्ली में बीजेपी की सरकार गिरा दी। प्याज की लगातार बढ़ती कीमतों ने एक झटके में दिल्ली की सस्ता की पलट दी।

जानकरी के लिए बता दें कि उस समय केंद्र में अटल बिहारी वायपेयी की सरकार थी। और दिल्ली में बीजेपी का शासन था। और उस समय प्याज की कीमत 4-5 रुपये प्रति किलो से सीधे 50 रुपये किलो के पार पहुंच गईं थी। जिसकी वजह से आम जीवन एकदम अस्त व्यस्त हो गया था। जनता के अंदर मौजूदा सरकार को लेकर गुस्सा भर गया था। और उसी समय नमक की कीमतों में महंगाई आने की भी जबरदस्त अफवाह फैली थी। जिससे जनता में और डर बैठ गया था। उसी समय मशहूर भोजपुरी गायक मनोज तिवारी का लिखा गाना 'अब का सलाद खईब, पियजिया अनार हो गईल। वाह रे अटल चाचा, निमकिया पे मार हो गईल।' काफी ज्यादा फेमस हुआ था। उस समय जैसे हालात थे जनता के मन में बीजेपी सरकार के खिलाफ नाराजगी साफ़ तौर पर दिख रही थी जिसका परिणाम भी कुछ ऐसा आया कि दिल्ली की सत्ता में बीजेपी की वापसी अभी तक नहीं हो पाई है।

चुनाव से पहले सियासी दांव-पेच

प्याज की महंगाई ने बीजेपी के खिलाफ माहौल तैयार कर दिया था। पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाकर जनता का गुस्सा कम करने की कोशिश की। लेकिन महंगाई के खिलाफ जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ। और तभी बड़ा दांव खेलते हुए कांग्रेस ने चुनाव में शीला दीक्षित को चेहरा बनाकर चुनाव लगा और जबरदस्त जीत हासिल की।


प्याज के साथ बदल गई सत्ता की तस्वीर

25 नवंबर 1998 को हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने बीजेपी को करारी सजा दी। 1993 में 49 सीट जीतने वाली बीजेपी उस बार 15 सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस ने 52 सीटों पर कब्जा जमाया। शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने प्रचंड बहुमत हासिल किया और दिल्ली में नया युग शुरू हुआ। 28 नवंबर को नतीजे आने के बाद बीजेपी कार्यालय में सन्नाटा पसरा था, जबकि कांग्रेस कार्यकर्ता ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मना रहे थे। अखबारों में प्याज की माला पहने कांग्रेस समर्थकों की तस्वीरें छाई रहीं।


'शीला युग' की शुरुआत

प्याज की महंगाई का असर ऐसा था कि सुषमा स्वराज महज 52 दिनों में मुख्यमंत्री पद छोड़ने को मजबूर हो गईं। इसके बाद दिल्ली में 15 साल तक शीला दीक्षित का युग चला। यह घटना भारतीय राजनीति का एक बड़ा सबक बन गई। यह दिखा गया कि जनता के मुद्दे अनदेखा करना कितना भारी पड़ सकता है। दिल्ली के इस चुनाव ने साबित किया कि रसोई की समस्याएं सियासत का पूरा चेहरा बदल सकती हैं।



Sonali kesarwani

Sonali kesarwani

Content Writer

Content Writer

Next Story