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Sheila Dikshit: पंजाब की बेटी, यूपी की बहू जानें कहानी शीला दीक्षित की जिन्होंने बदल की दिल्ली की सूरत
Sheila Dikshit: पूर्व सीएम शीला दीक्षित ने अपने 15 सालों के कार्यकाल में दिल्ली की सूरत ही बदल कर रख दी थी।
Sheila Dikshit: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान हो गया है। 5 फरवरी को दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जायेंगे। और चुनाव परिणाम की घोषणा 8 फरवरी को की जाएगी। दिल्ली में इस समय राजनीति बहुत तेज हो गई है। इस चुनाव में तीन पार्टियों बीजेपी, कांग्रेस और AAP के बीच सीधे मुकाबला देखने को मिलेगा। ऐसे वक्त में लोगों को शीला दीक्षित के उस कार्यकाल की याद आई जिसने दिल्ली की सूरत ही बदल कर रख दी थी। 1998 के उस चुनाव में दिल्ली की जनता ने महंगाई से तंग आकर बीजेपी की सत्ता ऐसे पलटी थी कि अभी तक भाजपा दिल्ली में उठ नहीं पाई है। उस चुनाव में कांग्रेस की जबरदस्त जीत के बाद शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री बनाया गया था। और तब दिल्ली की सियासत में ‘शीला युग’ का सूत्रपात हुआ था।
शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस की बनी सरकार
1998 के दिल्ली विधानसभा चुनाव ने दिल्ली की राजनीति को नया मोड़ दिया। कांग्रेस ने शीला दीक्षित के नेतृत्व में 70 में से 52 सीटें जीतकर जबरदस्त वापसी की। 1993 में 49 सीटें जीतने वाली बीजेपी महज 15 सीटों पर सिमट गई। मुख्यमंत्री पद पर शीला दीक्षित ने नई जिम्मेदारी संभाली और दिल्ली का चेहरा बदलने में जुट गईं। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव भी जीते, लेकिन 2013 में कांग्रेस की हार ने उनके 15 साल लंबे मुख्यमंत्री कार्यकाल पर विराम लगा दिया।
शीला दीक्षित का सफर
शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर बेहद रोचक रहा। उनका जन्म 31 मार्च 1938 को कपूरथला, पंजाब में एक पंजाबी हिंदू खत्री परिवार में हुआ। दिल्ली में शिक्षा प्राप्त करने के बाद, 1962 में उन्होंने आईएएस अफसर विनोद दीक्षित से शादी की। आईएएस अफसर विनोद दीक्षित उन्नाव के रहने वाले थे। ऐसे शादी के बाद शीला दीक्षित यूपी की बहू कहलाईं। शीला दीक्षित के ससुर उमा शंकर दीक्षित पूर्व केंद्रीय मंत्री और गवर्नर रह चुके थे। राजनीतिक माहौल से प्रभावित शीला ने 1969 में राजनीति में कदम रखा।
राजीव गांधी सरकार में बनी राज्यमंत्री
1984 में कांग्रेस ने उन्हें कन्नौज लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया। चुनाव जीतने के बाद वह राजीव गांधी सरकार में राज्यमंत्री बनीं। 1989 में वह यह सीट हार गईं। 1998 में कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष बनाया और विधानसभा चुनाव में गोल मार्केट सीट से कीर्ति आजाद के खिलाफ उतारा। कांग्रेस ने चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया और शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं।
शीला दीक्षित ने बदली दिल्ली की तस्वीर
मुख्यमंत्री बनने के बाद शीला दीक्षित ने दिल्ली में बदलाव की शुरुआत की। सीएनजी बसों का बेड़ा, 70 से अधिक फ्लाईओवर और बुनियादी ढांचे में सुधार उनके प्रमुख कार्यों में शामिल रहे। उनके पहले और दूसरे कार्यकाल के दौरान केंद्र में वाजपेयी सरकार थी, लेकिन दिल्ली बनाम केंद्र का विवाद कभी नहीं हुआ। उन्होंने चुपचाप दिल्ली को नया स्वरूप दिया।