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दिल्ली: अरविन्द केजरीवाल से अतिशी तक

Delhi Politics: वर्तमान मुख्यमंत्री अतिशी के ग्रह-नक्षत्र उच्च कोटि के थे इसीलिए उन्होंने राजनीति में अपनी पहचान, एक कर्मठ नेता के रूप में स्थापित की। वे प्रथम बार दिल्ली से विधायक निर्वाचित हुई।

Yogesh Mohan
Published on: 28 Sept 2024 5:37 PM IST
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Delhi Politics: भारत देश की राजधानी दिल्ली को यदि हम अतीत के झरोखों से देखने का प्रयास करें, तो यह शहर विचित्र इतिहास समेटे हुए है। प्राचीनकाल में मुगलों ने वहाँ की जनता पर विभिन्न प्रकार के अन्याय किए, फिर भी इस दिल वालों की दिल्ली शहर ने पाकिस्तान से विस्थापित हुए सिख तथा पंजाबी जनता को अपने स्थायी सदस्य के रूप में स्थान दिया। पूर्व में दिल्ली अंग्रेजों की राजधानी बनी थी, तब से लेकर अब तक यह भारत की राजधानी बनकर सभी के दिलों पर राज कर रही है और सम्पूर्ण प्रदेशों की जनता ने इस शहर की ओर आकर्षित होकर यहाँ पर अपना निवास तथा कर्मभूमि बनाकर इसको भव्य रूप प्रदान किया।

मनुष्य के जीवन में ग्रह-नक्षत्रों का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान होता है, इनके प्रभाव से कब कोई व्यक्ति सफलता की ऊँचाईयों को छू ले और कब पतन की ओर अग्रसर हो जाए, भाग्य के इस खेल को समझना अत्यधिक कठिन कार्य है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के व्यक्तित्व वृतान्त पर यदि दृष्टिपात करें तो इनके विषय में अनेकों रोचक तथ्य ज्ञात होते है। ये एक ईमानदार इंकम टैक्स कमीश्नर के रूप सम्पूर्ण विभाग में प्रसिद्ध थे, तत्पश्चात भाग्य परिवर्तित हुआ और ये नौकरी से त्यागपत्र देकर, अन्ना हजारे के आन्दोलन में सम्मिलित हुए और दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए।


मुख्यमंत्री के रूप में इन्होंने दिल्ली की जनता के उत्थान हेतु चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र में अनेकों श्रेष्ठ योजनाए क्रियान्वित की। इसी दौरान अरविन्द केजरीवाल के ग्रहों की विपरीत दिशा के उन्हें शराब घोटाले के आरोप में कारावास में जाना पड़ा, न्यायालयों के चक्कर काटने पड़े, तत्पश्चात लगभग 6 माह कारावास की सजा काटने पश्चात सर्वोच्च न्यायालय से इनकी जमानत कुछ शर्तों के अधीन हो पाई, जिसके अन्तर्गत उनकी छवि एक दिखावटी मुख्यमंत्री के रूप में रह गई, अब वे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर अपने पद के अनुरूप कार्य नहीं कर सकते थे, इसी कारण अब उनके पास किसी अन्य को नामित करने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प शेष नहीं था।


वर्तमान मुख्यमंत्री अतिशी के ग्रह-नक्षत्र उच्च कोटि के थे इसीलिए उन्होंने राजनीति में अपनी पहचान, एक कर्मठ नेता के रूप में स्थापित की। वे प्रथम बार दिल्ली से विधायक निर्वाचित हुई। तत्पश्चात उनकों दिल्ली सरकार के 10 मंत्रालय के संचालन का दायित्व दिया गया और इसी के साथ-साथ वे आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता भी नियुक्त की गई। इन्होंने अपनी कार्यशैली से दिल्ली की महिलाओं के हृदय में अपना एक विशेष स्थान बनाया। इसी से प्रभावित होकर अरविन्द केजरीवाल ने उनके नाम का प्रस्ताव अपने विधायकों के समक्ष रखा, जिसे सभी ने सर्वसम्मति से स्वीकार किया तथा इसी से अतिशी के मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ।


मुख्यमंत्री अतिशी अभी मात्र 43 वर्षीय युवा है। उनके द्वारा किए गए कार्यो से अब ये निश्चित हो गया है कि वे दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करेंगी। उनकी राजनीतिक यात्रा मात्र 11 वर्ष की है, परन्तु इन 11 वर्षों में उन्होंने जो लोकप्रियता की ऊँचाईयाँ प्राप्त की, वो बहुत ही कम लोगों को प्राप्त होती है। इस नेता में जनता के हितार्थ लड़ने की क्षमता है, यह उन्होंने जनता की पानी की मांग की पूर्ति हेतु अनशन पर बैठकर प्रमाणित भी कर दिया था। अतिशी के मुख्यमंत्री बनने के पश्चात, यह सम्भावना है कि दिल्ली का राजनीतिक युद्ध भाजपा तथा आम आदमी पार्टी के मध्य अत्यधिक रोचक होगा। अब देखना यह है कि अतिशी के प्रतिद्वंद्वी के रूप में भाजपा किस नेता को उम्मीदवार बनाती है। वर्तमान में भाजपा में दिल्ली का कोई भी लोकप्रिय नेता उपलब्ध नहीं है। भाजपा की एक नेता स्मृति ईरानी का नाम चर्चा में है, उनकी समस्या यह है कि उनकी पहचान भाजपा के शीर्ष नेताओं के मध्य तो है परन्तु साधारण मतदाताओं के मध्य वे प्रभावहीन है।


अब आगामी चुनाव 6 माह के अन्तराल में प्रस्तावित है। भाजपा को पुनः ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आगामी चुनाव भी मोदी के नेतृत्व में ही होगा। विडम्बना यह है कि आज भाजपा के पास चमत्कारी नेता के रूप में एक मात्र मोदी ही हैं, जिनकी लोकप्रियता के आधार पर अन्य राज्यों की भांति ही दिल्ली के चुनाव होने की सम्भावना है। राजनीति के क्षेत्र में लोकतंत्र की भूमिका अत्यधिक अहम है, वे राजनेताओं को कब फर्श से अर्श और अर्श से फर्श पहुँचा दे यही लोकतंत्र का आनंद तथा ग्रह-नक्षत्रों का खेल है।

( लेखक स्तंभकार व शिक्षाविद हैं।)



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Shalini singh

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