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Manjinder Singh Sirsa: मनजिंदर सिंह सिरसा बन सकते हैं दिल्ली के सीएम, सिख वोटों और पंजाब को साधने के लिये सिरसा हो सकते हैं सूत्रधार
Manjinder Singh Sirsa: दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को हराकर सत्ता का 27 साल का वनवास खत्म करने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सामने अगली बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री पद का चुनाव करना है।
Manjinder Singh Sirsa (Photo: Social Media)
Manjinder Singh Sirsa: दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को हराकर सत्ता का 27 साल का वनवास खत्म करने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सामने अगली बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री पद का चुनाव करना है। पार्टी में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदारों के नाम चर्चा में हैं, और अब राजनीतिक गलियारों में एक नया नाम उठने लगा है—बीजेपी के राजौरी गार्डन से विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा।
मनजिंदर सिंह सिरसा का नाम इसलिए चर्चा में है क्योंकि वह पार्टी के लिए एक मजबूत पंजाबी-सिख चेहरा माने जा रहे हैं। दिल्ली में सिख समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बीजेपी पंजाबी चेहरा चुन सकती है। सिरसा को लेकर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए इस रणनीति के तहत उठाया जा सकता है, ताकि पार्टी पंजाब में सिख समुदाय के बीच अपनी साख और पैठ बढ़ा सके।
जब इस बारे में मनजिंदर सिंह सिरसा से सवाल किया गया, तो उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पर कहा, "दिल्ली का मुख्यमंत्री पद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा तय किया जाएगा। जो भी दिल्ली का मुख्यमंत्री होगा, वह प्रधानमंत्री मोदी के बताए हुए विजन को लागू करेगा।" उनके इस बयान से यह स्पष्ट है कि वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के फैसले का सम्मान करेंगे और किसी प्रकार का विवाद नहीं उठाना चाहेंगे।
पंजाब में बीजेपी की स्थिति
पंजाब में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में जटिल रही है, लेकिन हाल ही में पार्टी ने अपनी रणनीतियाँ बदलने की कोशिश की है। बीजेपी के लिए पंजाब एक विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण राज्य बना हुआ है, जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरकर सामने आई हैं।
सिख समुदाय में पैठ बनाने की रणनीति
पंजाब में बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती सिख समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाना है। भारतीय जनता पार्टी को शुरू से ही यह आरोप लगता रहा है कि वह हिंदू पार्टी के रूप में ज्यादा पहचानी जाती है और पंजाब में सिख समुदाय के बीच पार्टी की स्वीकार्यता कम है। हालांकि, बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में इस स्थिति को बदलने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई हैं। पार्टी ने खासतौर पर सिख समुदाय के चेहरों को आगे बढ़ाने की कोशिश की है, जैसे अमरिंदर सिंह और रवनीत सिंह बिट्टू सिरसा।
पार्टी का पंजाब में नया दृष्टिकोण
बीजेपी ने पंजाब में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पिछले कुछ समय में अपनी रणनीतियों को और अधिक आक्रामक और सिख-समुदाय केंद्रित बनाने की कोशिश की है। पार्टी ने केंद्र में मोदी सरकार के कामकाज और विशेषकर किसान आंदोलन के संदर्भ में अपनी स्थिति को स्पष्ट किया। बीजेपी ने यह दावा किया कि पार्टी ने सिख समुदाय के हितों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में प्रमुख भूमिका निभाना।
बीजेपी के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह पंजाब में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए नए अवसर तलाश रही है। बीजेपी का लक्ष्य अब यह होगा कि वह राज्य में न केवल सिख समुदाय के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ाए, बल्कि एक मजबूत और स्थिर नेतृत्व की छवि भी बनाए रखे। पंजाब में बीजेपी की राह आसान नहीं होगी, लेकिन अगर पार्टी सही रणनीतियों के साथ आगे बढ़ती है, तो यह राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकती है।