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Delhi elections 2025: दिल्ली चुनाव के बीच कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती, बदले सियासी माहौल में अच्छा प्रदर्शन क्यों हुआ मुश्किल
Delhi elections 2025: हरियाणा और महाराष्ट्र की चुनावी हार के बाद कांग्रेस के सामने दिल्ली में अच्छे प्रदर्शन का अतिरिक्त दबाव बन गया है।
Delhi elections 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस दोहरी चुनौती के बीच फंसती हुई दिख रही है। एक ओर पार्टी दिल्ली चुनाव में भाजपा और आप से पिछड़ती हुई दिख रही है तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में उसके सहयोगी दलों ने ही पार्टी से किनारा कर लिया है। पहले सहयोगी दलों ने कांग्रेस और राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाए और अब अधिकांश विपक्षी दल कांग्रेस से कतराने लगे हैं।
ऐसे माहौल में दिल्ली की लड़ाई में कांग्रेस का ‘हाथ’ पहले ही कमजोर नजर आने लगा है। दिल्ली चुनाव में पार्टी ने पूरी मजबूती के साथ लड़ाई लड़ने की रणनीति तैयार की है मगर बदले हुए सियासी माहौल में कांग्रेस की यह रणनीति फेल साबित होती हुई दिख रही है। इंडिया गठबंधन के अधिकांश सहयोगी दलों ने कांग्रेस से किनारा कर लिया है और वे खुलकर आम आदमी पार्टी के समर्थन में उतर गए हैं।
जंग से पहले ही पिछड़ रही कांग्रेस
दरअसल दिल्ली के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस जंग से पहले ही तीसरे नंबर पर पिछड़ती हुई दिख रही है। दिल्ली के पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का प्रदर्शन काफी शर्मनाक रहा है और ऐसे में कांग्रेस के सामने दिल्ली में अपनी ताकत दिखाने की बड़ी चुनौती पैदा हो गई है।
हालांकि पार्टी ने कई विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत उम्मीदवार उतार कर अपनी चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने का प्रयास किया है मगर फिर भी कांग्रेस के लिए दिल्ली की सियासी जंग आसान नहीं मानी जा रही है। भाजपा और आप की चुनावी तैयारी और रणनीति के आगे कांग्रेस का दमदार प्रदर्शन काफी मुश्किल माना जा रहा है।
आप के खिलाफ मोर्चा खोलना पड़ा भारी
हरियाणा और महाराष्ट्र की चुनावी हार के बाद कांग्रेस के सामने दिल्ली में अच्छे प्रदर्शन का अतिरिक्त दबाव भी है। कांग्रेस ने दिल्ली में आक्रामक चुनावी रणनीति तैयार की और भाजपा के साथ ही आप के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया। पार्टी ने आम आदमी पार्टी पर तीखा हमला करने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और आप मुखिया अरविंद केजरीवाल पर पर्सनल हमले भी किए।
कांग्रेस की ओर से अपनाई गई इस रणनीति को केजरीवाल ने मौके के रूप में लिया और इसे भुनाने की कोशिश करते हुए कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से बाहर करने की मांग कर डाली। केजरीवाल के इस कदम के बाद कांग्रेस इंडिया गठबंधन में ही अलग-थलग पड़ती हुई दिख रही है क्योंकि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने खुलकर दिल्ली चुनाव में केजरीवाल की पार्टी आप को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
सहयोगी दलों ने कर लिया पूरी तरह किनारा
इस तरह दिल्ली का चुनाव कांग्रेस के लिए काफी महंगा पड़ता हुआ दिख रहा है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। उस समय तक सबकुछ ठीक चल रहा था मगर हरियाणा चुनाव के दौरान दोनों दलों के बीच गठबंधन नहीं हो सका। दरअसल हरियाणा में कांग्रेस खुद को मजबूत मान रही थी और आप को सम्मानजनक सीटें देने के लिए तैयार नहीं थी।
अब आप दिल्ली चुनाव में खुद को मजबूत मान रही है और पार्टी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह दिल्ली की सियासी जंग अपने दम पर लड़ेगी। दिल्ली की जंग में कांग्रेस को दूसरा झटका तब लगा जब इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल भी कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी के साथ खड़े हो गए।
दिल्ली के दंगल में अकेली पड़ी कांग्रेस
अब दिल्ली की जंग के साथ इंडिया गठबंधन में भी कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत पैदा हो गई है। अखिलेश यादव, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे और तेजस्वी यादव जैसे कद्दावर नेताओं ने कांग्रेस से किनारा करते हुए आम आदमी पार्टी का समर्थन करने की बात कही है। तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह डाला कि इंडिया गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए बनाया गया था।
सहयोगी दलों के इस रवैए ने कांग्रेस के सामने दिल्ली की सियासी जंग अकेले लड़ने की बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। दिल्ली के दंगल में कांग्रेस इंडिया गठबंधन में अकेली रह गई है। दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग के बाद 8 फरवरी को चुनाव नतीजे की घोषणा की जाएगी। चुनाव नतीजे में यदि कांग्रेस का प्रदर्शन दमदार नहीं रहा तो पार्टी के लिए आगे की सियासी राह और मुश्किल हो जाएगी