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किसान ने फिर बदली रणनीति: अब ऐसे देंगे आंदोलन को धार, जानें क्या है प्लान

मौजूदा हालात में किसानों के समक्ष अपने हक के लिए लड़ने और आंदोलन को आगे चलाने के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। हालांकि तेजी से बदलते हालात में किसानों ने अपनी नई रणनीति का खुलासा नहीं किया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि किसानों के पंचों के बीच मौजूदा हालात को लेकर उहापोह की स्थिति है।

Shreya
Published on: 20 Feb 2021 8:10 AM GMT
किसान ने फिर बदली रणनीति: अब ऐसे देंगे आंदोलन को धार, जानें क्या है प्लान
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किसानों की फिर बदली रणनीतिः अब ऐसे आएगी आंदोलन में धार

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली: 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन अपने उतार चढ़ाव के बीच निरंतर आगे बढ़ रहा आंदोलन के इस सफर में तमाम चुनौतियां आयीं अलगाववादियों के जुड़ाव, हिंसा और जातीय वार भी आंदोलनकारियों और कथित रूप से आंदोलनजीवियों के हौसले को नहीं डिगा सका है। किसान आंदोलन के दौरान विदेशों से आर्थिक मदद के भी आरोप लगे लेकिन किसान गांव गांव से आंदोलनरत अपने भाई बंधुओं के लिए आर्थिक व खाने पीने से मदद भेजते रहे।

किसानों की घेराबंदी पड़ रही कमजोर

पिछले दिनों ये खबरें आई थीं कि दिल्ली में किसानों की घेराबंदी कमजोर पड़ रही है। किसानों का फोकस किसान महापंचायतों पर हो गया था लेकिन अब एक बार फिर से किसानों ने दिल्ली पर फोकस किया है। सरकार के साथ वार्ता में गतिरोध जारी है। ऐसा लगता है कि किसान ने आंदोलनकारी किसानों को नजरअंदाज करने का फैसला ले लिया है।

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rakesh tikait (फोटो- सोशल मीडिया)

फसल का त्याग करने के लिए तैयार हैं किसान

इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि अगर सरकार नहीं जाग रही है तो इसके लिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम दिल्ली छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं। किसान पिछले 70 वर्षों से नुकसान की खेती में लिप्त हैं। अगर उन्हें एक और फसल का त्याग करना पड़ता है, तो वे इसके लिए तैयार हैं।

अगर उन्हें फसल काटने के लिए अधिक श्रमिकों की मदद लेनी पड़ेगी, तो भी वे ऐसा करेंगे। वे अपने घर पर फसल रखेंगे लेकिन आंदोलन कमजोर नहीं होने देंगे।

किसानों की गिरफ्तारी को लेकर किसान नेता ने कही ये बात

किसान नेता गुरनाम सिंह चडूनी ने कहा है कि अगर गांव में पुलिस किसानों को गिरफ्तार करने आती है तो वह उसका घेराव करें और ये घेराव तब तक करें जब तक कि जिला प्रशासन के अधिकारी आकर यह नहीं कह देते कि वह दोबारा इसकी इजाजत नहीं देंगे।

इस बीच महाराष्ट्र के यावतमाल जिले से खबर आ रही है कि प्रशासन ने किसानों को पंचायत करने की इजाजत नहीं दी है। ये हाल उस राज्य का है जहां कांग्रेस सत्ता में भागीदार है। शिवसेना किसानों की हिमायती भरने का दम भर रही है। एनसीपी नेता शरद पवार किसानों के लिए लड़ने की बात कर रहे हैं।

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farmers protest (फोटो- सोशल मीडिया)

बढ़ती जा रही हैं चुनौतियां

मौजूदा हालात में किसानों के समक्ष अपने हक के लिए लड़ने और आंदोलन को आगे चलाने के लिए चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं। हालांकि तेजी से बदलते हालात में किसानों ने अपनी नई रणनीति का खुलासा नहीं किया है लेकिन सूत्रों का कहना है कि किसानों के पंचों के बीच मौजूदा हालात को लेकर उहापोह की स्थिति है।

गोवा में भी किसानों एयरपोर्ट लिंक रोड पर प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार किया गया है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी किसानों की समस्या को लेकर कल बड़ी मीटिंग करने जा रहे हैं।

modi-shah (फोटो- सोशल मीडिया)

भारतीय जनता पार्टी के लिए परेशानी का सबब

लेकिन एक बात तय है कि लगभग तीन महीने पुराने किसानों के आंदोलन ने सत्ताधारी पार्टी की छवि में सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की है। फिर चाहे वह चुनावी लाभ हानि में कैसे तब्दील होती है यह विपक्षी राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है।

यदि यह क्षण एक राजनीतिक मोड़ की ओर ले जाता है, तो यह भारतीय जनता पार्टी के लिए परेशानी का सबब और विपक्ष के लिए दुर्लभ अवसर होगा। सीधे शब्दों में कहें, यह बड़े पैमाने पर विपक्ष को पुनः उठकर खड़ा होने के लिए एक दुर्लभ अवसर है।

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