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Heavy Flood in Delhi: क्या फिर 1978 जैसी दिल्ली में आएगी सबसे प्रलयकारी बाढ़, नहीं भुलाया जा सकता वो मंजर
Delhi Floods : नई दिल्ली. उत्तर भारत में मानसून की बारिश कहर बरपा रही है। नदी-नाले उफान पर हैं। मैदानी इलाकों में जहां पानी का सैलाब आ चुका है,
Delhi Floods : नई दिल्ली. उत्तर भारत में मानसून की बारिश कहर बरपा रही है। नदी-नाले उफान पर हैं। मैदानी इलाकों में जहां पानी का सैलाब आ चुका है, वहीं पहाड़ों पर बादल फट रहे हैं और भूस्खलन हो रहा है। इन सबके बीच देश की राजधानी दिल्ली में स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है। दिल्ली की जलमग्न सड़कें, गली, मोहल्ले खबरों में बने हुए हैं। यमुना में लगातार बढ़ते जलस्तर ने शहर को बाढ़ का मुहाने पर ला दिया है। राजधानी के निचले इलाके में यमुना की पानी में डूब चुके हैं।
हरियाणा के हथनी कुंड बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण दिल्ली में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र को खत लिखकर इसमें हस्तक्षेप की मांग की है। यमुना का जलस्तर फिलहाल 208 मीटर के पार पहुंच गया है। यह खतरे के निशान 205 मीटर से तीन मीटर ज्यादा है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, इसके जल्द 209 मीटर पर पहुंचने की संभावना है। अगर वाकई में ऐसा होता है तो अधिकांश इलाके जलमग्न हो जाएंगे।
हालांकि, ये कोई पहली दफा नहीं है, जब दिल्ली बाढ़ का सामना कर रही हो। इससे पहले भी राष्ट्रीय राजधानी में बाढ आते रहे हैं। इनमें से कुछ तो काफी भयानक साबित हुए थे। दिल्ली में आखिरी बार भीषण बाढ़ दस साल पहले यानी 2013 में आई थी। उसके बाद राजधानिवासियों ने इस तरह के बाढ़ को नहीं देखा। लेकिन मौजूदा स्थिति ने कई पुराने लोगों को साल 1978 की याद दिला दी, जब देश की राजधानी की हालत बिहार और असम जैसे बाढ़ग्रस्त इलाके सरीखे हो गई थी।
कब-कब डूबी है दिल्ली ?
यमुना नदी के किनारे बसे दिल्ली भले देश की राजधानी हो लेकिन बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से ये कभी अछूती नहीं रही। जिस तरह गंगा-यमुना समेत अन्य नदियों के किनारे बसे मैदानी इलाकों में मानसून के दौरान बाढ़ तबाही मचाती है, उसी तरह दिल्ली में भी होता आया है। जब-जब यमुना का जलस्तर खतरनाक ढंग से बढ़ा है, दिल्ली में बाढ़ जैसे हालात हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1900 के बाद दिल्ली में कई बाढ़ आईं। 1924, 1947, 1976,1978, 1988, 1995, 2010 और 2013 में इसी प्रकार जब यमुना नदी का जलस्तर बढ़ गया था, तो निचले इलाके डूब गए थे।
1978 में आई थी सबसे प्रलयकारी बाढ़
दिल्ली में सबसे प्रलयकारी बाढ़ साल 1978 में आई थी। उस बाढ़ को देखने वाले लोग आज भी उन दिनों के खौफनाक मंजर को याद कर सिहर उठते हैं। दिल्ली की 40 हजार वर्ग किमी से अधिक कृषि योग्य भूमि पानी में डूब गई थी। आवासीय संपत्ति से लेकर बाजारों तक को काफी नुकसान पहुंचा था। लाखों लोग घर से बेघर हो गए थे। सरकारी आंकड़े के मुताबिक, उस दौरान आई बाढ़ में 18 हजार लोग की जान गई थी। करीब 10 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ था। बाढ़ पीड़ितों तक मदद पहुंचाने के लिए वायुसेना की मदद लेनी पड़ी थी। दुनियाभर में तब दिल्ली में आई वो बाढ़ सुर्खियों में छाई हुई थी। उस दौरान हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से लगभग 7 लाख क्युसेक पानी छोड़ा गया था। यही वजह है कि सीएम अरविंद केजरीवाल बार-बार केंद्र सरकार से हरियाणा सरकार को पानी न छोड़ने के निर्देश देने का अनुरोध कर रहे हैं।