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हर बाबा-साधु को सार्वजनिक भूमि पर मंदिर बनाने दिया तो विनाशकारी नतीजे होंगे: दिल्ली हाईकोर्ट

High Court : इस तरह निहित स्वार्थ समूहों द्वारा निजी लाभ के लिए इसका उपयोग जारी रखा जाता है, तो इसके परिणाम विनाशकारी होंगे और व्यापक जनहित को खतरे में डालेंगे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 1 Jun 2024 4:58 PM IST (Updated on: 10 Aug 2024 6:53 PM IST)
Delhi HighCourt
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Delhi HighCourt (Photo: SOcial Media)

High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर हर एक साधु, बाबा और गुरु को सार्वजनिक जमीन पर मंदिर या समाधि स्थल बनाने और निजी लाभ के लिए इसका इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई, तो इसके परिणाम विनाशकारी होंगे और व्यापक जनहित को खतरे में डालेंगे।

उच्च न्यायालय के जस्टिस धर्मेश शर्मा ने एक मामले की सुनवाए के दौरान कहा कि भगवान शिव के भक्त नागा साधुओं को सांसारिक मामलों से पूरी तरह से अलग रहने के लिए कहा गया है और उनके नाम पर संपत्ति के अधिकार की मांग करना उनकी मान्यताओं और प्रथाओं के अनुरूप नहीं है। कोर्ट ने कहा - हमारे देश में विभिन्न हिस्सों में हजारों साधु, बाबा, फकीर या गुरू पाये जा सकते हैं और अगर उनमें से हर एक को सार्वजनिक भूमि पर मंदिर या समाधि स्थल बनाने की अनुमति दी जाती है और इस तरह निहित स्वार्थ समूहों द्वारा निजी लाभ के लिए इसका उपयोग जारी रखा जाता है, तो इसके परिणाम विनाशकारी होंगे और व्यापक जनहित को खतरे में डालेंगे।

क्या है मामला?

उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी महंत नागा बाबा शंकर गिरि द्वारा उनके उत्तराधिकारी के जरिये से दायर याचिका को खारिज करते हुए की, जिसमें उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट को दिल्ली के त्रिवेणी घाट, निगमबोध घाट पर नागा बाबा भोला गिरि के मंदिर की संपत्ति का सीमांकन करने का निर्देश देने की मांग की गयी थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि वह दिल्ली विशेष कानून अधिनियम द्वारा निर्धारित 2006 की समय सीमा से काफी पहले ही संपत्ति पर काबिज हो गया था। याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि फरवरी 2023 में दिल्ली सरकार के बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने संपत्ति के आसपास की कई झुग्गियों और अन्य इमारतों को ध्वस्त कर दिया, जिससे उन्हें मंदिर के ध्वस्त होने का खतरा है।

याचिका में कोई दम नहीं

अदालत ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें कोई दम नहीं है और याचिकाकर्ता के पास संपत्ति का उपयोग और कब्जा जारी रखने का कोई अधिकार, टाइटल या हित नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट है कि वह (याचिकाकर्ता) एक उच्च श्रेणी का अतिक्रमणकारी है और सिर्फ इस तथ्य के आधार पर कि वह 30 साल या उससे अधिक समय से खेती कर रहा है, उसे इस संपत्ति पर कब्जा जारी रखने के लिए कोई कानूनी अधिकार, टाइटल या हित नहीं दिया जाता है। कोर्ट ने कहा - ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता ने 1996 में दिवंगत बाबा के मंदिर के अलावा टिन शेड और अन्य सुविधाओं के साथ दो कमरे बनाए हैं। रिकॉर्ड पर ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे येह पता चलता हो कि यह जगह किसी ऐतिहासिक महत्व की है या पूजा के लिए या दिवंगत बाबा के लिए प्रार्थना करने के लिए जनता को समर्पित है।



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Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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