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DELHI HC: पहली पत्नी के जीवन में दूसरा विवाह अवैध, दूसरी को वैध पत्नी का दर्जा नहीं
उच्च न्यायालय ने कहा कि हिन्दू कानून के तहत विवाह पवित्र बंधन है, अनुबंध नहीं। जस्टिस प्रतिभा रानी ने कहा कि 1990 में जब याची ने सफाईकर्मी से शादी की, तो उसकी पहली पत्नी जीवित थी, इसलिये दूसरा विवाह अवैध है।
नई दिल्ली: पहली पत्नी के रहते हुए दूसरी पत्नी का विवाह वैध नहीं है, और उसे पत्नी के रूप में अधिकार हासिल नहीं हो सकते। यह फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिकाकर्ता महिला ने पति की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर उसकी जगह नौकरी की मांग की थी। महिला का दावा था कि उसने मृतक से शादी की थी, हालांकि उस समय उसकी पहली पत्नी जीवित थी।
दूसरी को पत्नी का दर्जा नहीं
-महिला ने कहा था कि उसने 1990 में सरकारी अस्पताल के एक सफाईकर्मी से शादी की थी।
-सफाईकर्मी की मौत के बाद महिला ने पत्नी के रूप में अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगी।
-निचली अदालत ने वैध पत्नी का दावा करने वाली उसकी मांग को अवैध ठहराया।
-अदालत ने कहा कि जिस समय उसने सफाईकर्मी से शादी की, उस समय उसकी पत्नी जीवित थी, इसलिये दूसरा विवाह अवैध है।
-महिला ने इस आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की।
-महिला ने कहा कि उसके पति की पहली पत्नी की भी अब मौत हो चुकी है, इसलिये अब उसे वैध पत्नी का दर्जा दिया जाय।
-उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए महिला की याचिका खारिज कर दी।
-उच्च न्यायालय ने कहा कि हिन्दू कानून के तहत विवाह पवित्र बंधन है, अनुबंध नहीं।
-जस्टिस प्रतिभा रानी ने कहा कि 1990 में जब याची ने सफाईकर्मी से शादी की, तो उसकी पहली पत्नी जीवित थी, इसलिये दूसरा विवाह अवैध है।
-उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत का फैसला सही है, और याची वैध विवाहित पत्नी होने का दावा नहीं कर सकती।